जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने आरटीआई के नाम पर अफवाह फैलाने वालों को करारा जवाब दिया है। जेएनयू में सर्वर रूम में वामपंथियों ने जम कर तोड़फोड़ मचाई थी, ताकि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी न की जा सके। बाद में सीसीओटीवी फुटेज में क़ैद अपनी करतूतों को छिपाने के लिए भी वामपंथियों ने सर्वर रूम में कम्युनिकेशन सिस्टम को तहस-नहस कर दिया। जेएनयू ने तभी पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी थी, जब पहली बार सर्वर रूम में तोड़फोड़ मचाई गई थी।
अब जेएनयू ने कहा है कि आरटीआई में एक ‘ख़ास जगह’ को लेकर जानकारी माँगी गई थी। अब जेएनयू ने इस आरटीआई के जवाब को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है। जेएनयू ने कहा है कि आरटीआई में किसी ‘स्पेसिफिक लोकेशन’ के लिए जानकारी माँगी गई थी। जेएनयू ने पुलिस व जाँच एजेंसियों के समक्ष जो शिकायत दर्ज कराई थी, वो सभी सार्वजनिक हो चुकी हैं, ऐसे में एक आरटीआई के नाम पर अफवाह फैलाने वालों को जेएनयू के इस बयान से काफ़ी धक्का लगा है।
बता दें कि 5 जनवरी को जेएनयू के हॉस्टलों में घुस कर वामपंथियों ने तांडव मचाया था। एबीवीपी के छात्रों को चुन-चुन कर पीटा गया था और कइयों का सिर लोहे के रॉड से प्रहार कर तोड़ दिया गया था। वामपंथी गुंडों का नेतृत्व करती हुई जेएनयू छात्र संगठन की वर्तमान अध्यक्ष आईसी घोष और पूर्व अध्यक्ष गीता कुमार के वीडियो वायरल हुए थे। नकाबपोश वामपंथी बदमाशों ने महिलाओं तक को नहीं बख्शा था। कॉमरेड चुनचुन को डंडा और पत्थर लेकर हिंसा करते हुए देखा गया था।
JNU clarifies on media reports on RTI filed over 3rd Jan incident at Comm&Info Services Data Centre premises.Reply of RTI was provided relating to the specific location and questions sought by the RTI applicant. All FIRs& other complaints filed with police are in-line with facts.
— ANI (@ANI) January 22, 2020
दरअसल, सर्वर रूम में तोड़फोड़ मचाने का असली उद्देश्य ये था कि जो छात्र पढ़ना चाहते हैं, वो रजिस्ट्रेशन ही न कर पाएँ। साथ ही ऐसे छात्रों को रोकने के लिए उनसे मारपीट भी की गई थी। सीसीटीवी फुटेज को तहस-नहस करने के लिए वामपंथियों ने दोबारा सर्वर रूम में घुस कर सिस्टम को तबाह करने के लिए तोड़फोड़ मचाई। इस मामले में दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच की जाँच चल रही है।