कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी जिले के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राएँ क्लास के अंदर हिजाब (Hijab) पहनने की जिद पर अड़ी हुई हैं और इसके लिए लगातार प्रदर्शन कर रही हैं। ये छात्राएँ इस्लामीकरण के प्रतीक हिजाब को अपना मौलिक अधिकार बता रही हैं। वहीं, कक्षा में हिजाब पहनने को अनुशासनहीनता बताते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा है कि छात्राओं को बहकाने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि कॉलेज में 30 साल से यूनिफॉर्म की व्यवस्था लागू है, लेकिन कभी कोई दिक्कत नहीं हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार (20 जनवरी 2022 ) को भी हिजाब पहनने की माँग को लेकर कॉलेज के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मुस्लिम छात्राएँ कॉलेज के गेट पर खड़ी रहीं। इन्होंने अपने हाथ में प्लेकार्ड ले रखे थे। छात्राओं में से एक हाजरा ने कहा, “हिजाब पहनना हमारा मौलिक अधिकार है और कॉलेज के अधिकारियों को हमें रोकना नहीं चाहिए।” लड़कियों ने कहा कि उन्हें 31 दिसंबर से कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी गई।
लड़कियों के इस विरोध प्रदर्शन पर राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश (BC Nagesh) ने हिजाब के मुद्दे को पूरी तरह से राजनीतिक करार दिया। उन्होंने छात्राओं से यूनीफॉर्म के संबंध में नियमों का पालन करने की अपील करते हुए कहा कि वर्ष 1985 से इस नियम का पालन अनवरत रूप से किया जा रहा है। कॉलेज और स्कूल धर्म का पालन करने की जगह नहीं है। मंत्री के मुताबिक, अगर कक्षा के अंदर छात्राओं का हिजाब पहनना अनुशासनहीनता होगी, क्योंकि अगर ऐसा करने की इजाजत दी गई तो दूसरे स्टूडेंट भी ऐसी ही माँग कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “संस्था में सौ से अधिक मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं, जिन्हें कोई समस्या नहीं है। केवल कुछ ही विद्यार्थी विरोध कर रहे हैं। स्कूलों और कॉलेजों को धार्मिक केंद्रों में नहीं बदलना चाहिए।” मंत्री ने ये भी कहा कि सिर्फ मुस्लिमों को ही नहीं केसरिया शॉल भी कक्षा में प्रतिबंध है। बहरहाल, छात्राओं के इस विरोध प्रदर्शन के बीच कॉलेज प्रशासन के अधिकारियों ने एक बार फिर से छात्राओं से बात की, लेकिन कोई हल नहीं निकला।
गौड़ा ने कहा कि इन छात्राओं को 1.5 साल पहले तक कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन अब होने लगी। उन्होंने कहा कि कक्षा सुबह 9.30 बजे से शाम 4 बजे तक होती है। कक्षा शुरू से पहले और बाद में छात्राएँ हिजाब या बुर्का पहन सकती हैं, लेकिन जैसे ही कक्षा शुरू होगी, इन्हें उतारना होगा। यूनीफॉर्म पॉलिसी का पिछले 37 सालों से पालन किया जा रहा है।
छात्राओं का यह भी आरोप है कि उन्हें उर्दू में बात करने की अनुमति ना देकर उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 1985 में शुरू हुए इस कॉलेज में 700 विद्यार्थी हैं, जिनमें 70 मुस्लिम हैं। ये कॉमर्स और आर्ट्स स्ट्रीम में पढ़ाई कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारी छात्राओं का समर्थन कर रहा इस्लामिक संगठन
इस्लामिक संगठन कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया के स्टेट कमेटी के सदस्य मसूद मन्ना ने इसे धार्मिक भेदभाव बताया है। इस मामले में कहना है कि उन्होंने कॉलेज प्रशासन से इस मामले में मिलकर बात की थी। उन लोगों ने उडुपी के कलेक्टर से भी बात की है। केवल कॉलेज के प्रिंसिपल को हिजाब पहनने से दिक्कत है। मसूद ने कहा कि मुस्लिमों के साथ धार्मिक भेदभाव किया जा रहा है।
कब से चल रहा है यह मामला
पीयू कॉलेज का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने कहा था कि छात्राएँ कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लासरूम में इसकी इजाजत नहीं है। प्रिंसिपल के मुताबिक, कक्षा में एकरूपता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है।
भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।