कर्नाटक के उडुपी पुलिस ने नेत्र ज्योति कॉलेज के हॉस्टल में हिंदू छात्राओं का अश्लील वीडियो बनाने वाली मुस्लिम छात्राओं के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। पुलिस ने दो प्राथमिकी दर्ज की है। एक मामला टॉयलेट में छात्रा के बनाए गए वीडियो को डिलीट करने को लेकर तीन छात्राओं और कॉलेज प्रशासन से जुड़ा है। दूसरा मामला यूट्यूब चैनलों पर हिडन कैमरे वाला वीडियो अपलोड करने से जुड़ा है।
बताते चलें कि कर्नाटक के उडुपी में स्थित प्राइवेट कॉलेज नेत्र ज्योति की महिला हॉस्टल के टॉयलेट में मोबाइल कैमरा मिलने के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ था। कॉलेज में पढ़ने अलीमातुल शैफा, शबानाज़ और आलिया नाम की तीन मुस्लिम छात्राओं ने टॉयलेट में मोबाइल कैमरा लगा रखा था। इसमें हिंदू लड़कियों के प्राइवेट वीडियो रिकॉर्ड कर वे मुस्लिम लड़कों को भेजा करती थीं।
Udupi Video Incident | Udupi Police has filed two cases. One case linked to three female students and college administration regarding deletion of a video of a student filmed in the toilet. Second case linked to uploading of a hidden camera video on YouTube channels. #Karnataka pic.twitter.com/i9JWGmNOHO
— ANI (@ANI) July 26, 2023
आरोप लगे कि उडुपी के नेत्रज्योति कॉलेज के महिला शौचालय में हिंदू लड़कियों के टॉपलेस वीडियो रिकॉर्ड किए गए और बाद में मुस्लिम समूहों के साथ साझा किए गए। कॉलेज प्रबंधन ने मामले की जाँच की और निष्कर्ष निकाला कि वीडियो डिलीट कर दिया गया था। इसके बाद मामला खत्म हो गया। हालाँकि, लोगों के आक्रोश के कारण उडुपी जिले के मालपे पुलिस स्टेशन में मामले का स्वत: संज्ञान लिया FIR दर्ज की।
वीडियो बनाने के लिए ज़िम्मेदार अलीमतुल शैफ़ा, शबानाज़ और आलिया नाम के तीन मुस्लिम छात्रों के साथ-साथ नेत्रज्योति कॉलेज के प्रबंधन बोर्ड पर सबूत नष्ट करने का आरोप है। पुलिस ने IPC की धारा 509, 204, 175 और 34 के तहत मामले दर्ज किए हैं। मामला दर्ज करने का निर्णय राज्य भर में भाजपा नेताओं, विभिन्न हिंदू संगठनों और महिलाओं के विरोध के बीच आया।
उडुपी के टॉयलेट कांड तो संभालने में राज्य सरकार के लापरवाह रवैया के जवाब में राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले की जाँच करने की पहल की है। घटना की गहन जाँच के लिए आयोग उडुपी में एक टीम भेजेगा। राष्ट्रीय महिला आयोग की दक्षिण भारतीय सदस्य खुशबू सुंदर इस जाँच का नेतृत्व करेंगी। इस फैसले का खुलासा पूर्व सदस्य श्यामला कुंदर ने किया है।
एक्टिविस्ट रश्मि सामंत ने मामले को हाईलाइट किया, जुबैर जैसे लोग डाल रहे हैं पर्दा
इस सप्ताह की शुरुआत में हिंदू अधिकार कार्यकर्ता रश्मि सामंत ने ट्विटर पर उडुपी कांड पर फैली आसपास की चुप्पी पर सवाल उठाया। सामंत ने आरोप लगाया कि मामले को दबाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि वीडियो में दिखाई गई कई लड़कियाँ इस हद तक उदास और परेशान थीं कि वे खुद को नुकसान पहुँचाने या आत्महत्या करने के बारे में सोच सकती हैं। उन्होंने लिखा, “फिर भी, इस मुद्दे की उस गंभीरता से निंदा नहीं की जा रही है।”
उन्होंने साल 1992 के अजमेर सामूहिक बलात्कार की घटना से इसकी तुलना करते हुए लिखा, “मैं आपको याद दिला दूँ कि वर्ष 1992 में अजमेर में क्या हुआ था, जहाँ अवैध रूप से ली गईं नग्न तस्वीरों को सार्वजनिक करने की धमकी देकर सैकड़ों लड़कियों का बलात्कार किया गया था। मैं यह सोचकर डर जाती हूँ कि उडुपी दूसरा अजमेर में बदल सकता था।”
