उन्होंने बताया कि JMM और कॉन्ग्रेस ने इन घुसपैठियों को झारखंड में स्थानीय बनाया, फिर यहाँ बसकर इन्होंने जनजातीय लड़कियों को ठगा और उनसे शादी करके न केवल झारखंडियों की जमीनें हड़पीं बल्कि रोजी रोटी तक छीन ली। पीएम मोदी कहते हैं कि बावजूद इतना सब होने के राज्य सरकार ने कोर्ट में दोहरा रवैया दिखाते हुए कहा कि झारखंड में कोई घुसपैठ हुई ही नहीं है।
JMM-कांग्रेस के राज में आज झारखंड में जिस बड़े पैमाने पर विदेशियों की घुसपैठ हो रही है, उससे यहां के मेरे भाई-बहनों को बचाना है। pic.twitter.com/9gqaCcKMWz
— Narendra Modi (@narendramodi) November 13, 2024
बता दें कि राज्य की सोरेन सरकार इस गंभीर मुद्दे से जहाँ आँख मूँदे बैठी है वहीं भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में इस समस्या से निपटने का वादा किया है। उन्होंने अपने संकल्प पत्र में झारखंड में उद्योगों, खदानों के कारण विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए आयोग का गठन करने को तो कहा ही है। साथ ही भाजपा ने झारखंड में घुसपैठियों से जमीन वापस लेने के लिए कानून बनाने, हिंदुओं पर होने वाले हमले, अत्याचार और चरम पर पहुँचे तुष्टीकरण को रोकने का वादा भी किया है।
भाजपा के इस प्रकार इस मुद्दे के उठाने के बाद घुसपैठ की हकीकत पर स्थानीय भी मुखर होकर बोलने लगे हैं। बीते कई दिनों से ऐसी कई रिपोर्टें आई जिनमें स्थानीयों ने बदलती डेमोग्राफी और उससे उत्पन्न समस्याओं को खुलकर मीडिया के सामने रखा। जैसे रिपब्लिक वर्ल्ड पर प्रकाशित एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में साहिबगंज और पाकुर जिलों में हो रही अवैध घुसपैठ की बात सामने आई।
Pakur, Jharkhand : Bangladeshi infiltrators had grabbed lands belonging to tribal Hindus and when locals opposed them, IsIamists beat them badly..
— Mr Sinha (@MrSinha_) July 20, 2024
Where are self proclaimed messiahs of Tribals?pic.twitter.com/I6vhQ2YZcS
स्थानीयों ने बताया कि घुसपैठिए झारखंड के जनजातीय जिलों को निशाना बना रहे हैं। वो केवल फर्जी आधार कार्ड लेकर राज्य में नहीं घुस रहे बल्कि उनका मकसद तो जमीन हड़पना और लोगों में डर बैठाना है। पहले उनके निशाने पर सिर्फ जनजातीय समाज था, मगर अब उनकी बढती आबादी का असर हिंदुओं पर भी पड़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार रिपब्लिक की विशेष जाँच टीम से बात करते हुए एक स्थानीय महिला ने बताया, “पहले यहाँ जंगल हुआ करता था, लेकिन अब यहाँ सिर्फ मुसलमानों के घर हैं। यहाँ महिलाएँ नौकरी की तलाश में जाती हैं, लेकिन बदले में उन्हें अपनी जमीन देने को कहा जाता है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए कोई जगह नहीं बची है।”
गाँव के मुखिया देबू ने बताया, “ये लोग पहले गरीब जनजातीय महिलाओं से शादी करते हैं फिर परिवार से जमीन पर माँगते हैं।” वहीं, अन्य निवासियों ने बताया कि पिछले महीने इन्हीं घुसपैठियों ने एक गाय की हत्या की और जब उन लोगों ने ऐसा करने से मना किया तो उन्हें ये कहकर धमकाया गया- हम तो इसे काटेंगे, तुम क्या कर लोगे?
इसी तरह कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर झारखंड में चुनावी रिपोर्टिंग करने गईं अदिति त्यागी की रिपोर्ट वायरल हुई थी। रिपोर्ट मधुपुर से थी। जहाँ अदिति त्यागी से बात करते हुए बुजुर्ग ने भावुक बताते होकर बताया था कि कैसे मुस्लिम आबादी उन लोगों को कुएँ से पानी नहीं भरने देते और उनके मुस्लिम मंत्री हफीजुल अंसारी द्वारा कहा जाता है कि वो हिंदू हैं इसलिए पानी नहीं ले सकते।
गौरतलब है कि डेमोग्राफी में आए बदलाव का मुद्दा कोर्ट में भी है। याचिका डालते हुए याचिकाकर्ता ने बताया था कि कैसे समय के स्थिति बद्तर हो रही हैं। बॉर्डर इलाकों से घुसपैठिए झारखंड में एंट्री ले रहे हैं और राज्य की जनसांख्यिकी बदल रही है।
Demographic takeover you're not being told about:
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) August 14, 2024
In Jharkhand the ST population in the Santhal Pargana region has fallen from 44.6% between 1951-2011 to 28.1% and the Muslim population (predominantly on back of covert legalization of Bangladeshi Muslim infiltrators) has… pic.twitter.com/XtKaGDngOr
रिपोर्ट्स के अनुसार तो संथाल परगना जैसे इलाकों में तो डेमोग्राफी में आया बदलाव बहुत बड़ा है। सितंबर में आई रिपोर्ट्स बताती हैं कि पहले वहाँ जनजातीय समाज की हिस्सेदारी 44 फीसदी थी लेकिन अब ये घटकर 28 फीसदी रह गई है। वहीं प्रमंडल के छह जिलों की डेमोग्राफी में मुस्लिम 20 से 40 फीसदी बढ़े हैं। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी पाकुड़ और साहिबगंज में ही हुई है। ये लोग यहाँ आकर मदरसे बनाते हैं, स्थानीय लड़कियों से शादी करते हैं और फिर यहाँ बसने के बाद अब एजेंडा चलाना शुरू करते हैं।