देश में जारी कोरोना संकट के दौरान डॉक्टरों को सैलरी नहीं देने या फिर कम देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए सरकार को दिशा निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि युद्ध के दौरान अपने सैनिकों को दुखी नहीं रख सकते। इतना ही नहीं उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए उन्हें अतिरिक्त रुपए भी दिए जाने चाहिए।
शुक्रवार (12 जून, 2020) को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण, एसके कौल और एमआर शाह की बेंच ने कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टरों को सैलरी न मिलने के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कोर्ट को शामिल नहीं होना चाहिए और सरकार को यह मुद्दा सुलझाना चाहिए।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा युद्ध के समय आप अपने सैनिकों को नाखुश नहीं करते। कुछ इसी तरह कोरोना के खिलाफ लड़े जा रहे इस युद्ध में असंतुष्ट सैनिकों (डॉक्टरों) को परेशानी हो इसे देश बर्दाश्त नहीं कर सकता है। वहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अपनी शिकायत और सुझाव स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजने के लिए भी कहा है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर बेहतर सुझाव सामने आते हैं, तो उन्हें समायोजित किया जा सकता है। बेंच ने कहा कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई डॉक्टरों को भुगतान नहीं किया जा रहा है।
बेंच ने कहा हमने कुछ रिपोर्ट देखी कि डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। दिल्ली में कुछ डॉक्टरों को पिछले तीन महीनों से भुगतान नहीं किया गया है। यह चिंताजनक हैं जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके लिए अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
कोर्ट की बेंच ने आगे कहा कि केन्द्र सरकार को इस संकट के बीच युद्ध लड़ रहे डॉक्टरों के लिए और अधिक करना चाहिए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।
दरअसल, एडवोकेट अमित साहनी ने कोविड-19 मरीजों के इलाज में लगे स्वास्थ्यकर्मियों को उचित वेतन और क्वारंटाइन की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश देने की माँग की थी। साथ ही कहा था कि जो लोग इस संकट के बीच बिना थके, बिना हारे अपने परिवार व अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों का इलाज करने में लगे हुए हैं। ऐसे लोगों की दुर्दशा पर कोर्ट का तत्काल हस्तक्षेप आवश्यक है।
आपको बता दें कि कोरोना मरीजों के उपचार में लापरवाही और संक्रमण से मरे लोगों के शव के साथ दुर्व्यवहार पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए उससे जवाब भी मॉंगा है।
शीर्ष अदालत ने कहा है कि दिल्ली के अस्पतालों का बुरा हाल है। शवों के साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा है। कुछ शव कूड़े में मिले हैं। यह बताता है कि लोगों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया जा रहा है।