Thursday, April 25, 2024
Homeदेश-समाजरेलवे की जिस जमीन पर कब्जा, वहाँ बांग्लादेशी-रोहिंग्या के भी घर: Video में कब्जाधारियों...

रेलवे की जिस जमीन पर कब्जा, वहाँ बांग्लादेशी-रोहिंग्या के भी घर: Video में कब्जाधारियों ने कबूला सच, बताया कॉन्ग्रेस नेता का कनेक्शन

हल्द्वानी में जमीन कब्जा किए लोगों से जब रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमों वाला सवाल किया गया तो उन्होंने इससे इनकार नहीं किया। इसके जवाब में कहा कि कई कौमें रहती हैं। किस-किस के बारे में बताएँ... बंगाली-नेपाली सब मिलेंगे।

उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने फ़िलहाल यहाँ बसे लोगों को सात दिन के अंदर हटाने के हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है। अब अगली सुनवाई 7 फरवरी 2023 को होगी। महिलाओं-बच्चों को आगे करके यहाँ जो इमोशनल कार्ड खेला गया, जिस ‘मानवता’ के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, ऑपइंडिया की टीम ने ग्राउंड पर जाकर इससे जुड़ी स्थिति का जायजा लिया, लोगों से बात की।

ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान जब हमने लोगों से पूछा कि आपलोगों ने कहीं और जमीन वगैरह खरीद रखी है। इस पर एक मुस्लिम नौजवान ने कहा कि जब खाने के लिए कुछ नहीं है तो जमीन कहाँ से खरीदेंगे। उसने कहा कि रोज कुआँ खोदना है, रोज पानी पीना है। उसने आगे बताया कि जो पैसे इकट्ठा किए, सब यहीं घर में लगा दिए। मतलब उसने कबूल लिया कि जमीन बिना खरीदे ही वो घर बना लिया।

वहीं जब हमने प्रदर्शन के दौरान मंच पर बैठे इमाम/मौलवी के बारे में पूछा तो वहाँ मौजूद महिला अख्तरी ने कहा, ”वह इमाम यहाँ के किसी मस्जिद से नहीं आए थे। वह बाहर के थे।” वहीं नौजवान ने कहा, ”यहाँ तो और कौमें भी है। क्या सबको लपेट दोगे।”

वहीं अख्तरी ने स्वीकार करते हुए कहा कि कई मुस्लिम महिलाएँ अपने छोटे-छोटे बच्चे को लेकर धरना स्थल गईं थीं। उस धरने में वह भी मौजूद थीं। अख्तरी का कहना था, “यहाँ रेलवे लाउडस्पीकर लगाकर हमें बस्ती खाली करने को कह रहा है।” उसने कहा कि अगर यह जमीन रेलवे की थी तो पहले क्यों नहीं उन लोगों को हटाया गया।

वहीं जब हमने रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमों के बारे में पूछा तो उन्होंने इनकार नहीं किया। इसके जवाब में कहा, “यहाँ तो कई कौमें रहती हैं। किस-किस के बारे में आपको बताएँ। यहाँ बंगाली सब रहते हैं। यहाँ बंगाली-नेपाली सब मिलेंगे। वहीं धरने में बाहरी लोगों के भाग लेने के बारे में वहाँ मौजूद राशिद और अशरफ से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह खुद धरने में शामिल थे और मौलवी व उनके कुछ रिश्तेदार भी धरने में शामिल थे।”

वहीं यह पूछे जाने पर कि क्या अब तो सब कुछ शांत है यहाँ पर। इस पर उन्होंने कहा कि उन लोगों को पार्षद लईक कुरैशी ने शांत रहने और एक-दूसरे से बात नहीं करने को कहा है। आपको बता दें कि लईक कॉन्ग्रेस पार्षद हैं।

जब हम कुछ आगे बढ़े तो हमें एक बुजुर्ग मिले। हमने उनसे पूछा कि क्या यहाँ सही में बाहरी लोग आकर बसे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि हल्द्वानी में अधिकतर लोग बाहर के हैं। लेकिन वे काफी पहले आए थे। एक बार फिर बाहर से आए मौलाना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह अभी यहीं हैं। इतने में वहाँ आया एक व्यक्ति असमंजस में दिखा और कहा नहीं मौलाना यहाँ नहीं हैं।

इससे पहले जब हम हल्द्वानी के वनभूलपुरा इलाके में पहुँचे तो वहाँ हमें विरोध-प्रदर्शन वाली भीड़ गायब दिखी। घूमते-घूमते एक आदमी दिखा, जो 8-10 लोगों को कुछ समझा रहा था। यह शख्स लोगों से आरफा (खानम शेरवानी) का नाम लेकर कुछ कह रहा था। आरफा के मजहब से इस भीड़ (जमा हुए लोग में कुछ दाढ़ी रखे हुए, कुछ इस्लामी टोपी लगाए हुए थे) के मजहब को जोड़ रहा था। ‘आरफा कितना अच्छा बोलती हैं’ – यह कह कर लोगों से बोलने की अपील भी कर रहा था। खुद को पत्रकार बताने वाले इस शख्स ने यह भी कहा कि वो TheWire पर भी इस खबर को चलवाएगा।

एक अन्य रिपोर्ट में हम यह बता चुके हैं कि कैसे हल्द्वानी के धरना-प्रदर्शन में बच्चों का इस्तेमाल किया गया। मदरसे के हाफिज से लेकर वहाँ के एक लोकल नेता तक की पोल इन बच्चों ने ही खोली।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इंदिरा गाँधी की 100% प्रॉपर्टी अपने बच्चों को दिलवाने के लिए राजीव गाँधी सरकार ने खत्म करवाया था ‘विरासत कर’… वरना सरकारी खजाने में...

विरासत कर देश में तीन दशकों तक था... मगर जब इंदिरा गाँधी की संपत्ति का हिस्सा बँटने की बारी आई तो इसे राजीव गाँधी सरकार में खत्म कर दिया गया।

जिस जज ने सुनाया ज्ञानवापी में सर्वे करने का फैसला, उन्हें फिर से धमकियाँ आनी शुरू: इस बार विदेशी नंबरों से आ रही कॉल,...

ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को कुछ समय से विदेशों से कॉलें आ रही हैं। उन्होंने इस संबंध में एसएसपी को पत्र लिखकर कंप्लेन की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe