गुजरात के पंचमहल के गोधरा से जबरन धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया है। मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, गोधरा के भुरवाव इलाके में रहने वाले सिंधी समुदाय के एक व्यक्ति की तबीयत ठीक नहीं थी, वह कुछ महीने पहले नडियाद के कुछ ईसाई पादरियों के संपर्क में आया था। वे नडियाद से आए और उनके कुछ अनुष्ठान करने के बाद, वह आदमी बेहतर महसूस करने लगा।
अनुष्ठान का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। ऐसा कहा जाता था कि उसका धर्म परिवर्तन नहीं हुआ था, उन्होंने धर्मांतरण से पहले की रस्में पूरी की थीं। ऐसा ही एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक आदमी को फर्श पर लेटा हुआ और जोर-जोर से साँस लेते देखा जा सकता है। उसके पास खड़े लोग ‘हालेलुया’ बोल रहे हैं, जबकि एक आदमी ‘शोर न करने’ के लिए एक अदृश्य शक्ति को निर्देश दे रहा है और कह रहा है, ”उसे छोड़ दो यीशु के नाम के रूप में मेरे जीसस ने इसे हरा दिया है।” वह आदमी फिर से उठता है और काँपने लगता है, जबकि दूसरा आदमी कहता है कि वह काँपते हुए आदमी पर यीशु का नाम लेकर हाथ फेर रहा है। उनके आसपास हर कोई ‘आमीन’ कह रहा है।
एक अन्य वीडियो में वही आदमी कुर्सी पर बैठा हुआ जोर से काँप रहा है। काँपते हुए वह कुर्सी से फर्श पर गिर जाता है। इसके बाद दूसरा आदमी फिर से उस आदमी को छूता है और यीशु के नाम पर यीशु के पास वापस जाने के लिए जो कुछ भी है उसे ‘निर्देश’ दे रहा है और फिर वह इस कृत्य को ‘हालेलुया’ कहकर समाप्त करता है।
इसी घटना का एक और ऐसा ही वीडियो सामने आया है, जिसमें एक और आदमी प्लास्टिक के बड़े से टब में थूकता हुआ दिखाई देता है, जब वही आदमी ‘यीशु के नाम पर’ एक अदृश्य व्यक्ति को उसके शरीर से बाहर आने के लिए कहता है।
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पड़ोसी सतर्क हो गए और उन्होंने अपने आसपास होने वाली संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया था। इसलिए जब ईसाइयों का वही समूह नडियाद से दोबारा आया तो पड़ोसियों को घर में हो रही संदिग्ध गतिविधियों पर शक हुआ और उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना पाकर मौके पर पहुँची पुलिस ईसाइयों के समूह को अपने साथ ले गई और आगे की जाँच में जुट गई। हालाँकि, इस संबंध में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था।
घर के मालिक का कहना है कि वे सभी जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने के लिए आए थे। वहीं, स्थानीय विश्व हिंदू परिषद के नेता ने आरोप लगाया है कि एक व्यक्ति जिसका नाम स्टिवन मैकवान (Stivan Macwan) है, वह सोशल मीडिया के माध्यम से जबरन धर्म परिवर्तन करवाता है। नव गुजरात टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, विहिप नेता इमेश पारिख ने आरोप लगाया है कि ईसाई मिशनरी पहले दाहोद रोड क्षेत्र के पास आदिवासियों के जबरन धर्म परिवर्तन मामले में शामिल थे। अधिकारियों को इसके बारे में सूचित किया गया था, इसके बावजूद उन्होंने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
स्थानीय मीडिया हाउस Vadpad टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिंधी समुदाय ने पुलिस को एक ज्ञापन सौंपा है। उनका कहना है कि भुरवाव क्षेत्र में एक शिव शक्ति सोसायटी है। प्रतीक खिमानी नाम का एक शख्स वहाँ रहता है। दो साल पहले वह कथित तौर पर नडियाद में ‘सेव द सोल रिस्टोरेशन रिवाइवल’ के संपर्क में आया था, जिसका मुखिया स्टीफन मैकवान है। मैकवान कथित तौर पर ईसाई मिशनरी का काम करने और धर्म परिवर्तन का प्रचार करने में शामिल है।
सितंबर 2021 में मैकवान गोधरा में खिमानी के घर आया था, जहाँ उन्होंने किसी को ईसाई धर्म में कन्वर्ट करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान किए थे। अनुष्ठान की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, तब जाकर सिंधी समुदाय के प्रमुख सदस्यों को इसके बारे में पता चला था।
ये लोग ( ईसाई समुदाय) खिमानी के घर भी गए और उसे हिंदू धर्म छोड़ने के लिए हतोत्साहित किया। हालाँकि, खिमानी और उनका परिवार धर्म परिवर्तन के लिए काफी उत्सुक था। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंधी समुदाय के सदस्यों को बाद में पता चला कि ईसाई मिशनरी संगठन ने खिमानी को आर्थिक मदद प्रदान की थी। इसके अलावा, खिमानी के भाई नीलेश अस्वस्थ रहते थे, जिन्हें मैकवान और ईसाई समूह के अन्य सदस्यों ने यीशु की प्रार्थना और बाइबिल पढ़ने के लिए कहा था, जिससे उनकी सभी परेशानियाँ दूर हो सकें।
ज्ञापन में सिंधी समुदाय के सदस्यों ने कहा कि इस तरह मैकवान उनके समुदाय के लोगों को ईसाई धर्म का लालच देकर उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचा रहा है। उन्होंने पुलिस से इस तरह के जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है। इस बीच इन सबकी जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि जब धर्म परिवर्तन नहीं हुआ था, वे सिंधी समुदाय के सदस्यों को पास के एक मंदिर में ले गए और एक पूजा की। इसके साथ ही उन्हें भरोसा दिलाया कि वे मुश्किल समय में उनका साथ देंगे, उन्हें अपना धर्म भी नहीं छोड़ना पड़ेगा। समुदाय के सदस्यों ने भी परिवार को हिंदू धर्म में रखने के लिए उनको समर्थन देने का आश्वासन दिया।