मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली को लेकर चल रही अदालती लड़ाई में हिंदू पक्ष को बड़ी जीत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार (14 दिसंबर, 2023) को मथुरा के शाही ईदगाह के वैज्ञानिक सर्वे की अनुमति दी थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से माँग की गई थी कि वो हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे लगाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्टे ऑर्डर देने से इनकार कर दिया। अब हाई कोर्ट द्वारा तय किए गए तरीकों से शाही ईदगाह का पूरा वैज्ञानिक सर्वे किया जाए।
इस वैज्ञानिक सर्वे से ये पता चलेगा कि जिन हिंदू प्रतीकों के होने का दावा हिंदू पक्ष कर रहा है, वो मिले या नहीं। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह को औरंगजेब के शासनकाल में हिंदुओं के पवित्र मंदिर को तोड़कर बनाया गया था, जो हमारे आराध्य भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है। इस जगह पर हिंदू शताब्दियों से पूजा करते रहे हैं। ऐसे में शाही ईदगाह मस्जिद को मौके से हटाना चाहिए, ताकि हिंदुओं को अपने अराध्य की पूजा उनके जन्मस्थान पर करने का मौका मिल सके।
अपने दावे को साबित करने के लिए हिंदू पक्ष ने कोर्ट में पूरे शाही ईदगाह परिसर के वैज्ञानिक सर्वे की माँग की थी। हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही मस्जिद को हिंदुओं के पवित्र मंदिरों को तोड़कर बनाया गया, जिसके निशान अब भी स्पष्ट तौर पर दिखते हैं। ‘लाइव लॉ’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अब इस वैज्ञानिक सर्वे को मंजूरी मिल गई है।
इस बारे में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले के ट्रांसफर से जुड़े मामले में 9 जनवरी की तारीख तय की है। तब इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला ही मान्य रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर किसी तरह की कोई रोक नहीं लगाई है, ऐसे में हाई कोर्ट द्वारा तय किए गए निर्देशों के ध्यान में रखते हुए शाही ईदगाह का वैज्ञानिक सर्वे जल्द पूरा कर लिया जाएगा।”
#WATCH | On Supreme Court refusing to stay Allahabad High Court’s December 14 order which allowed the primary survey of the Shahi Idgah complex adjacent to the Shri Krishna Janmabhoomi Temple in Uttar Pradesh's Mathura, Vishnu Shankar Jain, the lawyer for the Hindu side says,… pic.twitter.com/rkMNeVMzN3
— ANI (@ANI) December 15, 2023
इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए हुए VHP (विश्व हिन्दू परिषद) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, “भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि की मुक्ति में बाधक और विदेशी आक्रांताओं सहयोगियों को अब सर्वोच्च न्यायालय ने भी जड़ा गहरा तमाचा! मथुरा में मंदिर परिसर का सर्वे अब हो कर ही रहेगा। आशा है अब न्याय और सत्य की अन्वेषण में कोई और बाधक नहीं बनेगा!”
भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि की मुक्ति में बाधक और विदेशी आक्रांताओं सहयोगियों को अब मा. सर्वोच्च न्यायालय ने भी जड़ा गहरा तमाचा! मथुरा में मंदिर परिसर का सर्वे अब हो कर ही रहेगा।
— विनोद बंसल Vinod Bansal (@vinod_bansal) December 15, 2023
आशा है अब न्याय और सत्य की अन्वेषण में कोई और बाधक नहीं बनेगा!!#जयश्रीकृष्ण
बता दें कि गुरुवार (14 दिसंबर, 2023) को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर स्थित शाही ईदगाह के सर्वे के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुमति दी थी। कोर्ट ने इस सम्बन्ध में दायर याचिका को मंज़ूरी देते हुए इस पूरे परिसर की जाँच के लिए एक एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की माँग को माना है। इसी की देखरेख में सर्वे पूरा होगा। यह याचिका हिन्दू पक्ष की तरफ से श्रीकृष्ण विराजमान और वकील विष्णु शंकर जैन समेत 7 लोगों द्वारा लगाई गई थी।
हिन्दू पक्ष का दावा है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म राजा कंस के कारागार में हुआ था और यह जन्मस्थान शाही ईदगाह के वर्तमान ढाँचे के ठीक नीचे है। सन् 1670 में मुगल आक्रांता औरंगज़ेब ने मथुरा पर हमला कर दिया था और केशवदेव मंदिर को ध्वस्त करके उसके ऊपर शाही ईदगाह ढाँचा बनवा दिया था और इसे मस्जिद कहने लगे। मथुरा का मुद्दा नया नहीं है।
अदालत में इस मामले में याचिकाएँ दाखिल की गई हैं और उन पर सुनवाई होती रही है। 13.37 एकड़ जमीन पर दावा करते हुए हिन्दू यहाँ से शाही ईदगाह ढाँचे को हटाने की माँग करते रहे हैं। 1935 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी के हिन्दू राजा को भूमि के अधिकार सौंपे थे।