Sunday, November 24, 2024
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हिंदू मंदिरों ने कोरोना संकट में लाखों-करोड़ों का किया दान: कहीं कोविड सेंटर की व्यवस्था, कहीं हुआ खाने का इंतजाम

कोई ऑक्सीजन फ्री में दे रहा, कोई पैथोलॉजी लैब बनावा दिया। कहीं हजारों लोगों को मुफ्त में खाना मिल रहा तो कहीं मुफ्त में दवाइयाँ बाँटी जा रही। गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों-बच्चों के लिए...

कोरोना महामारी से आज पूरा भारत त्रस्त हो रखा है। हर जगह स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी के कारण मौत की खबरें आ रही हैं। लोग एक राज्य से दूसरे राज्य मदद के लिए भाग रहे हैं। कहीं दवाइयों की किल्लत है तो कहीं ऑक्सीजन की।

ऐसी विकट स्थिति में केवल केंद्र या राज्य सरकारें ही महामारी से निपटने के लिए योजना नहीं बना रहीं बल्कि कई अन्य संस्थान भी अपने बूते पीड़ितों की मदद करने में लगे हैं। इसी क्रम में अलग-अलग राज्यों के विभिन्न मंदिर कोरोना संक्रमितों की सहायता के लिए आगे आए हैं। किसी ने दान पेटी देकर मदद की, तो किसी ने मंदिर परिसर को कोविड सेंटर बना दिया।

इससे पहले हम उन मंदिरों की सूची आज आपके सामने रखें, एक बात ये ध्यान रखने वाली है कि सामान्य दिनों में इन्हीं मंदिरों को वामपंथी अपने निशाने पर लेते हैं। यहाँ होने वाले धर्म-कर्म के पाठ पर आपत्ति उठाते हैं। इन्हें मिलने वाले दान पर सवाल करते हैं। लेकिन जब संकट की घड़ी आती है, तब यही मंदिर निःस्वार्थ भाव के साथ जनता की मदद को आगे आ जाते हैं। 

आइए जानें उन मंदिरों के नाम, जो इस संकट की घड़ी में वाकई संकटमोचक की भूमिका में आगे बढ़ कर आए :

पटना का महावीर मंदिर: कोरोना संकट में पटना जंक्शन पर स्थित महावीर मंदिर संक्रमितों को मुफ्त में ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए आगे आया है। आज से यानी 30 अप्रैल से यहाँ ऑक्सीजन वितरण का काम ऑनलाइन शुरू हुआ है। पिछले साल भी महावीर मंदिर ने कोरोना संक्रमण के बीच आमजन तक मदद पहुँचाई थी।

मुंबई में जैन समुदाय का मंदिर: हाल में मुंबई स्थित जैन समुदाय मंदिर को कोविड 19 सेंटर में परिवर्तित किया गया। यहाँ 100 बिस्तर वाले पैथोलॉजी लैब बनाए गए। पिछले साल इसी मंदिर के कोविड सेंटर में बदलने के बाद 2000 से अधिक मरीजों का यहाँ इलाज हुआ था।

मुंबई का श्री स्वामी नारायण मंदिर: मुंबई की बिगड़ती स्थिति देखते हुए इस मंदिर को कुछ समय पहले कोविड अस्पताल में तब्दील किया गया। मंदिर प्रमुख ने आश्वस्त किया कि यहाँ उपचार का ध्यान मंदिर समिति द्वारा रखा जाएगा।

महाराष्ट्र का संत गजानन मंदिर: प्रदेश में बुलढाणा जिले के शेगाँव में स्थित संत गजानन महाराज मंदिर, राज्य के सबसे बड़े धार्मिक केंद्रों में से एक है। यहाँ कोरोना संदिग्धों और रोगियों के लिए 500-500 बेड के अलग-अलग आइसोलेशन परिसर बनाए हैं। इसमें एक सामुदायिक रसोई है जो 2,000 लोगों के लिए खाना तैयार करती है। ये खाना सबको मुफ्त में दिया जाता है। 

वडोडरा का स्वामी नारायण मंदिर: कोरोना मरीजों के लिए मंदिर में 500 बेड का इंतजाम किया गया है। वहाँ के सारे साधू-संत मरीजों की सेवा में जुटे हैं। मंदिर प्रशासन ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर कोविड बेड संख्या बढ़ा दी जाएगी।

