Sunday, November 24, 2024
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‘मारो साले को’ – भीड़ में शामिल लड़की ने दिया आदेश और सब मुझ पर टूट पड़े: JNU का नेत्रहीन छात्र

"भीड़ का नेतृत्व करने वाले को सब पता था कि इस हॉस्टल के किस कमरे में कौन रहता है। दहशत का आलम ये है कि आज भी छात्र अकेले में बाथरूम वगैरह जाने से डर रहे हैं। छात्र अकेले कहीं भी जाने से बच रहे हैं।"

जेएनयू में रविवार (जनवरी 5, 2020) को बड़ी हिंसा हुई थी, जिसमें वामपंथी गुंडों ने छात्रों के हॉस्टल में घुस कर पिटाई की थी। गीता कुमारी, आईसी घोष और कॉमरेड चुनचुन सहित कई वामपंथी छात्र नेताओं के संदिग्ध वीडियो सार्वजनिक हो चुके हैं। पीड़ित छात्रों में एक नेत्रहीन छात्र भी हैं, जिन्हें सिर्फ़ इसीलिए पीटा गया क्योंकि उनके कमरे के बाहर बाबासाहब आंबेडकर का चित्र लगा हुआ था। उस पीड़ित छात्र का अधिक परिचय हम आपको आगे देंगे लेकिन ये बताना ज़रूरी है कि उसके बयानों से ये स्पष्ट हो जाता है कि हिंसक भीड़ ने चुन-चुन कर एबीवीपी के छात्रों को निशाना बनाया।

ऑपइंडिया ने जनवरी 5, 2020 को जेएनयू कैम्पस में हुई हिंसा को लेकर एक दिव्यांग छात्र सूर्य प्रकाश से बातचीत की। सूर्य प्रकाश नेत्रहीन हैं और जेएनयू में पढ़ते हैं। सूर्य प्रकाश ने बताया कि वो किसी राजनीतिक दल में सक्रिय नहीं है और उन्होंने एक सामान्य छात्र के रूप में ऑपइंडिया के समक्ष अपनी बात रखी। सूर्य प्रकाश ‘संस्कृत अध्ययन केंद्र’ में रिसर्च कर रहे हैं और उनका प्रथम वर्ष चल रहा है। डीयू के सेंट स्टीफेंस से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके सूर्य प्रकाश ने मास्टर्स भी जेएनयू से ही पूरा किया है। वो यूपी के देवरिया जिले के निवासी हैं।

सूर्य प्रकाश ने बताया कि उनके कमरे के बाहर बाबासाहब भीमराव आंबेडकर का चित्र लगा है, जिसे उकेरा गया है। उनके कमरे के भीतर भी आंबेडकर के चित्र लगे हुए थे। उन्होंने बताया कि इन सभी चित्रों से उनका कोई वास्ता नहीं है क्योंकि उनके ही शब्दों में वो ‘चित्रों के संसार से परे आवाज़ की दुनिया में रहने वाले व्यक्ति’ हैं। उन्होंने बताया कि वो पूरी तरह नेत्रहीन हैं। जेएनयू में हुई हिंसा की बात करते हुए सूर्य प्रकाश ने बताया कि वो अपने कमरे में अगस्त 5, 2019 को शिफ्ट हुए थे। वो यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे हैं।

कमरे के चित्र व अन्य स्थितियों के बारे में सूर्य प्रकाश ने कहा था कि उनसे पहले जो उनके सीनियर यहाँ रहते थे, उन्होंने ही ये सब लगाया होगा। उन्होंने बताया कि इन्हीं चित्रों की वजह से राजनीति की जा रही है। उन्होंने बताया कि जनवरी 5, 2020 को जेएनयू में एक भीड़ ने आकर लोगों की पिटाई की। उन्होंने आगे जानकारी दी कि उस दिन वो दोपहर को जैसे ही अपने कमरे में आए, तभी शाम 4 बजे एक भीड़ हॉस्टल में घुस गई। भीड़ से लगातार ‘कहाँ हैं एबीवीपी वाले’ और ‘पंडित कहाँ गया?’ जैसे शोर सुनाई दे रहे थे।

सूर्य प्रकाश ने ऑपइंडिया से बातचीत के दौरान किया बड़ा खुलासा

हॉस्टल वार्डन के हवाले से सूर्य प्रकाश ने बताया कि साबरमती छात्रावास के सामने पुलिस को तैनात कर दिया गया था। उन्होंने अन्य लोगों के हवाले से बताया कि जब भीड़ आई, तब पुलिस वाले वहाँ नहीं थे। उन्होंने बताया कि उनके कमरे के खिड़की के शीशे फोड़ डाले गए। उन्होंने बताया कि शाम 6 बजे वो भीड़ उनके कमरे में घुसी। उन्होंने बताया कि जब भी वो उस घटना को याद करते हैं, उनकी रूह तक काँप जाती है। भीड़ के लोगों ने उनके कमरे के दरवाजे को तोड़ते हुए माँ-बहन की गालियाँ भी बकीं। सूर्य प्रकाश ने बताया कि उन्हें उनके साथियों ने बताया कि उनके कमरे में आंबेडकर का चित्र होने के कारण उन्हें निशाना बनाया गया।

