Friday, November 15, 2024
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हिमाचल में भारी बारिश और भूस्खलन से तबाही, पर कॉन्ग्रेसी CM ने ‘बिहारियों’ को बताया दोषी: कहा- राजमिस्त्रियों ने बना डाले फ्लोर पर फ्लोर

'बिहारी आर्किटेक्ट' वाले अपने बयान पर आखिर सीएम सुक्खू ने अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा, "मैंने ऐसा कुछ इस तरह से नहीं कहा था। बिहार के लोग भी यहाँ फँसे हुए हैं। मैंने उन्हें हेलिकॉप्टर से सुरक्षित निकलवाया। अभी बिहार के 200 लोग यहाँ फँसे हैं। वे हमारे भाइयों जैसे हैं। ये हमारी स्ट्रक्चल इंजियरिंग की फॉल्ट है। वे तो केवल मजदूर हैं।"

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश की वजह से बाढ़ और भूस्खलन से हालात खराब हैं। मौत के आँकड़े में लगातार इजाफा हो रहा है। मॉनसून शुरू होने के बाद से अब तक इस प्राकृतिक आपदा में लगभग 214 लोग अपनी जान गवाँ चुके हैं। भारी बारिश की वजह से भूस्खलन और बाढ़ से हजारों लोगों के घर तबाह हो गए हैं। वहीं, हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है।

राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने अब गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है। इस वक्त हिमाचल बीते 50 सालों में सबसे गंभीर प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा है। सीएम सुक्खू ने खुद कहा कि उनके सामने पहाड़ जैसी चुनौती है और इससे उबरने में उन्हें एक साल तक का वक्त लग सकता है। उन्होंने ‘माइग्रेंट आर्टिटेक्ट’ उर्फ ‘बिहारी राजमिस्त्री’ को लेकर नाराजगी जाहिर की।

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में राज्य की इमारतों दोषपूर्ण संरचनात्मक डिजाइन, अंधाधुन निर्माण और बिहार से आए राजमिस्त्री को इन सबके लिए दोषी ठहराया है। इसके साथ ही उन्होंने इशारा कर दिया है कि आने वाले वक्त में राज्य में निर्माण से जुड़े नियमों को सख्त किया जा सकता है।

सीएम सुक्खू ने यह भी कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को सड़कों को चौड़ा करने के बजाय अधिक सुरंग बनाने की जरूरत है और इसके इंजीनियरों को पहाड़ों को अधिक वैज्ञानिक तरीके से काटने की जरूरत है। सीएम की असली नाराजगी बिहारी राजमिस्त्रियों को लेकर दिखी। हालाँकि, बाद में उन्होंने इस पर अपनी सफाई भी दी।

हिमाचल के सीएम सुक्खू के फेसबुक अकाउंड से

‘बिहारी अर्किटेक्ट्स फ्लोर पर फ्लोर बना डालते हैं’

भारी तबाही को लेकर सीएम सुक्खू ने कहा कि अब राज्य में लोग वैज्ञानिक तरीका अपनाए बिना घर बना रहे हैं। हाल ही में बनाई गई इमारतों में पानी निकास की व्यवस्था बेहद खराब है। यहाँ के लोगों को पता नहीं है कि उनके द्वारा बहाया गया पानी कहाँ जा रहा है। ये कहीं और नहीं, बल्कि पहाड़ों में जा रहा है। इसके कारण ये आसानी से दरक रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शिमला डेढ़ शताब्दी से भी अधिक पुराना है और इसका निकासी सिस्टम शानदार है, लेकिन अब नालों पर भी इमारतें बना दी गई हैं। जो इमारतें अब ढह रही हैं, वो स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के मानकों पर खरी नहीं उतर रही हैं। दरअसल, पहाड़ों की रानी कहलाने वाला शिमला इस मानसून में सबसे प्रभावित इलाकों में से एक है। सोमवार (14 अगस्त) को यहाँ बादल फटने के कारण समर हिल्स इलाके में स्थित शिव बोदी मंदिर बह गया।

सीएम सुक्खू ने आगे कहा, “माइग्रेंट अर्किटेक्ट्स (बाहर से आए राजमिस्त्री) ‘बिहारी’ यहाँ आते हैं और फ्लोर पर फ्लोर बना डालते हैं। हमारे पास स्थानीय राजमिस्त्री नहीं है।” उनके कहने का ये मतलब था कि वहाँ के स्थानीय राजमिस्त्री इस क्षेत्र की प्राकृतिक विशेषताओं को जानते हैं और उसी के मुताबिक इमारतें बनाते हैं, लेकिन बाहर से आए राजमिस्त्री ये सब नहीं जानते हैं।

इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश की सड़कों के क्षतिग्रस्त होने के लिए खराब निकासी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि हमारी सेक्रेटिएट की बिल्डिंग नौ मंजिला है। वहीं समर हिल हिमाचल एडवांस स्टडी यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग आठ मंजिला है। जब ये इमारतें बनाई गई थीं, तब टेक्नोलॉजी नहीं थी, लेकिन स्ट्रक्चरिंग थी।

उन्होंने आगे कहा, “हमने कभी नहीं सुना कि इन इमारतों को खतरा है।” इस दौरान उन्होंने एनएचआई के फोरलेन सड़क को लेकर कहा कि यहाँ सुरंगें ही वाहनों का दबाव झेलने के सही और सटीक हैं। ये बनाना महंगा है, लेकिन इस क्षेत्र के लिए फायदेमंद है।

‘बिहारी आर्किटेक्ट’ पर दी सफाई

‘बिहारी आर्किटेक्ट’ वाले अपने बयान पर आखिर सीएम सुक्खू ने अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा, “मैंने ऐसा कुछ इस तरह से नहीं कहा था। बिहार के लोग भी यहाँ फँसे हुए हैं। मैंने उन्हें हेलिकॉप्टर से सुरक्षित निकलवाया। अभी बिहार के 200 लोग यहाँ फँसे हैं। वे हमारे भाइयों जैसे हैं। ये हमारी स्ट्रक्चल इंजियरिंग की फॉल्ट है। वे तो केवल मजदूर हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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