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर: मंदिर प्रशासन ने ऐलान किया है कि कोरोना संक्रमित लोगों को दवाएँ वितरित की जाएँगी। इसका लाभ कम आय वाले वर्ग को मिलेगा। मंदिर प्रशासन ने इस पर बजट जारी कर दिया है। पहले चरण में 5 हजार दवाई की पोटली तैयार हैं। इसमें एक सुझाव पर्ची भी दी जा रही है।

पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर: मंदिर प्रशासन ने अपने नीलाचल भक्त निवास को कोविड-19 केयर सेंटर में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। 120 बिस्तरों वाली यह सुविधा कोरोना वायरस से संक्रमित मंदिर से जुड़े अधिकारियों के लिए एक समर्पित केंद्र के रूप में भी काम करेगी।

मुंबई के कांदिवली के पावन धाम मंदिर ने एक बार फिर अपनी चार मंजिला इमारत को 100 बेड से सुसज्जित कोविड-19 क्वारंटाइन सेंटर में बदल दिया है। 100 में से, 50 बेड एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर यूनिट, ऑक्सीमीटर, पल्स मीटर, पोर्टेबल बीपी उपकरण, मॉनिटर मशीन से लैस है। इसके अतिरिक्त, 10 डॉक्टरों सहित 50 से अधिक चिकित्सा कर्मचारी सुविधा में तैनात हैं।

इस्कॉन मंदिर: इस्कॉन मंदिर की ओर से गर्भवती महिलाओं, घर में रह रहे बुजुर्ग, बच्चों व कोरोना मरीजों के लिए फ्री में खाने की व्यवस्था की जाएगी। मंदिर की ओर से इसके लिए स्पेशल किचन शुरू की गई है। एक कॉल पर मंदिर इस खाने को फ्री में पहुँचाएगा। इस्कॉन की ओर से हेल्पलाइन नंबर 9717544444 जारी किया गया है। 

इंदौर का राधास्वामी सत्संग व्यास: कोरोना संकट में इसे देश का दूसरा सबसे बड़ा कोविड सेंटर बनाया गया है। इसे “माँ अहिल्या कोविड केयर सेंटर” नाम दिया गया है। 600 बिस्तरों वाले इस सेंटर में मरीजों के मनोरंजन की भी अच्छी व्यवस्था की गई है। आवश्यकता पड़ने पर यहाँ अधिकतम 6000 बिस्तरों की भी व्यवस्था की जा सकेगी। इसके परिसर में 10 बड़े एलईडी लगाए गए हैं, जिसमें रामायण, महाभारत के साथ ही आईपीएल का टेलीकास्ट भी किया जाएगा।

अयोध्या में राम मंदिर: कोरोना संकट को देखते हुए ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ने ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित करने की घोषणा की। इसमें 55 लाख रुपए के खर्चे को ट्रस्ट उठाएगा। ये ऑक्सीजन प्लांट दशरथ मेडिकल कॉलेज में स्थापित होगा।

तिरुपति मंदिर: दान पुण्य के नाम पर तिरुपति मंदिर का नाम अक्सर सूची में सबसे ऊपर होता है। ये मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर में है। कोरोना संकट में पिछले साल यहाँ प्रवासी मजदूरों को ठहराने की व्यवस्था हुई थी।

शिरडी साई बाबा मंदिर: पिछले साल कोरोना से लड़ाई में शिरडी के श्रीसाईंबाबा संस्थान ट्रस्ट ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए राज्य सरकार को आर्थिक मदद का ऐलान किया था। ट्रस्ट ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 51 करोड़ रुपए देने का निर्णय लिया था।

सिद्धिविनायक मंदिर: मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर ने  पिछले साल कोरोना संकट को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार को 10 करोड़ रुपए की मदद की थी। इसमें 5 करोड़ कोरोना के लिए और 5 करोड़ शिव भोजन के लिए दिए गए थे।

