Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाजJNU हिंसा की जाँच में भी रोड़े डाल रहे वामपंथी, प्रोफेसरों की 5 सदस्यीय...

JNU हिंसा की जाँच में भी रोड़े डाल रहे वामपंथी, प्रोफेसरों की 5 सदस्यीय समिति के विरोध में JNUTA

इस समिति में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी टीचर्स फेडरेशन (JNUTF) के सदस्यों को शामिल किया गया है। इनमें, प्रोफ़ेसर सुशांत मिश्रा, मज़हर आसिफ़, सुधीर प्रताप सिंह, संतोष शुक्ला और भसवती दास शामिल हैं।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में रविवार (5 जनवरी) को साबरमती हॉस्टल में नक़ाबपोश बदमाशों की हिंसा के कारणों का पता लगाने के लिए कुलपति एम जगदीश कुमार ने पाँच सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी टीचर्स फेडरेशन (JNUTF) के सदस्यों को शामिल किया गया है। इनमें, प्रोफ़ेसर सुशांत मिश्रा, मज़हर आसिफ़, सुधीर प्रताप सिंह, संतोष शुक्ला और भसवती दास शामिल हैं।

ख़बर के अनुसार, कुलपति द्वारा जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि यह समिति हिंसा के कारणों का पता लगाकर जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके अलावा, कुलपति ने कहा कि यदि सुरक्षा में किसी भी तरह की चूक हुई होगी, तो समिति छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उचित उपायों की सिफ़ारिश भी करेगी।

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (JNUTA) ने कुलपति द्वारा नियुक्त की गई जाँच समिति के सदस्यों के चयन पर सवाल उठाए हैं। सेंटर फॉर कॉपरोटेविव पॉलिटिक्स एंड पॉलिटिकल थ्योरी स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर मोहिंदर सिंह ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सुलह का रास्ता दिखाया था। उससे पहले कुलपति द्वारा अपने लोगों को शामिल कर समिति का गठन करना ठीक नहीं। उन्होंने जाँच समिति की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए हैं। JNUTA वैचारिक रूप से JNUTF का विरोधी माना जाता है।

JNUTF के वरिष्ठ सदस्य और स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ के डीन अश्विनी महापात्रा ने बताया कि जाँच समिति का गठन JNU के छात्रों को राष्ट्रहित में काम करने के लिए किया गया। जिस तरह से विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नकारात्मक मुद्दों को लेकर चर्चा में बना हुआ है उससे हम आहत हैं। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि JNU को लेकर नकारात्मक धारणाएँ बदल जाएँ। आने वाले दिनों में, हमारे पास कैंपस के लिए कई कार्यक्रम हैं। उन्होंने प्रदर्शनकारी छात्रों के सन्दर्भ में कहा कि हमें उनके प्रदर्शनों से समस्या नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि छात्र राजनीतिक हकीकत और अपने विरोध की सीमाओं को समझें।

अश्विनी महापत्रा का कहना है कि वो कुलपति से केवल औपचारिक बैठकों में ही मिलते हैं। इस दौरान उनकी चर्चा का विषय विश्वविद्यालय की जगह को सभी के लिए एकसमान रूप से उपलब्ध कराना होता है, जिसमें नियमित तौर पर अनुसंधान की अनुमति देना भी शामिल है। बता दें कि JNUTF ने पिछले महीने JNUTA की कमियों के चलते ख़ुद को उससे अलग कर लिया था।

प्रियंका गाँधी की खुली पोल-पट्टी, देखिए JNU हिंसा में घायल छात्र से कैसे मुँह मोड़ा

‘काट के लेंगे आजादी’: JNU के छात्र कर रहे थे प्रदर्शन, युवती ने IPS अधिकारी को काटा

JNU की प्रोफ़ेसर का खुलासा: छात्रसंघ की लड़कियों तक ने की मारपीट और तोड़फोड़

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कश्मीर को बनाया विवाद का मुद्दा, पाकिस्तान से PoK भी नहीं लेना चाहते थे नेहरू: अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा, अब 370 की वापसी चाहता...

प्रधानमंत्री नेहरू पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर सौंपने को तैयार थे, यह खुलासा अमेरिकी दस्तावेज से हुआ है।

‘छिछोरे’ कन्हैया कुमार की ढाल बनी कॉन्ग्रेस, कहा- उन्होंने किसी का अपमान नहीं किया: चुनावी सभा में देवेंद्र फडणवीस की पत्नी को लेकर की...

कन्हैया ने फडणवीस पर तंज कसते हुए कहा, "हम धर्म बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और डेप्युटी सीएम की पत्नी इंस्टाग्राम पर रील बना रही हैं।"

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -