Monday, May 19, 2025
Homeदेश-समाजराज्य में नहीं लगा हिजाब पर बैन, शैक्षणिक संस्थानों को दी गई ड्रेस कोड...

राज्य में नहीं लगा हिजाब पर बैन, शैक्षणिक संस्थानों को दी गई ड्रेस कोड तय करने की आजादी: कर्नाटक HC में बुर्का विवाद पर लगातार 7वें दिन सुनवाई

AG ने कोर्ट में बताया राज्य सरकार का फैसला संस्थानों को यूनिफॉर्म तय करने की स्वतंत्रता देता है। उन्होंने राज्य का पक्ष रखते हुए बताया कि स्कूल-कॉलेजों में किसी धार्मिक पहचान वाले कपड़े को नहीं पहना जाना चाहिए।

कर्नाटक हिजाब विवाद पर आज (21 फरवरी 2022) हाईकोर्ट में हुई सुनवाई एक बार फिर बिन किसी नतीजे पर पहुँचे कल पर टल गई। इस दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट के सामने इस बात को स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने 5 फरवरी वाले सरकारी आदेश में हिजाब पर प्रतिबंध नहीं लगाया। उन्होंने सिर्फ कॉलेज विकास समितियों को यूनिफॉर्म पर निर्णय लेने का अधिकार दिया है।

सीजे ऋतुराज अवस्थी, जस्टिज जेएम खाजी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की बेंच के सामने एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी ने अपनी तमाम दलीलें रखीं। उन्होंने उन चार अवसरों का जिक्र किया जब कुरान को लेकर दी गई दलीलों को नकारा गया था। उन्होंने बताया कि हिजाब या तो इस्लाम में अनिवार्य हो सकता है या फिर वैकल्पिक। उन्होंने गौर करवाया है कि कैसे याचिकाकर्ता ने इस्लाम मानने वाले हर लड़की के लिए हिजाब को ड्रेस फॉरमैट में शामिल करने की माँग की है।

शुक्रवार की सुनवाई में एडवोकेट जनरल ने कोर्ट के सामने दलील दी कि राज्य सरकार का फैसला संस्थानों को यूनिफॉर्म तय करने की स्वतंत्रता देता है। कर्नाटक शिक्षा अधिनियम की प्रस्तावना धर्मनिरपेक्ष वातावरण को बढ़ावा देना है। उन्होंने राज्य का पक्ष रखते हुए बताया कि स्कूल-कॉलेजों में किसी धार्मिक पहचान वाले कपड़े को नहीं पहना जाना चाहिए।

उन्होंने सबरीमाला का उदाहरण दिया और कहा कि यदि कोई प्रथा वैकल्पिक है तो उसे धर्म में आवश्यक नहीं कहा जा सकता। आवश्यक होने का दावा किया जाने वाला ऐसा अभ्यास होना चाहिए कि उसके न होने से धर्म की प्रकृति ही बदल जाए। एजी ने कोर्ट के आगे तांडव नृत्य और सबरीमाला पर हुए फैसलों का उदाहरण दिया।

एजी बोले कि देश को बाँटने वाली धार्मिक प्रथाओं को कुचलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि खाने-पीने या कपड़े पहनने के तरीके को धार्मिक प्रथा से नहीं जोड़ा जा सकता। उन्होंने आर्टिकल 25 से जुड़े पाँच फैसले भी कोर्ट में पढ़े और बताया कि परिवर्तनीय भाग या प्रथाएँ धर्म/मजहब का मूल नहीं हैं।

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को हुई इस बहस के दौरान एक अन्य वकील ने कोर्ट के सामने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि लड़कियों को लोगों के सामने हिजाब उतारने के लिए कहा जा रहा है। उन्हें कम से कम एक अलग निजी जगह दी जानी चाहिए। टीवी चैनल जा रहे हैं और इसकी शूटिंग कर रहे हैं। यह बाल अधिकारों का हनन है। इस पर बेंच ने कहा आप जाएँ और सिर्फ टीवी चैनल के सामने बहस करें। बता दें कि शुक्रवार को कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब विवाद पर लगातार 7वें दिन सुनवाई हुई है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अगर ज्योति मल्होत्रा मुसलमान होती… आज शोर मचाने वाले ‘इकोसिस्टम’ ही डाल रहा होता पर्दा, खेल रहा होता विक्टिम कार्ड

वामपंथी और इस्लामी कट्टरपंथी ज्योति के नाम की आड़ में प्रोपेगेंडा चला रहे हैं, दावा कर रहे हैं कि अगर ज्योति मुस्लिम होती तो नरेटिव अलग होता।

चीन से सटकर उछल रहा था बांग्लादेश, भारत ने दे दिया ₹6415 करोड़ का झटका: जानिए यूनुस सरकार की नीतियों से कारोबारी संबंधों को...

बांग्लादेश से आने वाले कई उत्पादों पर भारत ने पाबंदियाँ लगाई है। इससे बांग्लादेश को करीब 6415 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हो सकता है।
- विज्ञापन -