उत्तर-पूर्वी दिल्ली में जो कुछ हुआ उसका डर अब भी हिंदुओं के चेहरे पर साफ दिखाई पड़ रहा है। दंगा प्रभावित चाँदबाग में कुछ जगहों पर थोड़ी बहुत चहलकद़मी दिखी। लेकिन नाले से आगे करावल नगर की तरफ बढ़ने पर लोग बंद गली के गेट से डरी हुई आँखों से बाहर देख रहे थे। ये वही इलाका है जहॉं ताहिर हुसैन की वो इमारत है जो दंगे का केंद्र बनकर उभरा है।
ऐसे ही एक गेट पर हमारी नज़र पड़ी। गेट के दूसरी तरफ दर्जनों लोग डरी हुई आँखों से रोड पर मीडिया और पुलिस की गतिविधियों को देख रहे थे। ताहिर हुसैन के मकान से करीब 50 मीटर की दूरी पर कुछ महिलाएँ और पुरुष खड़े थे। पीपल के पेड़ के नीचे पड़ी बजरी के ढेर के पास ये लोग खड़े थे। सड़क की गतिविधियों पर इस समूह का ज्यादा ध्यान नहीं था। वे गर्दन ऊँची कर टकटकी लगाए ताहिर के मकान को देख रहे थे। जब मैं उनके पास पहुॅंचा तो कुछ लोग पीछे हट गए। हमने उनसे बातचीत करने की कोशिश की तो उनकी डरी हुई वे आँखें फूट पड़ीं।
एक बुजुर्ग महिला ने कहा, “देखो… हमारे दिलों में पाप नहीं है। ये मुस्लिम भाई अब अपने घरों को छोड़कर चले गए। हम इनके घरों में आग भी लगा सकते हैं और ताला भी तोड़ सकते हैं, लेकिन हम हिंदू ऐसा कभी नहीं करेंगे। घटना के डर से हम न तो तीन दिन से सो रहे हैं और न ही कुछ खा-पी रहे हैं। यह दिल्ली को भी पाकिस्तान बनाना चाहते हैं, जो कि ऐसा कभी हो नहीं सकता, लेकिन अब हम इसका इलाज करके मानेंगे। यह चोर बिल्डिंग है। इसमें गुंडागर्दी होती है। इस इमारत को अब यहाँ नहीं रहने देंगे, इसे हम सरकार से तुड़वाकर ही दम लेंगे। चाँदबाग को इन्होंने अपना गढ़ बना रखा है।”
एक अन्य महिला ने बताया, “जब इस इमारत से हमारे ऊपर तेजाब की बोतलें और पत्थर फेंके जा रहे थे। तब हमारी आँखें खुली कि इनका यह प्लान काफी पहले से बना हुआ था। हम दशकों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं। हर रोज़ हम इस इमारत को आते-जाते और अपनी छतों से देखते हैं, लेकिन कभी अहसास नहीं हुआ कि यहाँ कुछ हमें मारने के लिए ही योजनाएँ बनाई जा रही हैं। वहीं आज तक ये भी पता नहीं चला कि इतनी बड़ी इमारत में आख़िर होता क्या है। यह सब इसकी राजनीति का हिस्सा है।”
उनके साथ खड़ी महिला बताती है, “तीन दिन बाद आज हम अपने घरों से बाहर आए हैं, इन्होंने हमारे साथ तो जो किया सब आपके सामने है, लेकिन इन्होंने ट्यूशन से लौट रहीं हमारी बेटियों को भी नहीं छोड़ा और नंगा करके भेजा। उनके सामने दंगाइयों ने कपड़े उतारकर अश्लील हरकतें की। हम जीवन में अपने पड़ोसी को कभी मारने की सोच भी नहीं सकते, लेकिन इनकी तैयारी से ऐसा लग रहा था कि यह हम सबको खत्म करना चाहते थे।” दंगाइयों की मानसिकता का आप अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इन लोगों ने ट्यूशन से आती बच्चियों को न सिर्फ नग्न करके भेजा, बल्कि पहले भी छतों से अपने कपड़े उतार कर ये लड़कियों को आवाज़ देते थे- “आ जा… इधर आ जा…”“
साथी महिलाओं को बात करता देख पीछे खड़ी महिला भी इसी दौरान आगे आईं। ऑपइंडिया को अपनी पीड़ा बताते-बताते उनकी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने बताया, “हमारे पास (हिंदुओं) एक-एक दो-दो बच्चे हैं, और उनके दस-दस बारह-बारह बच्चे हैं। सभी के हाथ में हथियार थे वह हमारे घरों के ऊपर पत्थर बरसा रहे थे। हमने डर के कारण अपनी खिड़कियों को भी बंद कर लिया और तीन दिनों तक घर से बाहर तक नहीं निकले। दंगाइयों ने इसका फ़ायदा उठाया और हमारे मंदिर को भी जला दिया। यहाँ तक कि मोहल्ले में मौजूद अधिकांश हिंदूओं के घरों को भी आग के हवाले कर दिया। दंगाइयों ने गरीब श्याम चाय वाले और मेडिकल स्टोर वाले को भी नहीं छोड़ा। उनकी दुकानों में पहले तो लूटपाट की और फिर उनको आग लगा दी।”
ग्रुप में खड़ी एक महिला ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा और कहा, “अब क्या है दिल्ली के लोग फ्री के चक्कर में पड़े गए। अब इसका परिणाम हमें पाँच साल तक झेलना पड़ेगा।”
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