उत्तर प्रदेश के कानपुर में ईद के दिन रोड ब्लॉक करके नमाज पढ़ने के मामले में 1700 लोगों के ऊपर एफआईआर हुई है। ये प्राथमिकी तीन अलग-अलग पुलिस थाने- जाजमऊ, बाबूपुरवा और बजरिया में दर्ज हुई है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, बजरिया थाने में 1500 नमाजियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है जबकि जाजमऊ में 200 से 300 और बाबूपुरवा में 40 से 50 लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई है।
पुलिस का कहना है कि नमाज पढ़ने को लेकर पहले ही पीस कमेटी ने फैसला किया था कि ईद के दिन इसे केवल ईदगाह और मस्जिद के भीतर ही पढ़ा जाएगा। अगर ज्यादा भीड़ के कारण कोई नमाजी रह जाएगा तो उसे दोबारा नमाज पढ़वाने का इंतजाम पुलिस करेगी।
अब इस पीस बैठक में लिए फैसले और इलाकों में लागू धारा 144 के बावजूद ईद के दिन ईदगाह के सामने अचानक हजारों की भीड़ इकट्ठा हुई और पुलिस के रोकने के बावजूद इन लोगों ने सड़क पर बैठ नमाज पढ़नी शुरू कर दी।
पुलिस ने इस तरह मनमानी करने वालों के खिलाफ व ईदगाह के सदस्यों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में केस दर्ज करके अपनी जाँच शुरू कर दी है। सीसीटीवी फुटेज मँगाकर उन लोगों की पहचान हो रही है जिन्होंने फैसले की नाफरमानी की। सामने आई वीडियोज में दिख रहा है कि बेनाझाबर ईदगाह में उस दिन पैर रखने तक की जगह नहीं थी।
बता दें कि बाबूपुरवा पुलिस ने नमाजियों के खिलाफ धारा 186, 188, 283, 341,और 353 के तहत एफआईआर की हैं। इन प्राथमिकियों के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
बोर्ड के सदस्य डॉ सुलेमान ने कहा कि पुलिस एक समुदाय को निशाना बना रही है। ऐसा लग रहा है कि ये देश एक धर्म का हो गया है। उस दिन नमाज ईदगाह और मस्जिदों में ही पढ़ी गई। केवल बाबूपुरवा में कम जगह होने के चलते लोग 10 मिनट बाहर आए। ऐसे में पुलिस ने उनपर एफआईआर कर दिया। डॉ सुलेमान ने इन एफआईआर से नाराज होकर कहा कि योगी सरकार ने संविधान की धज्जियाँ उड़ा दी हैं।