छत्तीसगढ़ का माँ महामाया मंदिर: संक्रमण से चल रही जंग में महामाया मंदिर ट्रस्ट समिति ने पिछले साल मुख्यमंत्री राहत कोष में 5 लाख 11 हजार रुपए दान दिए थे। इस दान के पीछे मंदिर का उद्देश्य संक्रमितों की मदद करना था।

सारंगपुर हनुमान मंदिर: गुजरात के बोटाद जिले में स्थित प्रसिद्ध मंदिर ने पिछले साल कोरोना वायरस मरीजों के लिए अपनी धर्मशाला को 100 बिस्तरों वाले अस्पताल में बदल दिया था।

यूपी के सिद्धार्थनगर में स्थित काली मंदिर: कोरोना संकट की गंभीरता को देखते हुए डुमरियागंज में बने इस काली मंदिर ने पिछले साल अपना पूरा दान पात्र प्रशासन को सौंप दिया था। खास बात ये थी कि ये दान पात्र पिछले 6 दशक से नहीं खुला था। लेकिन मंदिर ने महामारी के समय निपटने के लिए इसे प्रशासन को देकर नई मिसाल दी।

गोरखपुर का प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर: पिछले साल मंदिर में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए रसोई चलाई गई। मंदिर ने वायरस पीड़ितों के इलाज के लिए गोरखपुर एवं बलरामपुर के तुलसीपुर में अस्पताल का संचालन भी किया। इसके अलावा गोरखनाथ पीठ और उससे संबंधित कुछ संस्थाओं और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् ने ‘पीएम केयर फंड’ एवं ‘मुख्यमंत्री राहत कोष’ में अब तक 51,00000 रुपए का योगदान भी दिया।

सोमनाथ मंदिर: पिछले साल राज्य के पूर्व सीएम केशूभाई पटेल की अध्यक्षता वाले श्रीसोमनाथ ट्रस्ट की ओर से कोरोना स्थिति से निपटने के लिए 1 करोड़ रुपए का दान सीएम राहत कोष में दिया गया था।

गुजरात का अंबाजी मंदिर: सीएम रिलीफ फंड में 1 करोड़ रुपए अंबाजी मंदिर ने भी डोनेट किए थे। मंदिर ने साथ ही लॉकडाउन प्रभावित इलाकों में खाना पहुँचाने का भी किया था।

पंचकुला में माता मनसा देवी मंदिर: पिछले साल 21 अप्रैल को हरियाणा स्थित मशहूर माता के मंदिर की ओर से 10 करोड़ रुपए कोरोना रिलीफ फंड में दिए गए थे।

राजस्थान का रानी सत्ती मंदिर : राजस्थान के रानी सत्ती मंदिर में पिछले वर्ष 200 रूम का आइसोलेशन फैसिलिटी तैयार की गई थी।

माता वैष्णो देवी मंदिर: कटरा स्थित माँ वैष्णो मंदिर के नॉन गैजेटेड स्टॉफ ने अपनी अपनी 1 दिन की सैलरी को स्टेट रिलीफ फंड में दान किया था। वहीं गैजेटेड स्टाफ ने 2 दिन की सैलरी दान में दी थी। इसके अलावा कटरा बस्ती में जरूरतमंदों को बोर्ड उपाध्यक्ष के निर्देश पर राशन किट बाँटने का काम भी हुआ था। श्राइन बोर्ड की ओर से आशीर्वाद कॉम्प्लेक्स जिला प्रशासन को दिया गया था, जिसमें 600 बेड डालने की जगह थी।

तमिलनाडु का काँची मठ: काँची मठ ने पिछले वर्ष पीएम रिलीफ फंड को 10 लाख रुपए और सीएम रिलीफ फंड को भी 10 लाख रुपए का दान दिया था। इसके अलावा महामारी से उबरने के लिए वहाँ प्रार्थना भी की थी।

उल्लेखनीय है कि हमने आपको सिर्फ उन चंद मंदिरों के नाम बताएँ हैं, जिन्हें पिछले साल से अब तक मीडिया में कवरेज मिली या वह सोशल मीडिया की वजह से ये चर्चा में आए। इनके अलावा देश-विदेश में स्थित तमाम हिंदू मंदिर हैं, जो लगातार प्रयास में जुटे हैं कि वह कैसे कोरोना से निपटने के लिए राज्य प्रशासन और आम जन की सहायता करें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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