मथुरा में शाही ईदगाह विवादित ढाँचा के भीतर बने कुँए पर हिन्दुओं ने होली के मौके पर पूजा करने की माँग की है। इसके लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई है। कहा गया है कि मुस्लिम पक्ष लगातार यहाँ पूजा में व्यवधान उत्पन्न करता आया है ऐसे में पूजा को सुचारू रूप से करवाया जाए।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष यह याचिका श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेन्द्र प्रताप सिंह ने लगाई है। उन्होंने कहा है कि शाही ईदगाह विवादित ढाँचा में सीढ़ियों के पास बने कुँए पर लम्बे समय से हिन्दू पूजा करते आए हैं, लेकिन अब मुस्लिम इसमें व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं। यह कुआँ हिन्दुओं के लिए धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है और इसका निर्माण श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने करवाया था।
इस कुएँ पर महिलाएँ होली के त्यौहार के बाद शीतला माता की पूजा करती हैं। यह बासोड़ा की पूजा कही जाती है। यह पूजा लम्बे समय से होती आई है। लेकिन जबसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर हिन्दुओं ने सर्वे सहित अन्य माँगे चालू की हैं, तबसे मुस्लिम पक्ष इस पूजा में व्यवधान डालने लगा है। अब इस पूजा को करवाने के लिए प्रशासन को भारी पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ती है। पिछले वर्ष भी ऐसा ही हुआ था।
याचिका लगाने वाले महेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि मुस्लिम पक्ष का यह रवैया तब है जब यहाँ पूजा को लेकर कोर्ट का रोक जैसा कोई आदेश नहीं है। उन्होंने कहा कि यहाँ लोग अपने बच्चों का मुंडन आदि करवाते थे। यहाँ पर हिन्दुओं का पूजा का अधिकार सुरक्षित हो सके, ऐसे में हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई है। इस याचिका पर सुनवाई 13 मार्च, 2024 को हो सकती है। इस दिन शाही ईदगाह – कृष्ण जन्मभूमि मामले को कोर्ट द्वारा सुना जाना है।
गौरतलब है कि यह शाही ईदगाह वर्तमान में विवादित है और इसको लेकर न्यायालयों में कई याचिकाएँ पड़ी हुई हैं। हिन्दू पक्ष का कहना है कि मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के बराबर में बनी शाही ईदगाह वाला ढाँचा जबरन वही बना दिया गया जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस जगह पर कब्जा करके ढाँचा बनाया गया है। यहाँ अभी भी कई ऐसे सबूत हैं जो कि यह सिद्ध करते हैं कि यहाँ पहले एक मंदिर हुआ करता था।
हिन्दू पक्ष का दावा है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म राजा कंस के कारागार में हुआ था और यह जन्मस्थान शाही ईदगाह के वर्तमान ढाँचे के ठीक नीचे है। सन् 1670 में मुगल आक्रांता औरंगज़ेब ने मथुरा पर हमला कर दिया था और केशवदेव मंदिर को ध्वस्त करके उसके ऊपर शाही ईदगाह ढाँचा बनवा दिया था और इसे मस्जिद कहने लगे। 13.37 एकड़ जमीन पर दावा करते हुए हिन्दू यहाँ से शाही ईदगाह ढाँचे को हटाने की माँग करते रहे हैं।