हिन्दू महासभा के पूर्व अध्यक्ष और हिन्दू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे कमलेश तिवारी की हत्या की तरह अन्य हिन्दू नेता और राजनेता पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के निशाने पर हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि पैसे देकर और जेहादी बनाकर आरएसएस नेताओं पर हमला किया जा सकता है।
ख़बर के अनुसार, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को क़रीब दो दिन पहले ख़ुफ़िया विभाग से इस तरह की जानकारी मिली है। जानकारी मिलने के बाद हिन्दू नेताओं, आरएसएस के पदाधिकारियों और राजनेताओं की सुरक्षा की समीक्षा शुरू कर दी गई है। इस मामले में गृह मंत्रालय के आदेश पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने समीक्षा शुरू कर दी है।
स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कमलेश तिवारी की हत्या में आतंकी संगठन ISIS के कनेक्शन का पता लगाया जा रहा है। जिन नेताओं ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को हटाए जाने का समर्थन करते हुए हिन्दुओं का समर्थन किया था, वे आतंकी संगठन ISIS के निशाने पर बने हुए हैं। ऐसे नेताओं को आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल द्वारा मरवाया जा सकता है।
कमलेश तिवारी हत्या मामले में भी ख़ुलासा हुआ था कि वो ISIS के निशाने पर थे। 2017 में गुजरात एटीएस ने ISIS के उबैद मिर्ज़ा और क़ासिम को गिरफ़्तार किया था। तब गुजरात एटीएस के अलावा सेंट्रल एजेंसी ने भी दोनों आतंकियों से पूछताछ की थी। उन्होंने पूछताछ में कमलेश तिवारी का नाम लिया था। इससे पता चलता है कि कमलेश तिवारी पर आतंकी संगठन की बहुत पहले से नज़र थी।
मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, कमलेश तिवारी की हत्या के बाद अन्य नेताओं को जान से मारने की धमकियाँ मिल रही थीं। इस संदर्भ में हिन्दूवादी संगठनों के कई नेताओं ने सरकार से सुरक्षा की माँग भी की थी। इनमें साध्वी प्राची, पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के यूपी अध्यक्ष राजीव कुमार और उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष अमित जानी के नाम शामिल हैं।
ग़ौरतलब है कि लखनऊ में नाका क्षेत्र स्थित हिन्दू महासभा कार्यालय में कमलेश तिवारी को बदमाशों ने गला रेतकर व गोली मारकर हत्या कर दी थी। शुक्रवार (18 अक्टूबर 2019) को हत्या की वारदात को अंजाम देकर हमलावर वहाँ से फ़रार हो गए थे। गंभीर हालत में तिवारी को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहाँ इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी।