Friday, November 15, 2024
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‘किसानों’ की छेड़खानी, शराब, अपराध: OpIndia ने किया उजागर, महापंचायत ने कहा- खाली करो सड़क

महापंचायत के अध्यक्ष ने कहा, "हमारी 3 माँगें हैं - एक तरफ से सिंघू बॉर्डर खोले, कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए और प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड्स नहीं लगाने चाहिए।"

दिल्ली के सीमाओं पर कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे ‘किसानों’ के खिलाफ दिल्ली के गाँव व बॉर्डर से सटे हरियाणा के गाँवों के किसानों की महापंचायत हुई। इसमें ‘किसान’ प्रदर्शनकारियों को अल्टीमेटम दिया गया है कि वह 10 दिन के अंदर सिंघू बॉर्डर को खाली करें।

सोनीपत के सिरसा में हुई इस महापंचायत में दिल्ली के 12 गाँव और हरियाणा के 17 गाँव के किसान व अन्य लोग शामिल हैं। महापंचायत के अध्यक्ष का कहना है, “हमारी 3 माँगें हैं – एक तरफ से सिंघू बॉर्डर खोले, कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए और प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड्स नहीं लगाने चाहिए।”

बता दें कि इस महापंचायत का विशेष कारण- किसानों की तरफ से लगातार बॉर्डर पर बढ़ रही हिंसा है। ताजा घटना की बात करें तो टिकरी बॉर्डर पर मुकेश नाम के युवक को जलाकर मार डाला गया था। इसके अलावा कई बार छोटी-मोटी झड़प की घटनाएँ भी हुई हैं।

इन्हीं सबसे नाराज हो कर ग्रामीणों ने घोषणा की थी कि वह 36 बिरादरी की महापंचायत करेंगे और आंदोलन के खिलाफ फैसला लिया जाएगा। यह पंचायत जांटी रोड, सिंघु स्कूल के पास सिरसा गाँव की बारात घर में हुई। इसमें हजारों लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है।

‘किसानों’ के टेंट या गुंडई का अड्डा?

‘किसानों’ ने जिस मुकेश को जला कर मार डाला, उसकी आवाज बन कर ऑपइंडिया ने वहाँ की ग्राउंड रिपोर्टिंग की। ऑपइंडिया ने ही पहली बार इस बात को उजागर किया कि ‘किसान’ आंदोलन के ‘किसान’ ब्राह्मण विरोधी मानसिकता वाले हैं और मुकेश की जान भी इसी मानसिकता ने ली। मुकेश के गाँव के सरपंच टोनी कुमार ने इस बात को स्पष्ट बताया था कि जिसने मुकेश को जलाया, उसी ने जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल भी किया था। मुकेश की विधवा रेणु भी कहती हैं –

“ये लोग किसान नहीं हैं। ये लोग अपराधी हैं। दारू पिए रहते हैं। होश में नहीं रहते हैं। एक साल हो गया ये लोग जा नहीं रहे यहाँ से। गदर मचा रखा है यहाँ पर।”

मुकेश की विधवा की बातें उनकी अकेली व्यथा नहीं है। ऑपइंडिया से बातचीत में इन कथित किसानों के शराब पीने और उत्पात को लेकर मुकेश के परिजनों के अलावा सरपंच टोनी कुमार और अन्य ग्रामीणों ने भी शिकायतें कीं। ग्रामीणों का कहना है कि ये किसान उनके खेतों में शौच के लिए आते हैं, जिससे महिलाओं को परेशानी होती है। ये गाँव में आकर शराब पीकर हुड़दंग करते हैं। ट्रैक्टर पर घूमते हैं। महिलाओं से छेड़खानी करते हैं। इन्हें तुरंत प्रभाव से गाँव कसार की परिधि से हटाया जाए।”

किसान आंदोलन के कारण हो रहे धंधे चौपट

इसी संबंध में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस महापंचायत के आयोजन से जुड़े संदीप ने कहा कि किसान करीब 7 महीनों से नेशनल हाइवे पर कब्जे करके बैठे हुए हैं, जिनके कारण गाँव के लोगों के अलावा बॉर्डर की सड़कों पर दुकानदार, आस-पास के इंडस्ट्रियल एरिया के फैक्ट्री मालिकों और दूसरे व्यवसाय से जुड़े लोगों का काम धंधा चौपट है।

संदीप ने बताया कि लगातार आस-पास के गाँव के लोगों के साथ मारपीट की घटनाएँ बढ़ रही हैं, पिछले दिनों पास के गाँव में रहने वाले एक व्यक्ति के हाथ काटे जाने की भी खबर है। उनके अनुसार कई बार किसान संगठनों से वे लोग माँग कर चुके हैं कि वह आंदोलन जारी रखें, बशर्ते नेशनल हाइवे के एक हिस्से को लोगों के लिए खोल दें, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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