हाल ही में जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडित राहुल भट की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है। यह स्क्रीनशॉट राहुल भट के फेसबुक आईडी के प्रोफाइल पिक्चर का है, जिसमें उन्होंने अपनी तस्वीर के साथ एक फ्रेम लगाया है, जिस पर लिखा हुआ है, “WE ARE MUSLIMS. STOP KILLING ROHINGYA MUSLIMS.” इस तस्वीर के वायरल होने के बाद कहा जा रहा है कि वह रोहिंग्या मुस्लिम को बचाना चाहते थे, मगर वह खुद इस्लामी आतंकियों के शिकार हो गए।
राहुल भट के फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने यह तस्वीर 7 सितंबर, 2017 को लगाई थी। जम्मू-कश्मीर के बडगाम में आतंकियों ने तहसील कार्यालय में घुसकर राहुल भट की गोली मारकर हत्या कर दी, जिसके बाद से ही तनाव का माहौल है। इस घटना के बाद से कश्मीरी पंडित (Kashmiri pandit) सड़कों पर हैं। उनकी हत्या के बाद से घाटी में सड़क से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक लोगों में खासा गुस्सा देखने को मिल रहा है। इस दौरान लोग हाथों में बैनर और तख्तियाँ लिए हुए दिखाई दिए। प्रदर्शन कर रहे लोगों का साफ तौर पर कहना था कि हमारा क्या कसूर है जो हमें इस तरह एक बार फिर से निशाना बनाया जा रहा है। आखिर कब तक वह इस्लामिक जिहाद का शिकार होते रहेंगे?
यह हत्या दिखाती है कि किस तरह से इस्लामवादी अपने जिहाद को जस्टिफाई करने के लिए ‘संघी’ या ‘भारतीय राज्य के एजेंट’ जैसे शब्द का इस्तेमाल करते हैं। वास्तव में उनके इस शब्द का इस्तेमाल मजहबी युद्ध को राजनीतिक कवर देने के लिए एक तरीका मात्र है। इसकी आड़ में वह मजहबी खेल खेलते हैं और जिहाद को अंजाम देते हैं।
तहसील कर्मचारी राहुल भट की 12 मई को हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के मसले ने फिर तूल पकड़ लिया है। सवाल उठने लगा है कि आखिर कश्मीर में हिंदुओं को निशाना क्यों बनाया जा रहा है। इसके पहले 7 अक्टूबर को आतंकियों ने प्रिंसिपल सतिंदर कौर और अध्यापक दीपक चंद की हत्या कर दी थी। 5 अक्टूबर को माखनलाल बिंद्रू को मौत के घाट उतारा गया था। 17 सितंबर को कॉन्स्टेबल बंटू शर्मा को जान से हाथ धोना पड़ा था। 8 जून को सरपंच अजय पंडिता की जान गई थी। यह सिलसिला मानो थमने का नाम नहीं ले रहा है।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार (12 मई, 2022) की शाम को चडूरा गाँव में स्थित तहसीलदार ऑफिस में घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने 36 साल के राहुल भट पर गोलियाँ बरसा दी थीं। राहुल को हमले के तुरंत बाद अस्पताल पहुँचाया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
राहुल भट की हत्या करने वाले जैश-ए-मोहम्मद के 3 आतंकियों को शुक्रवार (13 मई, 2022) को ही सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया। बावजूद इसके कश्मीरी हिंदू भय के साए में जीने को मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें टारगेट कर हमले किए जा रहे हैं। इस हत्या के बाद प्रधानमंत्री के रोजगार पैकेज के तहत काम करने वाले करीब 350 सरकारी कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। इन लोगों का कहना था कि राज्य सरकार उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता है। ऐसे में वे सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। राहुल भट भी इसी योजना के तहत 2011 से घाटी में कार्यरत थे। वो और बडगाम में अपनी पत्नी और 7 साल की बेटी के साथ रहते थे।
उनकी पत्नी ने आरोप लगाया है कि राहुल भट के ठिकाने की जानकारी उनके ही ऑफिस से आतंकियों को मिली होगी। इसके बाद ही आतंकवादियों ने गुरुवार को बडगाम के चदूरा में एक युवा कश्मीरी हिंदू राहुल भट की हत्या की थी। इधर बडगाम जिले में कश्मीरी हिंदुओं ने राहुल भट के सम्मान में एक कॉलोनी का नाम उनके नाम पर रख दिया है।