केरल उच्च न्यायलय के न्यायाधीश वी चिताम्बरेश की ब्राह्मण समुदाय को लेकर विवादित टिप्पणी प्रकाश में आई है। उनके अनुसार ब्राह्मणों को जातिगत आरक्षण के खिलाफ आंदोलन करना चाहिए। हालाँकि उन्होंने साथ में साफ कर दिया कि संवैधानिक पद पर आसीन होने के चलते वह राय नहीं दे रहे, खाली श्रोताओं की रुचि जागृत कर रहे हैं। उन्होंने ब्राह्मणों को सलाह दी कि केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात करें, जाति या आस्था के आधार पर नहीं। वह तमिल ब्राह्मणों के एक समूह को 19 जुलाई को सम्बोधित कर रहे थे।
‘पूर्व जन्म के कर्मों से बनता है ब्राह्मण’
वी चिताम्बरेश के अनुसार ब्राह्मण द्विज यानी ‘दो बार जन्म लेने वाले’ (उपनयन संस्कार को ‘दूसरा जन्म’ कहा जाता है) होते हैं, दूसरी बार जन्म लेने का मौका पूर्व जन्म के पुण्यों से मिलता है। उन्होंने ब्राह्मण की विशेषताएँ ‘स्वच्छ आदतें, उत्कृष्ट सोच, शानदार चरित्र, अधिकांशतः शाकाहारी होना, शास्त्रीय संगीत का पुजारी’ होना बताया। उनके मुताबिक जब किसी व्यक्ति में यह गुण आ जाते हैं, तो वह ब्राह्मण हो जाता है।
पद से हटाने की माँग
दिसम्बर 2012 में ही पूर्णकालिक जज बने वी चिताम्बरेश को हटाने के लिए सोशल मीडिया पर आवाज़ें आना शुरू हो गईं हैं। एक व्यक्ति ने उन्हें मूर्ख कहा, तो एक ने नफरती (‘bigot’)। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ऐसे विचार रखने वाला व्यक्ति भला दलितों या अल्पसंख्यकों के मामले में न्याय कैसे करेगा।
If by any chance #हिन्दुत्व_खतरें_में becomes a possibility, these kind of casteist bigots are solely responsible for that.#VChidambaresh is not trustworthy to be a judge. Imagine what kind of judgement he’ll deliver for #dalit & minorities!https://t.co/6pzOPz9eer
— SunandaSSinha (@SunandaSSinha) July 24, 2019
A lot of well wishers are asking me to delete my tweet.
— Ravi Nair (@t_d_h_nair) July 23, 2019
Sorry mates. I stick to what I said. Chidambaresh doesn’t worth to be in the chair of justice. His judgements will be prejudiced on castes and religion. How can we trust such people?https://t.co/Z39GbLaZgp
A Brahmin is twice born because of his good karmas in his previous birth. He has Lofty thinking, clean habits, vegetarian & a Karnatic music lover.
— Ravi Nair (@t_d_h_nair) July 23, 2019
…All good qualities rolled into one is a Brahmin”
An idiot – a sitting judge of Kerala HC – said thishttps://t.co/LbdIE320na…
मंदिर के पटाखों पर प्रतिबंध के लिए दे चुके हैं याचिका
जस्टिस चिताम्बरेश के करियर का इतिहास कई पक्षों वाला है। एक चर्च के स्वामित्व के मामले में उन्हें सुनवाई से हटना पड़ा था क्योंकि वकील रहते वह विवादित गुटों में से एक के पक्ष में मुकदमा लड़ चुके हैं। इसके अलावा 2016 में उन्होंने केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को खुद जज रहते एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें त्रिसूर पूरम उत्सव में ज्यादा शोर करने वाले पटाखों पर प्रतिबंध की पैरवी की थी। बाद में उनके पत्र को जनहित याचिका बनाकर हाई कोर्ट ने शाम से सुबह तक ऐसे पटाखों को प्रतिबंधित कर दिया, जिससे भड़क कर उत्सव में भाग लेने जा रहे आठ अन्य मंदिरों ने तिरुवम्बादी और परमेक्कावु मंदिरों के देवास्वोम बोर्डों की अगुआई में पूरे उत्सव को ही रद्द कर केवल जरूरी पूजापाठ करने की चेतावनी दी थी। यहाँ तक कि त्रिसूर के आर्कबिशप को भी मंदिरों और उत्सव के पक्ष में आना पड़ा था।
अंततः अदालत के आदेश के बाद भी प्रदेश के नेताओं ने उत्सव में किसी भी प्रकार की कमी करने से मना कर दिया था। माना जाता है कि इसका कारण रातों-रात 1300 साल पुराने वडक्कुनाथन मंदिर क्षेत्र, जिसे केरल की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है, में तख्तियाँ टंग गई थीं, जिन पर नेताओं को चेतावनी थी कि अगर आप पूरम का आयोजन नहीं कर सकते, तो वोट माँगने मत आना।