किसान आंदोलन के चलते बाधित दिल्ली की सड़कों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (सितंबर 30, 2021) को टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि किसी हाइवे को इस तरह स्थायी रूप से बंद नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि इस मामले में पहले ही स्पष्ट आदेश दिए जा चुके हैं। सरकार उसे लागू नहीं करवा पा रही।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल द्वारा दायर की गई याचिका पर न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की। उन्होंने कहा कि शिकायतों का निवारण न्यायिक मंचों, आंदोलन और संसदीय बहस के माध्यम से हो सकता है लेकिन राजमार्गों को अवरुद्ध करके नहीं।
केंद्रीय सरकार के साथ दिल्ली, हरियाणा और यूपी की राज्य सरकारों से कोर्ट ने पूछा, “आखिर राजमार्गों को कैसे अवरुद्ध किया जा सकता है? ये सब कहाँ जाकर खत्म होगा।” अदालत ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में कानून बनाए हैं और इन्हें लागू करना कार्यपालिका का कर्तव्य है।
पीठ ने कहा, “अगर हम कोई निर्देश देते हैं, तो आप कहेंगे कि हम कार्यपालिका के काम में घुस गए। कानून को कैसे लागू किया जाए यह आपका काम है। कोर्ट के पास इसे लागू करने का कोई तरीका नहीं है।”
याचिकाकर्ता, मोनिका अग्रवाल ने अपनी याचिका में कहा था सार्वजनिक सड़कों को साफ रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित विभिन्न निर्देशों के बावजूद, उनका पालन नहीं किया गया है। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के सिंगल मदर होने के कारण उसे नोएडा से दिल्ली की यात्रा करना दुःस्वप्न बन गया है। इसमें उन्हें 20 मिनट की जगह 2 घंटे लगते हैं और ऐसा दो हफ्तों से हो रहा है।
बता दें कि इस मामले में अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी। इस बार सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि उन्होंने हाई लेवल कमेटी बनाई थी कि प्रदर्शन करने वाले संगठनों से बात हो लेकिन संगठनों ने सुनवाई करने से मना कर दिया। अब बेंच ने उन्हें एक आवेदन दायर करने का निर्देश दिया है।