हाल ही में ‘किसान आंदोलन’ में सिंघु बॉर्डर पर दलित लखबीर सिंह की निहंगों ने बेरहमी से हत्या कर के गला रेते हुए शव को लटका दिया था। उनके दाहिने हाथ को भी बगल में टाँग दिया गया था। निहंगों ने मृतक को ‘दुष्ट’ बताते हुए कहा कि गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी करने वालों को यही सज़ा मिलेगी। अब ‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब सत्कार कमिटी’ ने लखबीर सिंह के परिजनों से मुलाकात की है। उनकी 35 वर्षीय पत्नी का कहना है कि ‘बाबाजी’ (गुरु गोविंद सिंह) को इतना मानने वाला लखबीर कभी इस तरह का काम नहीं कर सकता।
पंजाब के तरनतारन जिले के चीमा कलाँ गाँव में रहने वाले लखबीर सिंह के परिवर ने ‘द प्रिंट’ की तनुश्री पांडेय से बात करते हुए कहा कि वो एक पक्का सिख था, जो दिन में दो बार गुरुद्वारा में प्रार्थना करता था। पत्नी बार-बार उन तस्वीरों और वीडियो को याद कर रोने लगती हैं, जो लखबीर की मौत को एकर वायरल हुए। परिवार को विश्वास नहीं हो रहा कि वो दिल्ली गया क्यों और इस मामले में जाँच की माँग की है।
‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब सत्कार कमिटी’ का कहना है कि ‘किसान आंदोलन’ को ख़त्म करने के लिए और सिख पंथ को बदनाम करने के लिए सरकार ने लखबीर को ‘बलि का बकरा’ बनाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जब कुछ भी कर के ‘किसान आंदोलन’ को बंद नहीं करा पाई, तो उसने ये तरीका अपनाया। उन्होंने कहा कि लखबीर का पूरा परिवार धार्मिक है, लेकिन उसे पैसे या ड्रग्स की लालच या धमकी में ऐसा करने को कहा गया हो सकता है।
‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब सत्कार कमिटी’ के मुखिया तरलोचन सिंह ने कहा कि लखबीर सिंह के गाँव के कई लोग ‘किसान आंदोलन’ का समर्थन करने दिल्ली की सीमाओं पर गए, लेकिन वो उनके साथ नहीं गया था। उन्होंने कहा कि अचानक वो वहाँ गया, तो इसकी जाँच होनी चाहिए। इस हत्याकांड को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि निहंग उसे मारना नहीं चाहते थे। उन्होंने कहा कि ये निहंग हमारे भाई हैं और उन्होंने अपना कर्तव्य निभाया, जिसका दुःख न उन्हें है और न हमें।
Sri Guru Granth Sahib Satkar Committee defends lynching, but feels #LakhbirSingh was part of larger govt conspiracy. They said, “Sikho me jaat nahi dekhi jaati. Maarne wala Dalit hai, marne wala bhi Dalit tha. Granth ka apman sarkar ka aadmi karega ya khuda ka, hum jhatka denge” pic.twitter.com/aqMQMtcLkv
— Tanushree Pandey (@TanushreePande) October 16, 2021
उन्होंने कहा कि वो कोई सरकारी एजेंट या कोई मंत्री ही क्यों न हो, हमारे ग्रन्थ को हाथ लगाने वालों का हम यही हाल करेंगे और हम ऐसा दोबारा करेंगे। उन्होंने कहा कि ये सरकार के लिए स्पष्ट सन्देश है कि हमने हमारे साथ हुए अन्याय पर एक शब्द नहीं बोला, लेकिन अब नहीं। उन्होंने कहा कि सिखों को खालिस्तानी और आतंकी कहा गया, लेकिन हम अपने धर्म के लिए किसी को मार भी सकते हैं।
‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब सत्कार कमिटी’ ने कहा, “हम लखबीर सिंह को जाने देते, लेकिन फिर उसे सज़ा नहीं मिलती। हम नहीं छिपा रहे कि हमने उसे नहीं मारा। हमें इसका कोई दुःख नहीं। हम सरकार पर विश्वास खो चुके हैं, इसीलिए हमें कानून अपने हाथ में लेना पड़ा। हमने न्याय किया। हम इसके लिए माफ़ी नहीं माँगते। किसी सरकारी एजेंसी पर हमें भरोसा नहीं।” कमिटी ने परिवार के सामने माफ़ी माँगने से मना कर दिया।