ट्वीट करने पर रश्मि सामंत को पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा
उडुपी पुलिस ने 24 जुलाई 2023 को पीड़ित हिंदू महिलाओं की आवाज उठाने वाली हिंदू मानवाधिकार कार्यकर्ता रश्मि सामंत का पता लगाने के लिए एक अभियान शुरू किया। सामंत का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आदित्य श्रीनिवासन ने रश्मि सामंत के परिवार द्वारा सामना की गई विस्तृत पूछताछ को साझा किया।
वकील आदित्य श्रीनिवासन ने कहा कि रात आठ बजे पुलिसकर्मियों का एक समूह रश्मि के आवास पर गया। उस समय वह अपने घर पर नहीं थीं। इसके बाद कर्नाटक पुलिस ने उनके माता-पिता से पूछताछ की। उनसे बार-बार रश्मि के ठिकाने के बारे में पूछा गया।
पुलिस का दावा: इसमें कोई सांप्रदायिक रंग नहीं
द न्यूज मिनट द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से कहा गया है कि मामले में कोई सांप्रदायिक कोण नहीं था। यही बात इंडिया टुडे ने एक पैनल डिस्कशन के दौरान बताई। इस पैनल में रश्मि सामंत भी मौजूद थीं। टीएनएम और इंडिया टुडे, दोनों ने कहा कि पुलिस ने मामले में किसी भी सांप्रदायिक कोण से स्पष्ट रूप से इनकार किया है।
टीएनएम ने उडुपी के एएसपी सिद्धलिंगप्पा के हवाले से कहा, “हमने फोन देखा और ऐसा कोई वीडियो नहीं मिला। हमने मामले की गहन जाँच की। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वीडियो साझा किया गया था। यह कॉलेज में एक अनोखी घटना थी और इसका कोई सांप्रदायिक पहलू नहीं था। कथित पीड़िता पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराना चाहती।”
आपराधिक इरादे को छिपाने की कोशिश
अपराधी और पीड़िता के अलग-अलग समुदाय होने की बात स्पष्ट रूप से कही जा रही है। इसके बावजूद वामपंथी प्रोपगेंडा पोर्टल ऑल्ट न्यूज़ (AltNews) और उसके सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने रश्मि और अन्य लोगों पर गलत सूचना फैलाने और घटना को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया है।
हिंदुओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर पर्दा डालने के लिए कुख्यात मोहम्मद जुबैर ने इस जघन्य घटना के खिलाफ आवाज उठाने वालीं शेफाली वैद्य और रश्मि सामंत सहित तमाम महिला दक्षिणपंथियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ एक क्रूर हमला किया। जब उस पर सवाल उठे तो जुबैर ने विक्टिम कार्ड खेला और कहा कि जब वह फर्जी खबरें उजागर करता है तो लोग उसे टारगेट करते हैं।
दरअसल, जुबैर ने द न्यूज मिनट की रिपोर्ट पर बहुत भरोसा किया, जिसमें पहले पैराग्राफ में ही उल्लेख किया गया था कि तीन मुस्लिम लड़कियों को वॉशरूम में कथित तौर पर गुप्त रूप से हिंदू लड़कियों के वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए निलंबित कर दिया गया था। टीएनएम ने इसे “बदमाशी” का स्पष्ट मामला बताया, लेकिन यह नहीं कहा कि यह अफवाह थी कि मुस्लिम लड़कियों ने एक हिंदू लड़की का वीडियो रिकॉर्ड किया था।
यहाँ टीएनएम की रिपोर्ट का अर्काइव लिंक है। इसके बाद, कई वामपंथी सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं और उनके मीडिया संगठनों ने तीन मुस्लिम छात्रों द्वारा किए गए अपराध को कम बताना शुरू कर दिया और इसे ‘शरारत’ बताया।