दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने अडानी पावर (Adani Power) नाम की कंपनी को बिना अधिग्रहण किए निजी जमीन को पट्टे पर देने और बाद में उस पर खनन करने से रोकने पर झारखंड (Jharkhand) की हेमंत सोरेन सरकार (Hemant Soren Government) को कड़ी फटकार लगाते हुए इसे धोखाधड़ी बताया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के इस रवैए के कारण कोई भी उद्योगपति झारखंड में आकर निवेश नहीं करना चाहता।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल (DN Patel) और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा (Neena Bansal Krishna) की खंडपीठ ने झारखंड सरकार से कहा, “यह धोखाधड़ी है। आपने जमीन का अधिग्रहण नहीं किया, फिर भी आपने निजी जमीन याचिकाकर्ता (अडानी) को दे दी। आप उस संपत्ति को पट्टे पर कैसे दे सकते हैं, जो आपकी है ही नहीं?” कोर्ट ने कहा कि पिछले साल सितंबर में नोटिस जारी करने के बावजूद सरकार की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया।
Jharkhand govt committed fraud by leasing out mining land to Adani sans required permissions: Delhi High Court
— Bar & Bench (@barandbench) March 3, 2022
report by @prashantjha996
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उच्च न्यायालय ने कहा कि वह राज्य सरकार के उन अधिकारियों के खिलाफ भी प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश देगा, जिन्होंने इन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे। इसके साथ ही कोर्ट ने झारखंड के मुख्य सचिव (Chief Secretary) से इसकी कीमत वसूल करने की धमकी दी है।
मुख्य न्यायाधीश ने झारखंड सरकार से कहा, “आपने 92.5 करोड़ रुपए लेकर वह जमीन दी है, जिसका अधिग्रहण किया जाना बाकी है और जो वन भूमि है। केवल 17 हेक्टेयर सरकार का है और वह भी जंगल है। आपने वादा की गई जमीन का केवल 2% या 3% दिया है और आपने 92.5 करोड़ रुपये ले लिए। यह एक आपराधिक कृत्य है।”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “मैं आपके अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश पारित करूँगा। यह धोखाधड़ी है। यह कैसा राज्य है, जहाँ याचिकाकर्ता को ऐसी जमीन दी गई है, जिसका अभी अधिग्रहण किया जाना बाकी है।” कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का एक मौका देने की बात कही और अगली सुनवाई के लिए 29 मार्च की तारीख तय की।
झारखंड सरकार पर आरोप है कि साल 2015 में जीतपुर कोयला ब्लॉक में 295 हेक्टेयर भूमि अडानी को खनन के लिए पट्टे पर दी थी। इसके लिए अडानी पावर ने राज्य सरकार को 92.90 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी दी थी। बाद में पता चला कि इस कोयला ब्लॉक का लगभग 141 हेक्टेयर वन भूमि और 137 हेक्टेयर निजी भूमि है। वहीं, सरकार के 17 हेक्टेयर की हिस्से की भूमि का एक बड़ा हिस्सा भी वन भूमि के अंतर्गत आता है।
बाद में झारखंड सरकार ने यह कहते हुए खनन पर रोक लगा दिया कि वन विभाग से मंजूरी नहीं मिली है। साथ ही निजी भूमि के लिए भूमि अधिग्रहण समाप्त हो गया है और इसके लिए नए सिरे से कार्यवाही की जरूरत है।
इस मामले में अडानी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सितंबर में एक अंतरिम आदेश पारित किया था और अधिकारियों को अडानी के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया गया था। इसके साथ ही अडानी द्वारा दिए गए बैंक गारंटी को भी भुनाने से राज्य को रोक दिया था।