Thursday, November 14, 2024
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‘HC के आदेश तक हिजाब नहीं हटाएँगे’: मुस्लिम छात्राओं की हठ पर कर्नाटक के शिक्षा मंत्री की दो टूक- छात्राएँ कोई और विकल्प तलाशने के लिए आजाद

"हाईकोर्ट के आदेश तक हम अपना हिजाब नहीं हटाएँगे। वे (प्रशासन) हमें हिजाब पहनकर क्लास में नहीं बैठने देंगे, इसलिए हम बाहर हॉल में बैठेंगे। हमारी क्लास नहीं चल रही हैं, इसलिए हम यहाँ सिर्फ बैठे हुए हैं।"

कर्नाटक के उडुपी जिले में कुंडापुरा के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर क्लास में बैठने का मामला तूल पकड़ने के बाद कॉलेज प्रशासन ने मुस्लिम लड़कियों को एक अलग कमरे में बैठने की अनुमति दी है। लेकिन उन्हें क्लास में एंट्री तभी मिलेगी, जब वह हिजाब उतारकर कॉलेज के नियम के अनुसार यूनिफॉर्म में क्लास अटेंड करेंगी। समाचार एजेंसी एएनआई (ANI) के मुताबिक, लंच के लिए हिजाब पहनकर कॉलेज परिसर से बाहर आते हुए एक छात्रा ने कहा, “हाईकोर्ट के आदेश तक हम अपना हिजाब नहीं हटाएँगे। वे (प्रशासन) हमें हिजाब पहनकर क्लास में नहीं बैठने देंगे, इसलिए हम बाहर हॉल में बैठेंगे। हमारी क्लास नहीं चल रही हैं, इसलिए हम यहाँ सिर्फ बैठे हुए हैं।”

वहीं, कॉलेज की एक अन्य छात्रा का कहना है, “कॉलेज के प्रिंसिपल और फैकल्टी हमसे मिले और पूछा कि क्या हम हिजाब हटाकर क्लास में जाना चाहते हैं। उन्होंने हमारी अटेंडेंस भी ली।”

इस बीच कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश (BC Nagesh) ने हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Row) पर कहा, “जो भी छात्रा यूनिफॉर्म ड्रेस कोड (Uniform Dress Code) का पालन करने की इच्छुक नहीं हैं, वो कोई और विकल्प तलाशने के लिए आजाद हैं।” राज्य के शिक्षा मंत्री ने मीडियाकर्मियों से आगे कहा कि जैसे सेना में नियमों का अनुपालन किया जाता है, उसी प्रकार शैक्षणिक संस्थानों में भी किया जाना चाहिए। छात्राओं को क्लास में बैठने के लिए ड्रेस कोड का पालन करना होगा। हमारी छात्राओं से अपील की है कि वो सियासी दलों के लिए ‘टूल’ न बनें।

दरअसल, कर्नाटक सरकार ने 5 फरवरी को प्रदेश भर के शैक्षणिक संस्थानों में शांति, सद्भाव और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने वाले कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था। राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश (BC Nagesh) ने इसको लेकर कहा था कि सरकार ने इस मामले पर स्पष्टीकरण की जरूरत महसूस की और एक सर्कुलर जारी किया। उन्होंने साथ ही यह भी साफ किया कि छात्राएँ हिजाब पहनकर स्कूल आ सकती हैं, लेकिन स्कूल या कॉलेज कैंपस के अंदर उन्हें इसे अपने बैग में रखना होगा।

वहीं, कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र (Karnataka Home Minister Araga Gyanendra) ने एएनआई से कहा, “कॉलेज परिसर में हिजाब और भगवा स्कार्फ पहनकर आने की अनुमति नहीं है। राज्य सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि सभी छात्रों को कॉलेज प्रशासन द्वारा निर्धारित की गई ड्रेस कोड का पालन करना होगा। हमारे लिए सभी समान और भारत माता की संतान हैं।”

गौरतलब है कि कर्नाटक के उडुपी में हिजाब विवाद के बाद से पीयू कॉलेज लगातार चर्चा में बना हुआ है। रविवार को यहाँ से पुलिस ने दो संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया था। इनकी पहचान रज्जाब और हाजी अब्दुल मजीद के रूप में हुई थी। पुलिस ने इन दोनों के पास के हथियार भी बरामद किए थे। वहीं तीन अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है।

बता दें कि कर्नाटक के उडुपी के स्कूल से शुरू हुआ हिजाब विवाद पूरे कर्नाटक में फैल गया है। 3 फरवरी की सुबह कर्नाटक के उडुपी जिले के कुंडापुर के भंडारकर कॉलेज में हिजाब पहनी 20 से अधिक छात्राओं को कॉलेज में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। पीयू कॉलेज का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं।

भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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