अपडेट: बिहार के डीजीपी की जॉंच के बाद हम सूचनाओं को अपडेट कर रहे हैं। पीड़ित पिता इस दौरान कई बार अपने बयान से मुकरे हैं। लिहाजा उनकी ओर से किए गए सांप्रदायिक दावों को हम हटा रहे हैं। हमारा मकसद किसी संप्रदाय की भावनाओं का आहत करना नहीं था। केवल पीड़ित पक्ष की बातें सामने रखना था। इस क्रम में किसी की भावनाओं को ठेस पहुॅंची हो तो हमे खेद है।
गोपालगंज स्थित कटेया थाना क्षेत्र के बेलाडीह स्थित गाँव (बेलहीडीह, पंचायत: बेलही खास) में रोहित जायसवाल की लाश मिली थी। इस घटना के बाद से पीड़ित परिवार न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है।
बेलाडीह के कुछ ग्रामीणों से हमने बातचीत की। उन्होंने बताया कि थाना प्रभारी अश्विनी तिवारी ने 22 दिनों तक मृतक रोहित की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दबा कर रखी। ऑपइंडिया ने जब थाना प्रभारी अश्विनी तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया कि इस मामले में 4 लोगों को त्वरित कार्रवाई करते हुए जेल भेजा जा चुका है और एक व्यक्ति की तलाश जारी है। साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवार के आरोपों पर बात करने से इनकार कर दिया और ख़ुद को कोरोना सम्बंधित ड्यूटी में व्यस्त बताया।
बता दें कि रोहित के पिता राजेश जायसवाल बेलाडीह में पकौड़े बेच कर अपना गुजर-बसर करता था। उनके आरोपों के अनुसार 28 मार्च 2020 को कुछ लड़के आए और उनके नाबालिग बच्चे को क्रिकेट खेलने के बहाने बुलाकर ले गए। बाद में उसकी लाश मिली।
राजेश अपनी पत्नी को लेकर थानाध्यक्ष के पास गए। जहाँ अश्विनी तिवारी ने उन्हें कथित तौर पर गन्दी-गन्दी गालियाँ दीं।
ऑपइंडिया ने गोपालगंज पुलिस के वरीय अधिकारियों से सम्पर्क कर इस बाबत पूछा तो उन्होंने बताया कि मामले में जाँच के बाद कार्रवाई की जा चुकी है।