वाराणसी में गौरी-ज्ञानवापी केस की जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश आज से सुनवाई कर रहे हैं। इस दौरान हिन्दू पक्ष और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्तियों पर भी सुनवाई होगी। इस बीच काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने भी आज सोमवार (23 मई, 2022) को जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल की। उन्होंने ज्ञानवापी में पूजा-पथ और भोग आदि के अधिकार की माँग की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत ने याचिका दाखिल करते हुए न्यायिक तौर पर महादेव शिव की पूजा का अधिकार माँगा है। दोनों पक्ष न्यायालय में मौजूद हैं। मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने भी खुद को सुनवाई के लिए तैयार बताया है। उन्होंने कहा कि अदालत को पहले ये तय करना होगा कि ज्ञानवापी केस पर उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 तो नहीं लागू होता। अदालत अभी ये तय करेगा कि यह मामला चलने लायक है भी या नहीं।
वहीं हिन्दू पक्ष से माँ श्रृंगार गौरी केस के वकील विष्णु जैन के मुताबिक ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 इसलिए नहीं लागू होता क्योंकि साल 1937 में दीन मोहम्मद के केस में 15 लोगों ने इस बात की गवाही में 1942 तक वहाँ पूजा होना बताया था। इस तथ्य को अदालत के आगे रखा जाएगा। हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में खुद को ज्ञानवापी केस में वादी बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है। विष्णु गुप्ता के मुताबिक उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार भी कर ली है। वो वाराणसी की अदालत में भी ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में अपनी तरफ से परिवाद दाखिल कर रहे हैं। अपने परिवाद में उन्होंने अब तक मिले सबूतों के आधार पर ज्ञानवापी को वापस हिन्दू समाज को सौंपने की माँग की है।
ज्ञानवापी मामले में आज वाराणसी की कोर्ट में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता परिवाद दाखिल करेंगे, विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में भी ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में खुद को वादी बनाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, प्रार्थना पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) May 23, 2022
उधर भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर के मस्जिद कमेटी की अर्जी ख़ारिज करने की माँग की है। याचिका में उन्होंने इस्लामी सिद्धांत का हवाला देते हुए मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद को अवैध बताया है।
मंदिर को पूजा स्थल कहते हैं और मस्जिद को प्रार्थना स्थल। जब पूजा और पूजा स्थल हराम और कुफ्र है तो पूजा स्थल कानून मस्जिद पर कैसे लागू हो सकता है? @blsanthosh pic.twitter.com/1JJcSwXtR9
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniUpadhyay) May 23, 2022
ज्ञानवापी का केस 1991 में लड़ चुके पंडित सोमनाथ व्यास के नाती शैलेन्द्र कुमार ने भी ज्ञानवापी परिसर में खुद को पूजा का अधिकार देने की याचिका दायर की है। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी परिसर के तहखाने की चाबी अभी भी प्रशासन के पास है। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी स्थित तहखाना साल में 2 बार रामायण पाठ के लिए खोला जाता है। इसी के साथ शैलेन्द्र ने तहखाने में अपने पूर्वजों की वसीयत का दावा किया। साथ ही उन्होंने ज्ञानवापी के पुरातात्विक सर्वे की भी माँग की।
श्रीकाशी विश्वनाथ मुक्ति आंदोलन के प्रमुख सुधीर सिंह के मुखिया सुधीर सिंह ने कान पकड़ कर महादेव शिव से क्षमा याचना की है। यह क्षमा याचना उन्होंने विश्वनाथ धाम के आगे की है। उन्होंने कहा, “300 साल से हम ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा नहीं कर पाए थे। मैं और समस्त काशीवासी भोलेनाथ से माफ़ी माँग रहे हैं। वो बड़े दयालु हैं। आशा है कि शिव हमें माफ़ कर देंगे। हमारे महादेव 300 साल गंदगी में पड़े रहे। वो हमारी रक्षा करते हैं लेकिन हम उनकी रक्षा नहीं कर पाए। हम दंड के भागी हैं।” वहीं रिपोर्ट लीक करने के आरोपों का ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे रिपोर्ट पर कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष सहायक आयुक्त अधिवक्ता विशाल सिंह ने खंडन किया है। उन्होंने रिपोर्ट को पूरी तरह से गोपनीय बताया है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट निष्पक्ष है और जो भी पब्लिक में आएगा वो अदालत के माध्यम से ही संभव होगा।