Sunday, December 22, 2024
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’50 साल में बनी प्रतिष्ठा बर्बाद हो रही है’: सुप्रीम कोर्ट में RG Kar रेप-हत्या मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग से भड़के कपिल सिब्बल, कहा – मिल रही धमकी

"ऐसे भावनात्मक प्रभाव वाले मामलों की लाइवस्ट्रीमिंग गंभीर परिणाम उत्पन्न कर सकती है। हमारे पास 50 साल की प्रतिष्ठा दाँव पर है! हम आरोपितों का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं।"

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल RG Kar मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने आरजी कर अस्पताल बलात्कार और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग का विरोध किया। सिब्बल ने कहा कि 5 दशकों में बनाई गई प्रतिष्ठा लाइव स्ट्रीमिंग से नष्ट हो जाएगी।

कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से लाइव फीड को रोकने का आग्रह किया और शिकायत की कि इससे वकीलों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा है और उन्हें धमकियाँ मिल रही हैं।

समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा सांसद बने वकील ने कहा कि भले ही वे आरोपितों का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं, फिर भी उन्हें धमकियाँ मिल रही हैं। उन्होंने कोर्ट को सूचित किया कि उनकी चेंबर में महिला वकीलों को बलात्कार की धमकियाँ दी गई हैं।

कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “ऐसे भावनात्मक प्रभाव वाले मामलों की लाइवस्ट्रीमिंग गंभीर परिणाम उत्पन्न कर सकती है। हमारे पास 50 साल की प्रतिष्ठा दाँव पर है! हम आरोपितों का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं। मैंने कहाँ हँसी-मजाक किया? यह अन्याय है! ये धमकियाँ अब मेरी चेंबर की महिलाओं को प्रभावित कर रही हैं।”

इसके जवाब में, CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने जनहित के पहलू को महत्व देते हुए कहा कि कोर्ट खुली तरीके से काम करता है। मुख्य न्यायाधीश ने आश्वस्त किया कि कोर्ट किसी भी धमकी का समाधान करेगा लेकिन मामले की लाइवस्ट्रीमिंग को बंद करने से इनकार कर दिया।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कोलकाता बलात्कार-मर्डर मामले में एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, क्योंकि एजेंसी ने फॉरेंसिक रिपोर्ट पर संदेह जताया था। CBI ने सुप्रीम कोर्ट को जाँच की प्रगति पर एक गोपनीय अपडेट प्रदान किया। बलात्कार और हत्या की जाँच के अलावा, सीबीआई RG Kar के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और अन्य लोगों के खिलाफ अपराध और अस्पताल में उनके कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताओं की जाँच भी कर रही है।

पिछली सुनवाई में CBI का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने AIIMS दिल्ली और अन्य फॉरेंसिक लैब्स को सैंपल भेजने की योजना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सैंपल की चेन ऑफ कस्टडी एक महत्वपूर्ण प्रश्न बन गई है।

उन्होंने कहा था, “हमें एक फॉरेंसिक रिपोर्ट मिली है, और यह स्वीकार किया गया है कि जब लड़की को 9:30 AM पर पाया गया, तो उसकी जींस और अंडरगामेंट्स पास में पड़ी थी। वह सेमी-न्यूड थी और उसके शरीर पर जख्म के कई निशान दिख रहे थे। सैंपल लिए गए और CFSL पश्चिम बंगाल को भेजे गए, लेकिन अंततः सीबीआई को इन्हें एम्स और अन्य लैब्स में भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा।”

CBI ने कोलकाता के सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) रिपोर्ट के निष्कर्षों के बारे में भी बताया किया लेकिन फ़िलहाल इसकी कोई डिटेल नहीं दी। पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पोस्टमार्टम चालान की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया था।

सीबीआई की नवीनतम रिपोर्ट की समीक्षा के बाद कोर्ट ने चल रही जाँच पर टिप्पणी करने से परहेज किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवरण प्रकट करने से प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है। कोर्ट ने पुष्टि की कि सीबीआई के प्रयास सच्चाई को उजागर करने के लिए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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