Friday, November 22, 2024
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UP से ले जाकर नेपाल में भारतीयों को बना रहे थे ईसाई, हिंदू संगठनों ने पोत दी कालिख: पादरी की पिटाई, बसों में भरकर ले जाए जा रहे थे चर्च

इस इलाके में धर्मांतरण का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले 31 अगस्त, 2024 को भी ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया था। तब नेपाल के सीमावर्ती इलाके में केरल के दो पादरी पकड़े गए थे। यह यहीं के एक स्थानीय चर्च में धर्मांतरण करवाने की फिराक में थे। इनको पकड़ कर यूपी पुलिस को सौंप दिया गया था।

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज से लगने वाले नेपाल के सीमाई इलाके में ईसाई धर्मांतरण को लेकर जम कर बवाल हुआ। भारत से ईसाई बनाने के लिए नेपाल ले जाए गए लोगों का विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल नेपाल के कार्यकर्ताओं ने जम कर विरोध किया। इस दौरान नेपाल के स्थानीय लोगों ने धर्मांतरण करवाने वालों के मुंह पर कालिख भी पोत दी और भारत वापस भेज दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शनिवार (14 सितम्बर, 2024) को महाराजगंज के ठूठीबारी कस्बे से लगभग 100 लोगों का एक जत्था नेपाल की तरफ निकला। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएँ और बच्चे शामिल थे। नेपाल जाने वाले लोगों में इस इलाके के दलित-पिछड़े वर्ग के लोग भी शामिल थे।

बताया गया कि इन्हें अमोस नाम के एक पादरी अमोस ने नेपाल के खैरहनी स्थित चर्च में बुलाया था। यहाँ उनका धर्मांतरण किया जाना था। इनके लिए नेपाल नंबर की दो विशेष बसें भी नेपाल में खड़ी की गईं थी। यह बसें नेपाल के महेशपुर बस स्टैंड पर खड़ी थीं। यहीं सभी लोग इकट्ठा हुए थे।

यह सभी बसों में बैठते इससे पहले इनके धर्मांतरण की सूचना नेपाल के विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ ही स्थानीय लोगों को लग गई। वह तुरंत ही इस बस स्टैंड के पास पहुँच गए और धर्मांतरण के विरोध में प्रदर्शन करने लगे।

बताया गया है कि यहाँ मौजूद स्थानीय लोगों ने भारत से धर्मांतरण के लिए जाने वालों के साथ बदसलूकी की और उनके मुँह पर कालिख पोत दी। स्थानीय लोगों ने यहाँ के पादरी अमोस की भी पिटाई की। इसके बाद भारत से गए सभी लोगों को स्थानीय लोगों ने यहाँ से भगा दिया और भारत की सीमा पर छोड़ गए।

नेपाल के लोगों ने इस दौरान पुलिस भी बुला ली। पुलिस ने इन सभी लोगों के नाम-पते नोट किए और चेतावनी भी दी। नेपाल पुलिस के अलावा यहाँ स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी भी पहुँच गए। भारतीयों को वापस भेजने के बाद यह मामला शांत हुआ।

महाराजगंज पुलिस ने इस मामले को ट्विटर पर स्पष्टीकरण दिया है। महाराजगंज पुलिस ने बताया है कि घटना उसके अधिकार क्षेत्र में ना होकर नेपाल में हुई है और इसके संबंध में नेपाल पुलिस से बातचीत चल रही है। पुलिस ने अपील की है कि इस घटना को महाराजगंज का बता कर प्रसारित ना किया जाए।

इस इलाके में धर्मांतरण का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले 31 अगस्त, 2024 को भी ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया था। तब नेपाल के सीमावर्ती इलाके में केरल के दो पादरी पकड़े गए थे। यह यहीं के एक स्थानीय चर्च में धर्मांतरण करवाने की फिराक में थे। इनको पकड़ कर यूपी पुलिस को सौंप दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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