सूर्य प्रकाश ने वामपंथियों द्वारा की गई हिंसा का विवरण देते हुए आगे बताया कि भीड़ ने उनके कमरे में घुस कर रॉड से खिड़की के शीशे पर जोरदार प्रहार किया। रॉड सीधे उनके सिर पर आकर लगा और उन्हें काफ़ी चोट पहुँची। उन्होंने बताया कि जब ये सब हुआ, तब वो कमरे की कुण्डी बंद कर के अपने लैपटॉप पर पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वो अपने जैकेट की टोपी पहने हुए थे, नहीं तो उनका सिर फूट सकता था। उन्होंने कहा कि जब वो ख़ुद को बचाने की कोशिश करते हुए अपने लैपटॉप को बचा रहे थे, तब तक उन पर ताबड़तोड़ 8-10 रॉड बरसा दिए गए।

सूर्य प्रकाश ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि हिंसक भीड़ में अधिकतर लोगों ने शराब पी रखी थी। उन्होंने बताया कि वो अपने नेत्रहीन होने की बात करते हुए दया की भीख माँगते रहे लेकिन उन्हें नहीं छोड़ गया। बकौल सूर्य प्रकाश, उनकी मिन्नतों को सुन कर भीड़ में शामिल एक लड़की ने कहा- “मार साले को” और वो उन पर टूट पड़े। उन्होंने कहा कि उनकी पिटाई के बाद भीड़ के लोग कमरा संख्या 156 में जाने की बात कर रहे थे। सूर्य प्रकाश ने अंदेशा जताया कि उस भीड़ का नेतृत्व कोई ऐसा व्यक्ति कर रहा था, जो इस छात्रावास की पूरी डिटेल जनता था। उन्होंने आगे बताया:

“भीड़ का नेतृत्व करने वाले को सब पता था कि इस हॉस्टल के किस कमरे में कौन रहता है। पूरे छात्रावास में फूटे हुए शीशों के टुकड़े फैले हुए थे। भागदौड़ में कई छात्रों को चोटें आईं। दहशत का आलम ये है कि आज भी छात्र अकेले में बाथरूम वगैरह जाने से डर रहे हैं। छात्र अकेले कहीं भी जाने से बच रहे हैं। अभी तक पुलिस ने भी मुझे कोई मदद नहीं दी है। मुझे अब किसी से कोई उम्मीद नहीं है। जेएनयू के हेल्थ सेंटर में मुझे ‘मूव क्रीम’ तक नहीं मिला, जिससे मेरा दर्द कम हो सके। नेत्रहीनता मेरे लिए एक तरह की बाधा है लेकिन मैंने अपने लक्ष्य में इसे आड़े नहीं आने दिया है। आप सोच सकते हैं मुझे कितनी परेशानी हुई होगी।”

सुनसान पड़े जेएनयू में अभी भी डर का माहौल

सूर्य प्रकाश ने बताया कि जेएनयू में कई दिनों से हिंसा की वारदातें हो रही थीं। उन्होंने बताया कि भीड़ के लोग हिंदी और अँग्रेजी में बातें कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भीड़ का जो व्यक्ति नेतृत्व कर रहा था, वो व्यक्ति गुंडों को निर्देशित कर रहा था कि कहाँ हमला करना है और कहाँ नहीं। उन्होंने बताया कि इस कांड में कई ऐसे लोगों के हाथ हैं, जो आसपास के रहने वाले लोग ही हैं। सूर्य प्रकाश ने दावा किया कि भीड़ को आंबेडकर के चित्र से समस्या थी, जिस कारण उन्हें पीटा गया।

बकौल सूर्य प्रकाश, वो संस्कृत पढ़ रहे हैं इसका मतलब ये नहीं है कि वो एबीवीपी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि हॉस्टल फी बढ़ाने को लेकर हुए आंदोलन से लेकर अन्य प्रदर्शनों तक, उन्होंने कहीं भी हिंसा नहीं लिया। सूर्य प्रकाश ने बताया कि छात्रों को माँ-बाप ने पढ़ाई के लिए भेजा है, आंदोलन और विरोध प्रदर्शन करने के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि ‘जय श्री राम’ या ‘जय भीम’ जैसे नारों से किसी पर राजनीतिक दलों या संगठनों से जुड़ा होने का ठप्पा लगाना सही नहीं है।

(नोट: नेत्रहीन व्यक्ति भी कई ‘Assistive Technology’ के जरिए लैपटॉप और फोन इत्यादि उपकरणों का प्रयोग करते हैं।)

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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