साल 2019 के दिसम्बर माह में दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा की सुनवाई करने वाले जज ने खुद को केस से अलग कर लिया है। जज के मुताबिक, उन्होंने ये फैसला अपने निजी कारणों के चलते लिया है। जज का नाम अरुल वर्मा है, जो साकेत कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हैं। न्यायाधीश ने इस फैसले की जानकारी शुक्रवार (10 फरवरी 2023) को कोर्ट रूम से साझा की है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शुक्रवार को इस केस की सुनवाई कोर्ट में शुरू होने जा रही थी। इस दौरान एक आरोपित की तरफ से वकील दीक्षा द्विवेदी मौजूद थीं। वकील दीक्षा ने बताया कि सुनवाई शुरू होने से पहले ही न्यायाधीश अरुल वर्मा ने खुद को इस केस से अलग करने की कोर्ट में ही जानकारी दी।
दीक्षा के मुताबिक, जब उन्होंने जज के इस फैसले को दुखद बताया तब न्यायाधीश ने उन्हें तंत्र और न्याय व्यवस्था पर विश्वास रखने की सलाह दी। बताया जा रहा है कि इस केस से खुद को हटाने का निर्णय न्यायाधीश अरुल वर्मा ने अपना निजी फैसला बताया।
बताया जा रहा है कि न्यायाधीश अरुल वर्मा द्वारा केस से खुद हटने के बाद किसी और जज से सुनवाई कराए जाने की प्रार्थना साकेत कोर्ट के जिला जज के पास भेजी गई है। इस प्रार्थना पत्र पर अगली सुनवाई की तारीख सोमवार (13 फरवरी 2023) को तय हुई है। अरुल वर्मा की कोर्ट में जामिया से जुड़े 2 केसों की सुनवाई हो रही है। ये हिंसा क्रमशः 13 और 15 दिसंबर को हुई थी।
गौरतलब है कि 4 फरवरी 2023 को न्यायाधीश अरुल वर्मा की कोर्ट ने ही शरजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इक़बाल तनहा के साथ 8 अन्य आरोपितों को हिंसा के एक केस में बरी कर दिया था। यह फैसला देते हुए न्यायाधीश ने दिल्ली पुलिस द्वारा आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त सबूत न दे पाने को वजह बताई थी।
अपनी टिप्पणी में न्यायाधीश अरुल वर्मा ने यह भी कहा था कि बरी किए गए आरोपितों को फँसाकर हिंसा के मुख्य सूत्रधार को बचाने का रास्ता बना दिया गया है। हालाँकि, दिल्ली पुलिस ने साकेत कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर हाईकोर्ट सुनवाई के लिए तैयार भी हो गया है।