Monday, December 23, 2024
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चामुंडा मंदिर पर इस्लामी कट्टरपंथियों का प्रोपेगेंडा पुलिस ने किया फुस्स, हमला करने वाली भीड़ में मुस्लिम औरतें भी: FIR की पूरी डिटेल

मुरादाबाद में चामुंडा मंदिर के विस्तार के समय मुस्लिमों की भीड़, जिनमें महिलाएँ भी थीं, ने पुलिस और हिंदुओं पर हमला कर दिया। इसके बाद पुलिस ने मुस्लिम भीड़ को तितर-बितर किया। अब इस्लामी कट्टरपंथी और लेफ्ट लिबरल गिरोह फेक न्यूज फैला रहे हैं कि चामुंडा माता मंदिर अवैध रूप से बन रही था और पुलिस ने मुस्लिमों पर हमला किया।

मुरादाबाद में चामुंडा मंदिर के विस्तार के दौरान मुस्लिमों महिलाओं सहित उन्मादी भीड़ ने पुलिस और हिंदुओं पर हमला कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया था। अब इस्लामी कट्टरपंथी और लेफ्ट लिबरल गिरोह इसको लेकर फेक न्यूज फैला रहे हैं। उन्होंने यह फैलाना शुरू कर दिया कि मुरादाबाद पुलिस ने मुस्लिमों पर हमला किया है। इस गिरोह का कहना है कि चामुंडा मंदिर अवैध तरीके से बन रही थी, जिसका विरोध किया जा रहा था और इस दौरान पुलिस ने उनकी पिटाई की।

दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के मूढ़ापांडे थाना क्षेत्र के रौंडा में चामुंडा माता मंदिर की बाउंड्री के निर्माण को लेकर दो समुदाय के आमने-सामने आने से सांप्रदायिक तनाव फैल गया। इस दौरान मामले को शांत कराने गई पुलिस पर कट्टरपंथी मुस्लिमों ने पथराव कर दिया था। पुलिस ने अब्दुल्ला और रहीस सहित कुल 34 आरोपितों पर FIR दर्ज करके 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। घटना मंगलवार (19 दिसंबर 2023) की है।

इस मंदिर की जर्जर चारदीवारी के पुनर्निर्माण का मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया। हंगामे की सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुँच गई और निर्माण कार्य रुकवा दिया था। इस बीच 19 दिसंबर 2023 (मंगलवार) को एक बार फिर से मंदिर की चारदीवारी का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के सामने के कब्रिस्तान की बाउंड्री बनानी शुरू कर दी। इसके बाद हालात तनावपूर्ण हो गए।

सूचना पाकर मौके पर पुलिस भी पहुँची, तभी बातचीत के दौरान ही मुस्लिम पक्ष पत्थरबाजी करने लगा। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जब पुलिस ने बल प्रयोग करके उपद्रवियों को काबू करना चाहा तो पत्थरबाज पुलिस से ही भिड़ गए। पत्थरबाजी की चपेट में महिला कॉन्स्टेबल भी आई। हालाँकि, पुलिस ने उपद्रवियों पर काबू पा लिया। चौकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार की तहरीर पर कुल 34 आरोपितों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है।

इस मामले में अब इस्लामी कट्टरपंथी फेक न्यूज फैला रहे हैं। इस घटना को लेकर मुखलिफीन ए मजलिस नाम के ट्विटर हैंडल पर लिखा गया है, “यूपी पुलिस एंटी सोशल एलिमेंट्स के साथ मिलकर महिलाओं पर लाठी चार्ज क्यों कर रही है? उन ‘गुंडों’ (हिंदुओं) पर कार्रवाई करने के बजाय पुलिस लोगों की पिटाई कर रही है। इस मामले को शौकत जी (ओवैसी की AIMIM के यूपी अध्यक्ष) देखें और जरूरी कदम उठाएँ।”

इस वीडियो को शेयर करते हुए क्विंट के पत्रकार पीयूष राय ने लिखा, “पुलिसकर्मियों ने जिले के मूढ़ापांडे इलाके में एक समुदाय के धार्मिक स्थल के निर्माण का कथित तौर पर विरोध करने वाले दूसरे समुदाय के लोगों पर हमला किया। खुलेआम लाठीचार्ज किया। समूह ने पथराव भी किया, क्योंकि निर्माण को लेकर शुरुआती बहस जल्द ही बड़े विवाद में बदल गई।”

