राजस्थान हाईकोर्ट ने राजधानी जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट के सभी 4 दोषियों को बरी कर दिया है। इसके साथ ही जाँच अधिकारियों के खिलाफ जाँच का निर्देश दिया है। आरोपितों के खिलाफ पुलिस अदालत के समक्ष पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई। बता दें कि 13 मई 2008 को जयपुर में कई बम ब्लास्ट किए गए थे, जिनमें 71 लोग मारे गए थे।
मामले के सभी आरोपितों की अपीलों पर सुनवाई करने के दौरान जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की खंडपीठ ने कहा कि जाँच अधिकारी को कानून की जानकारी नहीं है। कोर्ट ने जाँच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य के DGP को भी निर्देश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को भी जाँच अधिकारियों की जाँच कराने के लिए कहा है।
इस मामले में फाँसी की सजा पाए चारों आरोपितों सहित 28 अपीलों पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। कोर्ट ने ATS द्वारा दिए गए सबूतों को खारिज करते हुए कहा कि ये सबूत भरोसे के लायक नहीं हैं।
बता दें कि 13 मई 2008 को जयपुर में 8 जगहों पर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। इन धमाकों में 71 लोगों की मौत हो गई थी और 185 लोग घायल हो गए थे। इस मामले में पुलिस ने मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और मोहम्मद सलमान सहित 13 लोगों को आरोपित बनाया था। इसके बाद कोर्ट ने इन चारों को हत्या, राजद्रोह और विस्फोटक अधिनियम के तहत दोषी पाया था।
इस मामले में 3 आरोपित अभी भी फरार हैं। इन सबके अलावा, 3 आरोपित हैदराबाद और दिल्ली की जेल में बंद हैं। बाकी बचे दो आरोपित दिल्ली के बाटला हाउस मुठभेड़ में मार गिराए गए थे। वहीं, चार आरोपित जयपुर जेल में बंद थे। इन्हीं चार लोगों को निचली अदालत ने फाँसी की सजा सुनाई थी।
पुलिस ने साल 2008 में यूपी के मौलवीगज निवासी शाहबाज हुसैन, आजमगढ़ के सरायमीर निवासी मोहम्मद सैफ को गिरफ्तार किया गया था। आजमगढ़ के चाँदपट्टी निवासी मोहम्मद सरवर आजमी और सैफ उर्फ सैफुर्रहमान को साल 2009 में तथा यूपी के निजामाबाद निवासी मोहम्मद सलमान को साल 2010 को गिरफ्तार किया था।
निचली अदालत में सुनवाई में 24 गवाह बचाव पक्ष ने पेश किए थे, जबकि सरकार की ओर से 1270 गवाह पेश हुए थे। सरकार की ओर से वकीलों ने 800 पेज की बहस की थी। कोर्ट ने 2500 पेज का फैसला सुनाया था। इस तरह कोर्ट ने दिसंबर 2019 में चार दोषियों को फाँसी की सजा दी।
सजा सुनाते वक्त कोर्ट ने कहा था कि विस्फोट के पीछे जेहादी मानसिकता थी। यह मानसिकता यहीं नहीं थमी। जयपुर हमले के बाद आरोपितों ने दिल्ली और अहमदाबाद में भी विस्फोट किए। तब से ये आरोपित फाँसी की प्रतीक्षा में जेल में बंद थे।