केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की रैली के दौरान हिंसा और भड़काऊ नारेबाजी करने वाले मुस्लिम बच्चे के अब्बू अशकर अली को कोच्चि के पल्लूरथी स्थित उसके घर से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। अब उसे अलप्पुझा पुलिस के हवाले किया जाएगा, क्योंकि वहीं पर उसके खिलाफ केस रजिस्टर है। बच्चे के अब्बू का कहना है कि वो पीएफआई का सदस्य नहीं है, लेकिन उसके कार्यक्रमों में शामिल होता रहा है।
‘रिपब्लिक टीवी’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पट्टांजली के एसीपी रविंद्रनाथ ने इस बात को कन्फर्म किया है कि हिन्दुओं के खिलाफ नारेबाजी करने वाले बच्चे का अब्बू पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का एक्टिव मेंबर है। इसके अलावा अशकर अली का कहना है कि बच्चे ने जो भी नारे लगाए थे वो सब सामान्य बात है। उसका दावा है कि सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान भी इस तरह के नारे लगाए गए थे। हालाँकि, वो इस बात से इनकार करता है कि ये नारे हिन्दुओं के खिलाफ लगाए गए थे।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले शुक्रवार को ये केरल पुलिस ने कहा था कि भड़काऊ नारेबाजी के मामले में उन्होंने 18 अन्य को भी पकड़ा है। इससे पकड़े गए लोगों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि शनिवार (21 मई, 2022) को केरल के अलाप्पुझा में मुस्लिम समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) द्वारा आयोजित एक रैली एक मुस्लिम नाबालिग बच्चे ने हिन्दुओं और ईसाइयों को धमकी दी थी। इसमें उसने कहा था, “चावल तैयार रखो। यम (मृत्यु के देवता) आपके घर आएँगे। यदि आप सम्मानपूर्वक रहते हैं, तो आप हमारे स्थान पर रह सकते हैं। अगर नहीं, तो हम नहीं जानते कि क्या होगा।”
इस घटना पर आपत्ति प्रकट करते हुए केरल हाई कोर्ट ने टिप्पणी की थी, ‘इस देश में क्या हो रहा है?’ न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा था कि अगर रैली के किसी सदस्य ने भड़काऊ नारे लगाए हैं, तो इसके लिए रैली का आयोजन करने वाले लोग भी जिम्मेदार थे।
हिंसा से भरा है पीएफआई का इतिहास
कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन का इतिहास उठा कर देखें तो उसमें हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा ही भरी मिलती है। दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों और देश भर में हिंसा की जाँच के दौरान, पीएफआई की भूमिका संदिग्ध रही थी। संगठन के लोगों को दंगों में शामिल होने के लिए गिरफ्तार भी किया गया था। इसके अलावा 2020 में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगों और हिंसा के लिए उकसाने के आरोपित किसानों के विरोध को अपना समर्थन दिया और प्रदर्शनकारियों को संविधान के संरक्षण के लिए संघर्ष करने के लिए कहा था।