सबा खान नाम के एक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर लिखा गया, “यूपी के मुरादाबाद के मुंडापांडे कस्बे में पुलिस ने असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर मुस्लिम महिलाओं पर लाठीचार्ज किया।”

इस्लामी कट्टरपंथी फैला रहे मंदिर के अवैध होने की बात

इस्लामी कट्टरपंथी सोशल मीडिया पर इस बात को जोर-शोर से प्रसारित कर रहे हैं कि हिंदू पक्ष मुस्लिम बहुल इलाके में अवैध तरीके से मंदिर निर्माण करा रहा है। इसका मुस्लिमों ने विरोध किया और निर्माण को हटाने की माँग की तो पुलिस ने उन पर हमला किया। कट्टरपंथियों के मुताबिक, पुलिस ने ‘अल्पसंख्यकों’ की हितों की रक्षा करने के बजाय कथित तौर पर हिंदुओं के साथ मिलकर मुस्लिम महिलाओं पर हमला कर दिया।

खानाबदोश नाम के एक्स हैंडल ने लिखा, “उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का खौफनाक मंजर। मुस्लिम उस भीड़ का विरोध कर रहे थे, जो मुस्लिम बहुल इलाके में एक मंदिर का अवैध रूप से निर्माण कर रहे थे। भीड़ से जमीन के दस्तावेज माँगे जाने पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया और मुस्लिम महिलाओं एवं युवाओं की पिटाई शुरू कर दी। पीड़ित पक्षों के मुताबिक, पुलिस ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की, जबकि मंदिर की जमीन के कागजात भी नहीं दिखाए जा रहे हैं और जबरन निर्माण कराया जा रहा है।”

इस पूरे मामले में ये साफ है कि मुस्लिमों ने पहले पुलिस पर हमला किया और फिर चामुंडा माता मंदिर की चारदीवारी बना रहे हिंदुओं को निशाने पर लिया। ये मंदिर निजी जमीन पर बना है। मुस्लिमों ने इस मंदिर को अवैध बता दिया। वहीं, पुलिस ने मामले की जाँच की और पाया कि ये मंदिर निजी जमीन पर बना है, ऐसे में विरोध प्रदर्शन करने की कोई वजह नहीं है। इसके बावजूद, महिलाएँ और नाबालिग सहित मुस्लिमों की भीड़ ने मंदिर की चारदीवारी के निर्माण का विरोध किया और पुलिस के साथ ही स्थानीय हिंदुओं पर पत्थरबाजी की।

ऑपइंडिया ने इस मामले की एफआईआर की कॉपी देखी है, जिसमें साफ लिखा है कि मुस्लिम समुदाय के लोग, जिसमें महिलाएँ भी शामिल थी, उन्होंने पुलिसवालों पर पत्थरबाजी की, अधिकारियों के साथ बदतमीजी की और गाली-गलौच की।मुस्लिम भीड़ ने ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों को निशाना बनाया, जिसके बाद पुलिस ने आत्मरक्षा में सबको तितर-बितर करने की कार्रवाई की।

मुस्लिमों ने मंदिर के सामने सरकारी जमीन पर शुरू किया अवैध निर्माण, पुलिस ने रोका: FIR में जिक्र

एक तरफ लेफ्ट लिबरल गिरोह और इस्लामिक कट्टरपंथी समूह ये बात प्रचारित कर रहा है कि चामुंडा माता से जुड़ा निर्माण अवैध है, जबकि एफआईआर की कॉपी में साफ लिखा है कि मुस्लिम समुदाय ने मंदिर के सामने ही सरकारी जमीन पर कब्जा करके उस पर अवैध निर्माण शुरू कर दिया। इसमें कहा गया है कि मंदिर से सिर्फ 50 मीटर की दूरी पर सरकारी जमीन है।

एफआईआर के मुताबिक, हिंदुओं ने सरकारी जमीन पर बने मुस्लिम कब्रिस्तान की चारदीवारी बनाने का विरोध किया, जो राज्य सरकार की संपत्ति है। इस बारे में पुलिस को सूचना भी दी गई कि मुस्लिम सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं और उन्हें ऐसा करने से रोका जाए। इसके बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता का संज्ञान लिया और कार्रवाई की।

