उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने फ़िलहाल यहाँ बसे लोगों को सात दिन के अंदर हटाने के हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है। अब अगली सुनवाई 7 फरवरी 2023 को होगी। महिलाओं-बच्चों को आगे करके यहाँ जो इमोशनल कार्ड खेला गया, जिस ‘मानवता’ के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, ऑपइंडिया की टीम ने ग्राउंड पर जाकर इससे जुड़ी स्थिति का जायजा लिया, लोगों से बात की।
ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान जब हमने लोगों से पूछा कि आपलोगों ने कहीं और जमीन वगैरह खरीद रखी है। इस पर एक मुस्लिम नौजवान ने कहा कि जब खाने के लिए कुछ नहीं है तो जमीन कहाँ से खरीदेंगे। उसने कहा कि रोज कुआँ खोदना है, रोज पानी पीना है। उसने आगे बताया कि जो पैसे इकट्ठा किए, सब यहीं घर में लगा दिए। मतलब उसने कबूल लिया कि जमीन बिना खरीदे ही वो घर बना लिया।
भीड़ कैसे लाई गई? कहाँ हुई इसके लिए मीटिंग?#HaldwaniEncroachment मामले पर वायरल वीडियो में दिखने वाला मौलाना कौन?
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) January 5, 2023
कॉन्ग्रेस नेता का क्या है इसमें कनेक्शन?
देखें वीडियो, वहीं के लोगों ने सब कुछ बताया है। pic.twitter.com/DWTA9wTFtW
वहीं जब हमने प्रदर्शन के दौरान मंच पर बैठे इमाम/मौलवी के बारे में पूछा तो वहाँ मौजूद महिला अख्तरी ने कहा, ”वह इमाम यहाँ के किसी मस्जिद से नहीं आए थे। वह बाहर के थे।” वहीं नौजवान ने कहा, ”यहाँ तो और कौमें भी है। क्या सबको लपेट दोगे।”
वहीं अख्तरी ने स्वीकार करते हुए कहा कि कई मुस्लिम महिलाएँ अपने छोटे-छोटे बच्चे को लेकर धरना स्थल गईं थीं। उस धरने में वह भी मौजूद थीं। अख्तरी का कहना था, “यहाँ रेलवे लाउडस्पीकर लगाकर हमें बस्ती खाली करने को कह रहा है।” उसने कहा कि अगर यह जमीन रेलवे की थी तो पहले क्यों नहीं उन लोगों को हटाया गया।
कब्जे वाली जगह पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी सब रहते हैं। गोद वाले बच्चों को भी ले गए थे धरना-प्रदर्शन में। अख्तरी आंटी के साथ स्थानीय लोगों ने उगला सच।#HaldwaniEncroachment pic.twitter.com/GDiWdqO2Qp
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वहीं जब हमने रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमों के बारे में पूछा तो उन्होंने इनकार नहीं किया। इसके जवाब में कहा, “यहाँ तो कई कौमें रहती हैं। किस-किस के बारे में आपको बताएँ। यहाँ बंगाली सब रहते हैं। यहाँ बंगाली-नेपाली सब मिलेंगे। वहीं धरने में बाहरी लोगों के भाग लेने के बारे में वहाँ मौजूद राशिद और अशरफ से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह खुद धरने में शामिल थे और मौलवी व उनके कुछ रिश्तेदार भी धरने में शामिल थे।”
वहीं यह पूछे जाने पर कि क्या अब तो सब कुछ शांत है यहाँ पर। इस पर उन्होंने कहा कि उन लोगों को पार्षद लईक कुरैशी ने शांत रहने और एक-दूसरे से बात नहीं करने को कहा है। आपको बता दें कि लईक कॉन्ग्रेस पार्षद हैं।
कॉन्ग्रेस के पार्षद ने लोगों को समझा रखा था कि सुप्रीम कोर्ट से जब तक कुछ आदेश नहीं आता है, तब तक शांत रहना है।#HaldwaniEncroachment pic.twitter.com/QCO7DkhW8w
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जब हम कुछ आगे बढ़े तो हमें एक बुजुर्ग मिले। हमने उनसे पूछा कि क्या यहाँ सही में बाहरी लोग आकर बसे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि हल्द्वानी में अधिकतर लोग बाहर के हैं। लेकिन वे काफी पहले आए थे। एक बार फिर बाहर से आए मौलाना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह अभी यहीं हैं। इतने में वहाँ आया एक व्यक्ति असमंजस में दिखा और कहा नहीं मौलाना यहाँ नहीं हैं।
“काफी दिनों से रह रहे हैं लोग, लेकिन हैं अधिकतर बाहरी… ’17 नंबर’ में होती है सारी धरना-प्रदर्शन वाली मीटिंग” – स्थानीय लोगों ने बताई हकीकत#HaldwaniEncroachment pic.twitter.com/TbBgYRrLu3
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इससे पहले जब हम हल्द्वानी के वनभूलपुरा इलाके में पहुँचे तो वहाँ हमें विरोध-प्रदर्शन वाली भीड़ गायब दिखी। घूमते-घूमते एक आदमी दिखा, जो 8-10 लोगों को कुछ समझा रहा था। यह शख्स लोगों से आरफा (खानम शेरवानी) का नाम लेकर कुछ कह रहा था। आरफा के मजहब से इस भीड़ (जमा हुए लोग में कुछ दाढ़ी रखे हुए, कुछ इस्लामी टोपी लगाए हुए थे) के मजहब को जोड़ रहा था। ‘आरफा कितना अच्छा बोलती हैं’ – यह कह कर लोगों से बोलने की अपील भी कर रहा था। खुद को पत्रकार बताने वाले इस शख्स ने यह भी कहा कि वो TheWire पर भी इस खबर को चलवाएगा।
एक अन्य रिपोर्ट में हम यह बता चुके हैं कि कैसे हल्द्वानी के धरना-प्रदर्शन में बच्चों का इस्तेमाल किया गया। मदरसे के हाफिज से लेकर वहाँ के एक लोकल नेता तक की पोल इन बच्चों ने ही खोली।