Monday, December 23, 2024
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कमलेश तिवारी मर्डर: हत्यारों पर ₹2.5 लाख ईनाम, तलाश में मदरसे और मुसाफिरखानों पर छापे

आशंका जताई जा रही है कि संदिग्ध हत्यारे अशफ़ाक़ और मोईनुद्दीन नेपाल भाग गए हैं। यह भी कहा जा रहा है कि लखनऊ, सीतापुर, कानपुर, बरेली, गाजियाबाद, दिल्ली एनसीआर और अंबाला में भी उनके सहयोगी मौजूद हैं।

हिन्दू महासभा के पूर्व अध्यक्ष कमलेश तिवारी के संदिग्ध हत्यारे अशफ़ाक़ और मोईनुद्दीन की तलाश में यूपी पुलिस ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है। यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने दोनों पर ढाई-ढाई लाख रुपए के ईनाम का ऐलान किया है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में संदिग्ध हत्यारों के नेपाल भाग जाने की भी आशंका जताई गई है।

पुलिस ने दोनों की तलाश में यूपी के शाहजहॉंपुर में मुसाफिरखानों और मदरसों पर छापेमारी की है। ख़बर के अनुसार, पुलिस को एक होटल के सीसीटीवी से दोनों आरोपियों का फुटेज मिला है। दोनों की पहचान तिवारी के कार्यालय के बाहर लगे कैमरे और लखनऊ के खालसा होटल के कैमरों के सीसीटीवी फुटेज से हुई है। ये आरोपी शाहजहाँपुर में रुके थे लेकिन एसटीएफ के पहुँचने के भनक मिलते ही लापता हो गए।

एसटीएफ ने आरोपितों की कार के ड्राइवर को अरेस्‍ट किया है और उससे पूछताछ कर रही है। दोनों आरोपी इसी होटल में ठहरे थे। वे जिस कमरे में रुके थे वहॉं से खून लगा भगवा कुर्ता और बैग भी पुलिस ने बरामद किया था। डीजीपी ओपी सिंह ने दोनों के बारे में सूचना देने वालों को ढाई लाख रुपए का ईनाम दिया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार पुलिस की कई टीमें दोनों संदिग्धों की तलाश में यूपी के पड़ोसी राज्यो में डेरा जमाए हुए है। डीजीपी ने कहा है कि पुलिस इस मामले में काफी बारीकी से काम कर रही है। सभी पहलुओं की पड़ताल कर आगे बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि हम सभी राज्य के पुलिस प्रमुख के संपर्क में हैं। रविवार को कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात के डीजीपी से बात की थी। उन्होंने कहा कि इस हत्या में यूपी का भी कनेक्शन है और बाहर का भी। हम सभी सूचनाओं का विश्लेषण कर रहे हैं किसी पहलू से इनकार नहीं किया जा सकता। बिजनौर के मौलानाओं से भी लगातार पूछताछ चल रही है।

बताया जा रहा है कि संदिग्ध हत्यारे कानपुर स्टेशन पर उतरने के बाद सड़क के रास्ते लखनऊ पहुंचे थे। कानपुर रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी से इसकी पुष्टि हुई है। कमलेश तिवारी की हत्या के बाद हरदोई, बरेली और पीलीभीत में उनका लोकेशन मिला था। हत्या को अंजाम देने के बाद दोनों ने बरेली में रात बिताई थी। हत्या के दौरान मोइनुद्दीन के दाहिने हाथ में चोट लगी थी और उसने बरेली में इसका उपचार कराया। पीलीभीत के एक नंबर पर भी हत्यारों ने बात की थी।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, होटल से निकलने के दौरान अशफ़ाक़ और मोईनुद्दीन ने बाबा हजरत अब्बास की दरगाह और इमामबाड़ा का पता पूछा था। दोनों ने कहा था कि उन्हें जगह पर घूमने जाना है। बताया जा रहा है कि दोनों हत्यारों ने होटल के कर्मचारियों से बरेली जाने वाली ट्रेन के समय के बारे में भी पूछताछ की थी।
यह भी कहा जा रहा है कि लखनऊ, सीतापुर, कानपुर, बरेली, गाजियाबाद, दिल्ली एनसीआर और अंबाला में भी हत्यारों के सहयोगी मौजूद हैं।

साथ ही ये आशंका जताई जा रही है कि संदिग्ध हत्यारे अशफ़ाक़ और मोईनुद्दीन नेपाल भाग गए हैं। हालाँकि जाँच की जा रही है और इसके मद्देनजर सुरक्षाबलों को अलर्ट कर दिया गया है। वहीं गुजरात एटीएस द्वारा सूरत से गिरफ्तार तीनों आरोपितों मौलाना मोहसिन शेख, फैजान और राशिद अहमद पठान को हवाई मार्ग से गुजरात के अहमदाबाद से लखनऊ लाया जा रहा है।

पुलिस ने मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए रविवार (अक्टूबर 20, 2019) को राशिद की माँ और अशफाक की पत्‍नी से भी पूछताछ की। राशिद की माँ शेरिन फातिमा का कहना है कि वो उन दोनों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती। पूछताछ में खुलासा हुआ कि कमलेश तिवारी की नृशंस हत्‍या को मौलाना मोहसिन ने शरियत कानून के कत्‍ल ए वाजिब के सिद्धांत के तहत जायज ठहराया था। उसने राशिद के भाई  मोईनुद्दीन और अशफाक को इसके लिए तैयार किया। तिवारी की 18 अक्टूबर को उनके कार्यालय में हत्या कर दी गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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