Monday, December 23, 2024
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‘वो आतंकवादी थे, खालिस्तानी थे… किसान नहीं’ – लखीमपुर खीरी हिंसा से पीड़ित एक पिता हैं TV-मोबाइल से दूर… बेटे शुभम मिश्रा को मरते नहीं देख सकते

शुभम के पिता विजय मिश्रा कहते हैं कि घटना के बाद से उन्होंने टीवी या मोबाइल कुछ नहीं खोला। हर जगह सिर्फ यही सब दिखा रहे हैं और वो अपने बच्चे को मरता हुआ नहीं देख सकते।

लखीमपुर खीरी हिंसा में भाजपा कार्यकर्ता शुभम मिश्रा की मृत्यु पर उनके परिजनों ने मीडिया से बातचीत में उग्र किसानों की भीड़ को आतंकी करार दिया। शुभम के चाचा अनूप मिश्रा ने जहाँ प्यारा हिंदुस्तान यूट्यूब चैनल से बात करते हुए स्पष्ट तरह से आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल किया। वहीं उनके पिता विजय मिश्रा ने बताया कि गाड़ियाँ उप-मुख्यमंत्री को लेने जा रही थीं। वहीं पहले गाड़ी पर हमला हुआ जिससे गाड़ी अनियंत्रित हुई और कुछ लोगों को चोटें आईं। इसके बाद सबने शुभम को पकड़कर मारना सुरू कर दिया और इतना मारा कि वो मर गया। 

शुभम के पिता विजय मिश्रा कहते हैं कि घटना के बाद से उन्होंने टीवी या मोबाइल कुछ नहीं खोला। हर जगह सिर्फ यही सब दिखा रहे हैं और वो अपने बच्चे को मरता हुआ नहीं देख सकते। उनके मुताबिक, शुभम को मारने वाली किसान नहीं थे इसके पीछे आतंकी संगठनों का हाथ था।

शुभम के परिजन बताते हैं कि इस घटना में कहीं से कहीं तक किसान नहीं था, ये उग्रवादियों का काम है। उनके अनुसार, अगर किसान वहाँ थे तो सिर्फ 25 फीसद बाकी 75 प्रतिशत बाहरी आए थे जिन्होंने माहौल ऐसा किया। ये सब सुनियोजित था। इसलिए लोग बुलाए गए थे। परिजन पूछते हैं जैसे लोगों को मारा गया, क्या वैसे कोई किसान हो सकता है?

योगी सरकार द्वारा स्थिति को संभालने के प्रयासों में शुभम के परिवार ने कहा कि जो भी योगी सरकार कर रही है वो बिलकुल सही कर रही है। इन सब चीजों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

शुभम के पिता कहते हैं कि वहाँ (प्रदर्शन में) बैठे सभी लोगों ने मन बना रखा था कि ‘सांसद’ को मारना है, उनके प्रतिनिधियों को मारना है। वो लोग अटैक करने की फिराक में थे लेकिन कामयाब नहीं हुए। विजय मिश्रा के अनुसार, प्रदर्शन पर बैठे कुछ लोगों ने काले कपड़े पहने थे तो कुछ ने खालिस्तानी कपड़े भी पहने हुए थे। उन्हें लगता है कि वो सब खालिस्तानी ही थे। राकेश टिकैत को लेकर उन्होंने कहा कि जो बयानबाजी जगह-जगह कर रहे हैं वो सब सिर्फ अपना वर्चस्व बनाने के लिए है।

परिजन कहते हैं कि जो लड़के (भाजपा कार्यकर्ता) मारे गए हैं उस पर न किसान नेता ने कुछ कहा है और न ही अखिलेश यादव ने। आखिर ये भी तो किसान के बच्चे हैं। उनको सिर्फ बीजेपी का क्यों बताया जा रहा है। विपक्षी सिर्फ इन सब चीजों को जाल बना कर फैला रहे हैं और उपद्रव करवाने की साजिश रच रहे हैं। सब किसानों की बात कर रहे हैं लेकिन इन लड़कों (भाजपा कार्यकर्ताओं) के बारे में बात नहीं हो रही।

परिवार का कहना है कि गाड़ी में बैठे लोगों से जो हुआ वो चोटिल होने के बाद हुआ। वह अपनी जान बचा रहे थे। लेकिन बाद में जो किया गया वो क्या था। गाड़ी से उतारकर सबको मारा गया। ये कितना बड़ा जुल्म है। भाजपा कार्यकर्ता के परिजनों ने इस पूरे किसान आंदोलन को लेकर कहा कि अब ये खत्म होना चाहिए। इसके बल पर विपक्ष अपनी रोटियाँ सेंक रहा है।

मृतक के पिता माँग करते हैं कि जैसा कि शुभम को वीडियो में मारते हुए 8-9 लोगों को दिखााया गया है उन सभी को सरकार को ढूँढकर बाहर निकालना चाहिए और उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए। वह कहते हैं कि वो भी किसान ही हैं जिन्हें किसान संगठन बनाकर बदनाम किया जा रहा है। इस आंदोलन का कोई मतलब नहीं है। ये आंदोलन बंद होना चाहिए। इसमें बहुत गलत हो रहा है। परिजन नहीं चाहते जैसे उनके शुभम को छीना गया वैसे किसी और का बच्चा छीना जाए।

उल्लेखनीय है कि लखीमपुर खीरी में ‘किसान प्रदर्शनकारियों’ ने जो हिंसा की, उसमें मारे गए लोगों में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के ड्राइवर हरिओम मिश्रा, भाजपा कार्यकर्ता श्याम सुंदर निषाद और ‘ABP News’ के पत्रकार रमन कश्यप के अलावा एक नाम शुभम मिश्रा का भी है। शुभम मिश्रा युवा थे। डेढ़ साल पहले ही शादी हुई थी। वो भाजपा से जुड़े हुए थे। उनका एक छोटा सा बच्चा भी है। परिवार की स्थिति बदहाल है। शुभम के पिता विजय मिश्रा ने पुलिस में जो तहरीर दी है, उसमें उन्होंने बताया है कि न सिर्फ उनके बेटे को मार डाला गया, बल्कि उनका पर्स और सोने की चेन भी गायब है। आशंका जताई जा रही है कि उनकी हत्या के बाद हत्यारे सोने की चेन और पर्स लेकर भी निकल गए। मेडिकल रिपोर्ट में भी पुष्टि हुई है कि डंडों से मारे जाने और घसीटे जाने के कारण उनकी मृत्यु हुई। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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