Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाजबच्चे/बच्चियों का रेप करने वालों को मिले मानसिक उपचार... समाज में शामिल हो सकें:...

बच्चे/बच्चियों का रेप करने वालों को मिले मानसिक उपचार… समाज में शामिल हो सकें: केरल HC, नाबालिग छोटी बहन का रेप करने वाले को दी जमानत

केरल हाई कोर्ट ने कहा कि POCSO में बंद अपराधियों के लिए मनोरोग के उपचार वाली व्यवस्थाएँ की जाए। कोर्ट ने सरकार से ऐसी स्कीम लाने के लिए कहा, जिससे बलात्कारी सामान्य जीवन जी पाएँ, समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

केरल हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि POCSO (बच्चों के साथ यौन अपराध) मामलों में बंद अपराधियों के लिए मनोरोग के उपचार वाली व्यवस्थाएँ की जाए। यह बात कोर्ट ने एक नाबालिग के बलात्कार के मामले को सुनते हुए कही। कोर्ट ने नाबालिग के बलात्कारी, जो कि उसका बड़ा भाई है, उसे जमानत भी दे दी।

केरल हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य की जेलों और बाल सुधार गृहों में बंद POCSO जैसे मामलों के आरोपितों/दोषियों को मनोरोग उपचार या मनोचिकित्सा देने के लिए एक स्कीम बनाई जानी चाहिए। इसके लिए केरल हाई कोर्ट ने केरल के स्वास्थ्य विभाग और केरल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को मिलकर ऐसी स्कीम लाने के लिए कहा है। ताकि POCSO के अपराधी वापस समाज में सामान्य जीवन जी पाएँ और समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें। केरल हाई कोर्ट ने इसके अंतर्गत अलग-अलग उपायों की बात की है।

केरल हाई कोर्ट ने साथ ही में राज्य के शिक्षा विभाग को कहा है कि वह उनके स्कूलों में ऐसी व्यवस्था करें ताकि यौन हिंसा की पीड़िताओं की विशेष देखभाल की जाए और उनके प्रति संवेदनशीलता दर्शाएँ। कोर्ट ने कहा है कि राज्य के शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाली यौन पीड़िताओं को किसी भी प्रकार से अलग पहचान नहीं दी जानी चाहिए।

कोर्ट ने यह सारी बातें एक ऐसे मामले को सुनते हुए कहीं, जिसमें केरल के मलप्पुरम जिले में एक 19 वर्षीय युवक ने अपनी 13 वर्षीय नाबालिग बहन का बलात्कार किया था। केस के अनुसार आरोपित ने ऐसा ड्रग्स के नशे में किया था। पीड़िता का इस मामले में कहना है कि उसके द्वारा इसकी शिकायत करने के कारण उसका परिवार बिखर गया है, इसलिए वह दुखी है। हालाँकि, पीड़िता अपने आरोपों पर डटी हुई है। पीड़िता और उसकी माँ ने बताया है कि इससे पहले भी आरोपित हिंसक प्रवृत्ति दिखाता था।

अपनी बहन के आरोपों से उलट आरोपित ने अपनी याचिका में कहा था कि वह निर्दोष है, उसे जमानत दी जानी चाहिए। हालाँकि, सरकारी वकील ने इस युवक को जमानत दिए जाने का विरोध किया। कोर्ट ने ऐसे मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले एक संगठन VRC की मदद भी ली थी। VRC से जुड़ी वकील मेनन ने पीड़िता और आरोपित दोनों से बात की।

वकील मेनन ने कहा है कि आरोपित नशा जरूर करता था लेकिन आदतन नशेड़ी नहीं है। हालाँकि, उसके साथ गुस्से सम्बन्धी समस्याएँ जरूर हैं। वकील मेनन ने कहा कि परिवार का एकीकरण अभी नहीं होना चाहिए क्योंकि अपराधी और पीड़िता भाई बहन हैं। वकील मेनन की ही सलाह पर पीड़िता के लिए निर्देश जारी किए गए।

वहीं कोर्ट ने कहा कि आरोपित युवक को मई में हिरासत में लिया गया था, अब उसे और अधिक दिन हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है, इसलिए जमानत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने आरोपित को जमानत देते हुए उसके गृह जिले में ना जाने का आदेश दिया है।

कुछ दिन पहले एक अन्य मामले में केरल हाई कोर्ट ने 12 वर्षीय एक नाबालिग लड़की को गर्भपात की इजाजत देने से मना कर दिया था। वह अपने ही नाबालिग भाई से सम्बन्ध बनाने के कारण गर्भवती हो गई थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

थीसिस पेश करने से लेकर, डिग्री पूरी होने तक… जानें जामिया मिलिया इस्लामिया में गैर-मुस्लिमों के साथ होता है कैसा बर्ताव, सामने आई रिपोर्ट

'कॉल फॉर जस्टिस' की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट से पता चलता है कि जामिया मिलिया इस्लामिया में गैर-मुस्लिमों के साथ न केवल भेदभाव हुआ बल्कि उन्हें धर्मांतरण के लिए उकसाया भी गया।

बांग्लादेश में संविधान का ‘खतना’: सेक्युलर, समाजवादी जैसे शब्द हटाओ, मुजीब से राष्ट्रपिता का दर्जा भी छीनो – सबसे बड़े सरकारी वकील ने दिया...

युनुस सरकार बांग्लादेश के संविधान से 'सेक्युलर' शब्द निकालने की तैयारी कर रही है। इसे इस्लामीकरण की दिशा में एक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -