राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दायर कर बताया है कि देश भर में कई चिल्ड्रेन शेल्टर होम अवैध तरीके से चल रहे हैं और कुछ को संदिग्ध विदेशी संगठनों से फंडिंग हो रही है। आयोग ने 6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में यह बात विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (FCRA) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं के जवाब में कही।
संगठनों से फंडिंग पाने वाले NGO में हर्ष मंदर का ‘सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (सीईएस)’ भी शामिल है। कोर्ट में दिए गए हलफनामे में NCPCR ने हर्ष मंदर के सीईएस समेत कई ऐसे NGO के बारे में बताया गया, जहाँ पैसे को डायवर्ट किया गया या फिर वो पैसा संदिग्ध स्रोतों से प्राप्त किए गए थे।
NCPR ने FCRA अधिनियम की धारा 7 को दी गई चुनौती के संबंध में यह जवाब दाखिल किया। दरअसल यह धारा विदेशी धन के हस्तांतरण को रोकती है। आयोग ने कोर्ट को बताया कि उसने यह हलफनामा एनजीओ द्वारा विदेशी धन के दुरुपयोग को रोकने के प्रयास के तहत दायर किया है। इससे पहले जस्टिस खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और रवि कुमार वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 9 नवंबर 2021 तक के लिए फैसले को सुरक्षित रख लिया था।
.@NCPCR_ tells SC that many child care homes receive funds from ‘suspicious foreign organisations’. NGO “Centre for Equity Studies” & child care homes (also run at behest of Harsh Mander) receive funds sans FCRA registration.@Swarupama@sai_prasad_lawhttps://t.co/QqPlEQmLea
— LawBeat (@LawBeatInd) November 11, 2021
उल्लेखनीय है कि NCPCR ने हर्ष मंदर के NGO सीईएस द्वारा बनाए गए शेल्टर होम में बाल यौन शोषण और वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया था। आयोग ने कई बाल गृहों में छापा मारा था। इसके बाद इसी साल 20 फरवरी 2021 को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने एनजीओ और अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। जाँच में पता चला था कि मंदर के सीईएस का FCRA रजिस्ट्रेशन है और वह विदेशी फंडिंग ले सकता है, लेकिन उसने जिस रेनबो फाउंडेशन इंडिया को पैसे दिए उसके पास पास FCRA पंजीकरण नहीं है।
इसी तरह, NCPCR ने मरकज-उल-मारीफ द्वारा असम और मणिपुर में संचालित 5 बाल गृहों का भी जिक्र किया है। आयोग ने बताया कि इन संस्थानों को सरकारी अनुदान के अलावा फॉरेन फंडिंग हो रही थी। इसके अलावा हलफनामे में धुबरी के मरकज दारुल यतामा होम का भी जिक्र किया है, जिसे तुर्की के IHH नामक संगठन से फंडिंग की गई। असम पुलिस ने मरकज दारुल यतामा फॉर बॉयज और होजई के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
पिछले साल भी NCPCR ने देशभर में गैर-सरकारी संगठनों द्वारा संचालित 28,000 बच्चों वाले 600 से अधिक चाइल्ड शेल्टर होम्स में वित्तीय अनियमितता की आशंका व्यक्त की थी। आयोग ने बताया था कि इन आश्रय गृहों को 2018-19 में प्रति बच्चा 6 लाख रुपए विदेशों से मिले थे।