भारत के स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स के सबसे बड़े परिषद ‘इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (IMA)’ के अध्यक्ष के रूप में दिसंबर 2020 में डॉक्टर जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल को नामित किया गया था। संगठन के 95वें वार्षिक अधिवेशन में इसकी घोषणा हुई थी। डॉक्टर JA जयलाल के बारे में बता दें कि वे मोदी सरकार और हिन्दू राष्ट्रवाद के प्रति खासी खुन्नस रखते हैं। साथ ही ‘सेक्युलर संस्थाओं’ के ईसाई धर्मांतरण की इच्छा भी रखते हैं। वे चाहते हैं कि अस्पतालों का इस्तेमाल भी ईसाई धर्मांतरण के लिए हो।
हाल ही में ‘Haggai इंटरनेशनल’ पर उनका एक इंटरव्यू आया। इसमें उन्होंने दावा किया कि ‘राष्ट्रवादी’ सरकार आधुनिक दवाओं को पश्चिमी बता कर उन्हें नष्ट करना चाहती है। उन्होंने लोगों से ‘अंतरराष्ट्रीय प्रार्थना’ की अपील करते हुए दावा किया कि अगर भारत सरकार सफल होती है तो 2030 तक भारत में कोई आधुनिक मेडिकल कोर्स ही नहीं रह जाएगा। डॉक्टर जयलाल अपने पद का इस्तेमाल ईसाई मिशनरी गतिविधियों के लिए भी करना चाहते हैं।
एक तरह से देखा जाए तो कोरोना वायरस संक्रमण महामारी भी उनके लिए मेडिकल छात्रों, डॉक्टरों और रोगियों को ईसाई में धर्मांतरित करने का एक अवसर बन कर आया है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि IMA ‘जीसस क्राइस्ट के प्यार’ को साझा करे और सभी को भरोसा दिलाए कि जीसस ही व्यक्तिगत रूप से रक्षा करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि चर्चों और ईसाई दयाभाव के कारण ही विश्व में पिछली कई महामारियों और रोगों का इलाज आया।
उन्होंने ईसाई संस्थाओं में भी गॉस्पेल (ईसाई सन्देश) को साझा करने की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने IMA में अपने अध्यक्षीय भाषण में भी कहा था कि आज जो भी हैं वह ‘सर्वशक्तिमान ईश्वर जीसस क्राइस्ट’ का गिफ्ट है और कल जो होंगे, वे भी उनका ही गिफ्ट होगा। उन्होंने इस दौरान मदर टेरेसा के उद्धरण का जिक्र किया, जिन पर पहले से ही ईसाई धर्मांतरण के आरोप लगते रहे हैं। ‘क्रिस्चियन टुडे’ के इंटरव्यू में भी उन्होंने बताया कि कैसे महामारी के बावजूद ईसाई मजहब आगे बढ़ रहा है।
वे कोरोना के प्रकोप के कम होने के लिए भी जीसस को ही क्रेडिट देते हैं। उन्होंने कहा था कि जीसस की कृपा से ही लोग सुरक्षित हैं और इस महामारी में उन्होंने ही सभी की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि फैमिली प्रेयर्स और नाइट प्रेयर्स की मदद से ईसाई अब स्वर्ग की अनुभूति कर रहे हैं, न कि भौतिकतावादी दुनिया की। इस तरह से भारत के सबसे बड़े मेडिकल संगठन के मुखिया के लिए सरकार द्वारा लॉकडाउन या टीकाकरण का कोरोना से लड़ने में कोई रोल नहीं है।
Quite self explanatory, isn’t it. Opposition to Ayurveda because people will learn Sanskrit and then everything will be Hindutva. pic.twitter.com/rKKbnpwHVN
— Amit Thadhani (@amitsurg) March 30, 2021
आयुर्वेद की आलोचना में भी डॉक्टर JA जयलाल पीछे नहीं रहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार इसलिए आयुर्वेद में विश्वास करती है, क्योंकि उसके सांस्कृतिक मूल्य और पारंपरिक आस्था हिंदुत्व में है। उन्होंने दावा किया कि पिछले 3-4 वर्षों से आधुनिक मेडिसिन की जगह आयुर्वेद को लाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथी और योग इत्यादि की जड़ें संस्कृत में हैं, जो हिंदुत्व की भाषा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इन सबके जरिए सरकार लोगों के दिलो-दिमाग में संस्कृत भाषा को घुसाना चाहती है। डॉक्टर जयलाल ने बताया कि उन्होंने डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के जरिए देश भर में सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करवाए थे। उन्होंने हिन्दुओं में काफी देवताओं के होने की बात करते हुए एक बार कहा था कि उन्हें अब जीसस और मुहम्मद को ईश्वर मान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये हर ईसाई का कर्तव्य है कि वे बाइबिल का संदेश सभी तक पहुँचाए।