कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत से ही वामपंथी शासन वाले केरल राज्य के ‘कोरोना मॉडल’ की कथित सफलता को लेकर उदारवादी और वामपंथी वर्ग द्वारा जमकर प्रोपेगेंडा चलाया गया। वास्तविकता यह है कि सिर्फ मंगलवार (जनवरी 19, 2021) को केरल राज्य में 6,186 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं और अब तक राज्य में रिपोर्ट किए गए कुल मामले 8,57,80 हो गए हैं।
#IndiaFightsCorona:
— #IndiaFightsCorona (@COVIDNewsByMIB) January 20, 2021
79.2% of the new cases are concentrated in seven States and UTs.
Kerala reported the highest daily new cases at 6,186. It is followed by Maharashtra with 2,294 new cases.#Unite2FightCorona #IndiaWillWin #StaySafe@ICMRDELHI pic.twitter.com/UNyV07ASQn
केरल राज्य में कोरोना संक्रमण के मामलों में यह बढ़त ऐसे समय में दर्ज की गई, जब देश और बाकी अन्य राज्यों में संक्रमण से ज्यादा रिकवरी के आँकड़े हैं। इन नए मामलों में, 5,541 लोकल ट्रांसपोर्ट द्वारा संक्रमित मामले हैं जबकि 484 मामलों के संक्रमण का स्रोत उपलब्ध नहीं है। ख़ास बात यह है कि केरल राज्य में मंगलवार को सामने आए संक्रमित लोगों में 69 चिकित्सा या पैरामेडिकल कर्मचारी हैं और 92 लोग राज्य के बाहर से आए हैं।
जनवरी माह में दूसरी बार दर्ज हुआ संक्रमण के मामलों में उछाल
मंगलवार को केरल राज्य में 6,186 कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए, जो कि जनवरी माह में दूसरी बार सबसे ज्यादा संख्या है। वहीं, पूरे देश में 13,821 नए संक्रमण पाए गए। यानी, मंगलवार के दिन पूरे देश में कोरोना के मामलों में 45% मामले अकेले केरल से दर्ज हुए हैं।
पत्रकारों की विच हंटिंग में मशगूल महाराष्ट्र राज्य में कोरोना के संक्रमण के मामलों में दूसरे स्थान पर है, जहाँ मंगलवार को 2294 केस दर्ज किए गए। इस तरह से, पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में 61% मामले मात्र महाराष्ट्र और केरल, इन्हीं दो राज्यों से दर्ज किए गए।
राज्य में बढ़ती कोरोना मामलों की संख्या पर केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने संदेह जताते हुए कहा है कि एक स्टडी के अनुसार, केरल में आगामी जुलाई माह तक ही कोरोना संक्रमित मामलों के प्रति दिन 1,000 तक आने की उम्मीद की जा सकती है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने त्योहारों को बताया दोषी
केके शैलजा ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव और त्योहार राज्य में कोरोना मामलों में वृद्धि का कारण रहे। उन्होंने कहा कि टीकाकरण अभियान एक सकारात्मक संकेत है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम आराम कर सकते हैं।
लिबरल्स का ‘केरल मॉडल’ हुआ फुस्स
‘कोरोना का केरल मॉडल’ पर प्रोपेगेंडा समाचार चैनल के प्रोपेगेंडा पत्रकार रवीश कुमार ने भी उतावलापन दिखाया और जमकर झूठ फैलाया था। रविश कुमार अपने उतावलेपन पर रोक नहीं लगा पाए और मई 13, 2020 को ही ‘केरल मॉडल’ पर जमकर ज्ञान दिया और कहा कि देश को इससे सीखना चाहिए।
दिलचस्प बात ये रही कि मई 14, 2020 को ही ध्रुव राठी नाम के एक ‘सनसनीखेज दावाकार’ ने भी अपने यूट्यूब चैनल पर यही दावे करते हुए जमकर केरल की तारीफ़ कर डाली थी।
जबकि, हालात ये हैं कि बाकी राज्य, जिनमें उत्तर प्रदेश बड़ी आबादी के बावजूद इस महामारी पर अंकुश लगाने स्तर तक कामयाब रहा, अपने मॉडल्स की मार्केटिंग के बजाय चुपचाप अपना काम करते रहे और आज इन राज्यों में कोरोना के केस एकदम न्यून हैं।
लेकिन बड़ा सवाल यही है जो मजहबी फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्टन्यूज़ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा 2015 से ही पूछते आ रहे हैं – “गुजरात मॉडल क्यों? क्या हम स्वास्थ्य का केरल मॉडल अपना सकते हैं?”