लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में यूपी पुलिस की SIT ने सीजेएम (चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट) कोर्ट को बताया है कि किसानों पर गाड़ी चढ़ने की पूरी घटना किसी लापरवाही का अंजाम नहीं थी बल्कि उसके लिए पहले से साजिश रची गई थी। एसआईटी ने मामले को ‘सुनियोजित योजना’ करार दिया। साथ ही सभी आरोपितों की रिमांड के लिए उन्हें सीजेएम कोर्ट में पेश किया।
लखीमपुर केस: एसआईटी की रिपोर्ट 3 अक्टूबर को हुई घटना लापरवाही और दुर्घटना नहीं बल्कि जानबूझकर पूर्व सुनियोजित योजना के अनुसार जान से मारने के लिए किया गया कृत्य था" #lakhimpurkheri #LakhimpurViolence #SIT pic.twitter.com/RdlynZMhQM
— GaonConnection (@GaonConnection) December 14, 2021
सुनवाई के दौरान जानकारी दी गई कि उन्हें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा समेत सभी 13 आरोपितों के ऊपर जानलेवा हमला और हत्या की धारा बढ़ानी है। अब सुनवाई के बाद अदालत ने इस केस पर फैसले को सुरक्षित रख लिया है। वरिष्ठ पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एसपी यादव ने अदालत के सामने अनुरोध किया कि 13 आरोपितों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 307, 326, 34 के साथ-साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 3, 25 और 30 को भी लागू किया जाए। इसके अलावा मामले में लगी धारा 279 (रैश ड्राइविंग), 338 और 304ए को केस से हटाया जाए।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में 3 अक्टूबर को हिंसा के दौरान चार किसान, एक पत्रकार, 3 भाजपा कार्यकर्ता समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे आशीष मिश्र समेत 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में 13 आरोपित अब भी जेल में हैं। दूसरे पक्ष से सभासद सुमित जायसवाल की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
इसी केस में पिछले माह सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी आई थी। कोर्ट का कहना था कि लखीमपुर हत्याकांड की जाँच कर रहे अधिकारियों को अपग्रेड किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से वरिष्ठ अधिकारियों की सूची भी माँगी थी, जिसके बाद यूपी सरकार ने जाँच का नेतृत्व करने के लिए हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज का चुनाव करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से कहा था।
मालूम हो कि आरोपितों के विरुद्ध जाँच में तेजी के लिए यूपी पुलिस की एसआईटी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। पुलिस ने घटना के चश्मदीदों से सामने आकर बयान देने की अपील की थी। टीम ने कहा था कि जो कोई भी घटना संबंधी जानकारी देगा उसकी पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। इसके अलावा संदिग्धों की शिनाख्त के लिए यूपी पुलिस ने इनाम की घोषणा की थी। बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या मामले में भी किसानों को नोटिस देने के बाद उनके पूछताछ की गई थी।