अब्दुल्ला और जैबुलनिशा नाम की महिला सहित मुस्लिम पक्ष ने पुलिस के साथ बातचीत में सहयोग नहीं किया और अपने समूह के लोगों को सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण को जारी रखने के उकसाया। उनका कहना था कि हिंदू जिस मंदिर की चारदीवारी का पुनर्निर्माण कर रहे हैं, वो अवैध है। पहले उसे रोका जाए। इस पर पुलिस ने उन्हें बताया कि मंदिर निजी जमीन पर बना है, जबकि उनके द्वारा कराया जा रहा निर्माण सरकारी जमीन पर है।

एफआईआर की कॉपी

एफआईआर की कॉपी में साफ तौर पर लिखा है कि 19 दिसंबर को दोपहर 12.30 बजे आरोपित, जिनमें महिलाएँ भी शामिल हैं, इकट्ठा हुए और उनके समुदाय द्वारा सरकारी जमीन पर कराए जा रहे अवैध निर्माण को सही ठहराना और मंदिर के निर्माण कार्य का विरोध करना शुरू कर दिया। पुलिस ने सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

हालाँकि, महिलाओं सहित 19 लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया। उन पर पथराव के साथ ही पुलिस अधिकारियों के साथ गाली-गलौच की गई। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर किया और 5 आरोपितों को मौके से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आत्मरक्षा में ये कदम उठाया। इस मामले में 14 अन्य लोगों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई है।

एफआईआर की कॉपी में जैबुलनिशा के साथ ही 19 लोगों के नाम

पुलिस ने इस मामले में जिन 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, उसमें जैबुलनिशा नाम की महिला का भी नाम शामिल है। वो खुद को वकील बता रही है और उसने पुलिस की चेतावनी के बावजूद मुस्लिमों से निर्माण कार्य जारी रखने के लिए उकसाया। जैबुनिशा ने मंदिर के पहले से बने होने को स्वीकार किया, साथ ही यह भी कहा कि हिंदू पक्ष मंदिर का विस्तार कर रहा है।

हालाँकि, पुलिस ने ऑपइंडिया के साथ बातचीत में साफ कहा कि हिंदू पक्ष अपनी जमीन पर निर्माण कार्य करवा रहा था और ये काम गैर-कानूनी नहीं था। मुरादाबाद पुलिस के एडिशनल एसपी ने ऑपइंडिया से बातचीत में कहा, “दूसरे समुदाय के लोगों ने हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मामले की जाँच जारी है।”

Additional SP of Moradabad police on Chamunda Mata temple issue from OpIndia Videos on Vimeo.

मुरादाबाद पुलिस द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में जो 19 नाम हैं, उनमें अब्दुल्लाह, रहीस, इसरार, फहीम, तौसीब, जैबुलनिशा (महिला), नवीश, मुजम्मिल, नवेज, कामिल, मासू अली, इलियास, रविक, रिहान, कर्रार, जावेद, नजाकत, नादिर, जाबिर और 15-20 अन्य अज्ञात लोग हैं। पुलिस ने बताया है कि महिला समेत आरोपितों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की। महिला खुद को वकील बता रही है।

एफआईआर में जैबुनिशा का नाम भी शामिल

पुलिस ने इस मामले में अब तक अब्दुल्लाह, रहीस, इसरार, फहीम और तौसीब को गिरफ्तार कर लिया है। बाकी आरोपितों की तलाश की जा रही है और उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। एफआईआर सुरेंद्र सिंह नाम के एक पुलिसकर्मी की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है। 

पुलिस ने IPC की धारा 147 (दंगा फैलाना), धारा 148 (जानलेवा हथियारों के साथ दंगा करना), 149 (गैरकानूनी रूप से जमा होना), 332 (सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा पहुँचाना), 353 (शांति भंग करने के उद्देश्य से गाली-गलौच करना) और 506 (आपराधिक कृत्य को अंजाम देना) जैसी धाराओं में केस दर्ज किया है। साथ ही आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 1932 की धारा 7 भी लगाई है। 

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Siddhi Somani
Siddhi Somani
Siddhi is known for her satirical and factual hand in Social and Political writing. After completing her PG-Masters in Journalism, she did a PG course in Politics. The author meanwhile is also exploring her hand in analytics and statistics. (Twitter- @sidis28)

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