एक बार फिर से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) चर्चा में है। इस बार वहाँ पर बाबरी मस्जिद के समर्थन में प्रदर्शन किया गया है। सोमवार (6 दिसंबर) को यह आयोजन JNU छात्रसंघ की तरफ से हुआ था। वायरल हो रहे वीडियो में इसे इन्साफ की लड़ाई बताया जा रहा है।
Rebuild Babri Masjid. Punish Culprits: JNUSU (JNU students union) VP, Saket Moon pic.twitter.com/U4cssJAYpI
— MeghUpdates🚨™ (@MeghBulletin) December 7, 2021
इस वीडियो में JNUSU उपाध्यक्ष साकेत मून को कथित रूप से कहते सुना जा सकता है, “उन्हें सज़ा के साथ-साथ मुआवजा भी देना पड़ेगा। आपको ये कहना पड़ेगा कि जो बाबरी मस्जिद गिराया गया, वह गलत गिराया गया। इसीलिए इंसाफ होगा कि बाबरी फिर से बनाई जाए। इस इंसाफ के लिए लड़ाई है।” इस दौरान पीछे से जोर-जोर से तालियाँ बजती हैं। वीडियो में कुछ लोगों को हाथों में पोस्टर भी ले कर देखा जा सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बाबरी के समर्थन में यह जमावड़ा गंगा ढाबा पर लगा था। समय रात के लगभग 8 बजकर 30 मिनट का था। यह सभी वामपंथी विचारधारा के छात्र बताए जा रहे हैं जिन्होंने बाद में जुलूस की शक्ल में चंद्रभागा हॉस्टल पर एक सभा के रूप में सम्बोधन दिया। इस दौरान ”नहीं सहेंगे हाशिमपुरा, नहीं सहेंगे दादरी, फिर बनाओ, फिर बनाओ बाबरी” जैसे नारे लगने की खबर है।
JNU की इस नारेबाजी का विरोध शुरू हो गया है। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने वीडियो जारी करते हुए कहा, “इससे पहले भी JNU में आतंकियों के समर्थन में नारेबाजी होती रही है। ये विषैली सोच है कि ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं। दोबारा बाबरी को बनाने का सपना देखने की कोई गलती न करे। इस देश में 47 हजार हिन्दू मंदिरों को तोड़ा गया है। इन 47 हजार पापों में से अभी तक सिर्फ एक पाप उतर पाया है। मथुरा, काशी और तमाम अभी अधूरे हैं।”
बाबरी दुबारा बनाने का सपना देखने वालो, अभी बहुत से पुराने पापों का हिसाब बाकि है pic.twitter.com/8PFPMEgo6i
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) December 7, 2021
गौरतलब है कि जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष साकेत मून ने ही 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर ‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित करने का फैसला किया था। जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे रद्द करने के लिए कहा था। JNU प्रशासन ने इसे सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने वाली हरकत बताया था। हालाँकि इस रोक के बाद भी वामपंथी छात्र संघ ने शनिवार (4 दिसंबर 2021) को विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की थी।