Friday, November 15, 2024
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महिला जज को भेजे 150 कंडोम: ‘स्किन टू स्किन’ वाले फैसले से नाराज है महिला, वकीलों ने कहा – FIR करेंगे

राजनीतिक विश्लेषक देवश्री त्रिवेदी ने बॉम्बे हाईकोर्ट की जज पुष्पा को 150 कंडोम भेजे हैं। यह वही जज हैं, जिन्होंने ‘स्किन टू स्किन’ तर्क के आधार पर 'स्तन दबाने' और 'जिप खोल कर बच्ची का हाथ पकड़े रहने' के मामले में विवादास्पद फैसला दिया था।

अहमदाबाद की रहने वाली देवश्री त्रिवेदी ने बॉम्बे हाईकोर्ट की जज पुष्पा वीरेंद्र गनेदीवाला को 150 कंडोम भेजे हैं। बता दें कि जज पुष्पा गनेदीवाला ने हाल ही में यौन शोषण मामले में 2 विवादित फैसला सुनाया था।

“12 साल की लड़की का स्तन दबाया जाता है। लेकिन आरोपित ने उसका टॉप हटाया था या नहीं… उसने टॉप के अंदर हाथ डाल कर स्तन दबाया था या नहीं – इसकी सूचना नहीं है। ऐसी सूचनाओं के अभाव में इसे यौन शोषण नहीं माना जाएगा।”एक फैसला यह था

“उसकी पैंट की ज़िप खुली हुई थी, मेरी बेटी के हाथ उसके हाथ में थे। मेरी बेटी ने बताया कि वो उसे सोने के लिए बिस्तर पर आने को कह रहा था।” – यह 5 साल की पीड़ित बच्ची की माँ का आरोप था। इस मामले पर निचली अदालत के फैसले को बदलते हुए जज पुष्पा वीरेंद्र गनेदीवाला ने यौन शोषण की परिभाषा में ‘शारीरिक संपर्क’ शब्द की व्याख्या की थी। – यह दूसरा फैसला था – इस फैसले में भी ‘प्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क- यानी यौन प्रवेश के बिना स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट’ का जिक्र किया गया था।

दरअसल, राजनीतिक विश्लेषक देवश्री त्रिवेदी ने कंडोम भेजते हुए जज के इस आपत्तिजनक फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा, “जस्टिस पुष्पा का मानना है कि अगर स्किन को नहीं छुआ है, तो फिर यौन शोषण नहीं है। मैंने उनको कंडोम भेज कर बताया है कि इसका इस्तेमाल करने पर भी स्किन टच नहीं होता है तो इसे क्या कहा जाएगा?”

देवश्री ने कहा, “मैंने एक चिट्ठी भी जस्टिस पुष्णा को लिखी है, उनके फैसले पर एतराज जताया है। मैंने जस्टिस गनेदीवाला को सस्पेंड करने की भी माँग की है।”

देवश्री त्रिवेदी का एक यूट्यूब चैनल भी है। उन्होंने 13 फरवरी को 12 पैकेटों में लगभग 150 कंडोम की पैकिंग दिखाते हुए अपने चैनल पर एक वीडियो पर भी अपलोड किया था। उन्होंने नागपुर में एचसी रजिस्ट्री और जज के आधिकारिक निवास सहित विभिन्न पते पर मेल किया था। उन्होंने मुंबई में एचसी की मुख्य बेंच को भी कुछ पैकेट भेजे हैं।

देवश्री ने कहा, “जज ने अपने फैसले में कहा था कि जब तक बच्ची के स्किन से डायरेक्ट कॉन्टैक्ट ना हो, तब तक वो सेक्सुअल असॉल्ट नहीं माना जाएगा और कंडोम इसका बेस्ट एग्ज़ाम्पल है। मैंने एक सिम्बल के तौर पर उन्हें भेजा है।”

गौरतलब है कि एक तरफ जहाँ लोग खुद को राजनीतिक विश्लेषक बताने वाली देवश्री के इस कदम की सराहना कर रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर नागपुर पीठ में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों की एक टीम ने इसकी निंदा करते हुए देवश्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात कही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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