हिन्दू महासभा के सदस्य और हिन्दू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ में नए नए खुलासे हो रहे हैं। ताज़ा जानकारी में पता चला है कि मुख्य आरोपित शेख अशफाक हुसैन व पठान मोईनुद्दीन अहमद ने पुलिस को 4 दिन तक चकमा देने के लिए बेहद शातिराना तरीके का इस्तेमाल किया था। उन्होंने पुलिस को अपनी लोकेशन ट्रेस करने से रोकने के लिए अपना मोबाइल ट्रेन में छोड़ दिया और ट्रेन के गंतव्य से इतर अलग ही दिशा में फ़रार हो गए। उत्तर प्रदेश पुलिस, STF और ATS उन्हें ढूँढ़ते हुए देश की सीमा के पास अम्बाला में उनके पाकिस्तान निकल भागने की आशंका को रोकने की जद्दोजहद में लगी रहीं, क्योंकि मोबाइल सिग्नल की आखिरी लोकेशन अम्बाला की ही थी, वहीं दूसरी ओर हत्या के आरोपित शहर के बाद शहर बदल कर पुलिस के हत्थे चढ़ने से बच कर निकल रहे थे।
इस बीच पठान और हुसैन के छोड़े हुए मोबाइल को किसी और ने उठा लिया। उसने मोबाइल में लगा हुआ सिम कार्ड निकाल कर अपना कार्ड लगा दिया और फ़ोन का इस्तेमाल करने लगा। इधर पुलिस फ़ोन की पहचान संख्या (IMEI नंबर) का पीछा करने में लगी रही। हालाँकि, उत्तर प्रदेश पुलिस बरेली और शाहजहाँपुर पर भी नज़र बनाए थी, लेकिन दोनों आरोपित अम्बाला की ओर पुलिस का ध्यान भटकाकर पश्चिमी सीमा की ओर निकल भागने में सफ़ल हो गए। यह बात अलग है कि वहाँ भी वे गुजरात-राजस्थान बॉर्डर पार करने के चक्कर में गुजरात पुलिस के आतंकरोधी दस्ते (ATS) के हाथों में पड़ ही गए।
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार जिस समय उत्तर प्रदेश पुलिस शातिर जिहादियों के जाल में फँस कर उनकी गलत लोकेशन के पीछे भाग रही थी, उसी समय गुजरात एटीएस ने उन दोनों के परिजनों को ढूँढ़ निकाला था। गुजरात एटीएस के उप महानिदेशक (डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल) हिमांशु शुक्ल ने मीडिया को बताया कि दोनों के पैसे खत्म हो गए तो पहले तो उन्होंने रिश्तेदारों और दोस्तों को फ़ोन कर पैसे के लिए सम्पर्क किया, लेकिन पुलिस के डर से किसी ने उनके खाते में पैसे नहीं डाले। अंत में उन्हें हार कर पैसा नकद लेने के लिए गुजरात में घुसने का प्लान बनाना पड़ा। एटीएस को इसके बारे में आरोपितों में से एक की पत्नी के ज़रिए पता लग गया। पुलिस ने जाल बिछाया और राजस्थान बॉर्डर पर शामलजी से राज्य की सीमा में दाखिल होने की कोशिश में उन्हें हिरासत में ले लिया गया।