Sunday, December 22, 2024
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मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे पर लगी रोक सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई, श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस में अब 21 अक्टूबर से होगी सुनवाई: मुस्लिम पक्ष की दलील खारिज

हिंदू पक्ष की ओर से दायर किए गए मामलों में औरंगजेब के समय की मस्जिद को हटाने की माँग की गई है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद यहाँ मौजूद मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी।

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे पर रोक जारी रहेगी। कोर्ट ने इस रोक को हटाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि हमें इस मामले पर विचार करने के लिए समय चाहिए। इस मामले में लंबी सुनवाई की जरूरत है। ऐसे में इस मामले की सुनवाई 21 अक्टूबर से शुरू होने वाले हफ्ते में सुनवाई होगी। ⁠तब तक सर्वे पर लगी रोक जारी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और उससे सटी मस्जिद के विवाद से संबंधित हिंदू वादियों की ओर से दायर किए गए मुकदमे पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम का उल्लंघन करते हैं और इसलिए वे सुनवाई योग्य नहीं हैं। हिंदू पक्ष की ओर से दायर किए गए मामलों में औरंगजेब के समय की मस्जिद को हटाने की माँग की गई है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद यहाँ मौजूद मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने सभी मुकदमों को सुनवाई योग्य ठहराया है। उस आदेश का अध्ययन करने के बाद ही आगे सुनवाई की जा सकती है। मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुननी होंगी। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस केस में समय लगेगा। इसमें लंबी सुनवाई की जरूरत है। 21 अक्टूबर के बाद ही अब इसमें सुनवाई की जाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से निचली अदालत में लंबित कुल 18 मुकदमों को सुनवाई के लिए अपने पास ट्रांसफर किए जाने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया था।

हिंदू पक्ष की तरफ से दायर याचिकाओं में शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं का बताकर यहाँ पर पूजा का अधिकार देने की माँग की गई है। हिंदू पक्ष की तरफ से ये मुकदमे शाही ईदगाह मस्जिद का ढाँचा हटाकर जमीन का कब्जा देने और मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की माँग को लेकर दायर किए गए हैं। यह विवाद मुगल बादशाह औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, माना जाता है कि जिसका निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया।

वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इसे खारिज किए जाने को लेकर दलील पेश की थी। मुस्लिम पक्ष ने इसके लिए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, लिमिटेशन एक्ट. वक्फ एक्ट, स्पेसिफिक पजेशन एक्ट का हवाला दिया था। इस मामले पर 6 जून को सुनवाई हुई थी, जिस पर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हिंदू पक्ष की ओर से कैविएट दायर

हिंदू पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर अनुरोध किया है कि यदि मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट के हालिया आदेश को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाता है तो उनका भी पक्ष सुना जाए। हाई कोर्ट ने मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद से संबंधित 18 मामलों की पोषणीयता के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी। यह कैविएट वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यदि दूसरा समूह शीर्ष अदालत में जाता है तो हिंदू पक्षकारों के खिलाफ कोई एकपक्षीय आदेश नहीं दिया जाए। बता दें कि कैविएट आवेदन किसी वादी की ओर से यह सुनिश्चित करने के लिए दायर किया जाता है कि उसका पक्ष सुने बिना उसके विरुद्ध कोई प्रतिकूल आदेश पारित न किया जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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