झारखंड के धनबाद में प्रस्थापित SDM (सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट) सुरेंद्र कुमार पर छात्राओं पर लाठीचार्ज के आरोप लगे हैं। धनबाद कलेक्ट्रेट में पुलिस ने राज्यमंत्री बन्ना गुप्ता के समक्ष ही विरोध प्रदर्शन कर रही छात्राओं पर लाठियाँ बरसाई। 6 जुलाई की इस घटना के दौरान खुद SDM सुरेंद्र कुमार को लाठी लेकर लड़कियों को पीटते हुए देखा गया। जब इस घटना का विरोध हुआ तो जाँच की बात कह के इतिश्री कर ली गई।
There's a well-established procedure for reassessment. If any unsuccessful student wants to pass the exam, he/she should approach the grievance cell. As far as the lathi-charge is concerned, the (Dhanbad) DC has constituted an enquiry: Jharkhand Education Minister Jagarnath Mahto pic.twitter.com/lTYFkK5Qhy
— ANI (@ANI) August 9, 2021
बता दें कि झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो व कॉन्ग्रेस गठबंधन की सरकार चल रही है। मीडिया में भी इस खबर को दबा दिया गया, जिससे इसके बारे में ज्यादा बात ही नहीं हुई। SDM सुरेंद्र कुमार पर आरोप है कि उन्होंने बेवजह और बिना चेतावनी दिए ही इंटर की छात्राओं पर लाठियाँ चटकाई। भाजपा समेत कई विपक्षी दलों ने राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बन्ना गुप्ता के निर्देश के बाद उपयुक्त संदीप कुमार ने एक जाँच समिति बनाई।
धनबाद के SDM सुरेंद्र कुमार का विवादों से पुराना नाता रहा है। इससे पहले भी उन पर वसूली के आरोप लगे थे। उनके खिलाफ तब भी जाँच बिठाई गई थी। जाँच रिपोर्ट राज्य सरकार के पास भी भेजी गई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। अब फिर से समिति बनाई गई है। 3 दिन में जाँच पूरी कर लिए जाने की बात कही जा रही है। कार्रवाई का आश्वासन भी मिला है। दरअसल, ये पूरा मामला झारखंड बोर्ड के 12वीं के परिणामों से जुड़ा है।
जो छात्राएँ इस परीक्षा में फेल कर दी गई हैं, उन्होंने आंदोलन छेड़ रखा है। पिछले 10 दिनों से वो सड़क पर हैं। इसी बीच उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के धनबाद समाहरणालय में आने की सूचना मिली थी, जिसके बाद वो वहाँ उनसे मिल कर अपनी बात रखने के लिए जमा हो गईं। अधिकारियों ने उन्हें मंत्री से मिलवाने से इनकार कर दिया तो प्रदर्शनकारी छात्राएँ वहीं धरने पर बैठ गईं। इसी बीच SDM सुरेंद्र कुमार ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। कई छात्राएँ घायल हुईं।
अंदर मंत्री बैठक करते रहे, बाहर SDM सुरेंद्र कुमार और उनके निर्देश पर पुलिसकर्मी छात्राओं को दौड़ा-दौड़ा कर पीटते रहे। कइयों को तो अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पुलिस ने 10 छात्राओं को हिरासत में भी ले लिया। विरोध में अगले दिन ABVP ने बंद का आह्वान किया था। SDM सुरेंद्र कुमार पर आरोप है कि उन्होंने न सिर्फ छात्राओं को लाठी से पीटा, बल्कि उनके हाथ पकड़ कर खींच दिए और कंधा पकड़ कर नीचे ठेल दिया।
छात्राओं का कहना था कि अधिकारी ने उन्हें गालियाँ भी दीं। लाठीचार्ज के बाद मौके पर कई छात्राओं के पर्स व पर्स व चप्पल वहाँ छूट गए। महिला पुलिसकर्मियों तक को नहीं बुलाया गया था, पुरुष पुलिसकर्मी ही लाठीचार्ज करते रहे। जमीन पर गिरी छात्राएँ किसी तरह वहाँ से भागने लगीं। एक छात्रा की माँ को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। दो बेहोश छात्राओं को गाड़ी से अस्पताल पहुँचाना पड़ा। किसी के हाथ जख्मी थे तो किसी की पीठ पर निशान बन गए थे।
भाजपा और ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) इस घटना को लेकर खासा मुखर है। इससे पहले यही अधिकारी सरकारी जमीन की बंदोबस्ती मामले में फँसे थे। नवंबर 2020 में उनके खिलाफ जाँच बिठाई गई थी। उन पर सरकारी जमीन को बंदोबस्त करने और कब्जा कराने का आरोप था, जिसके बाद राजस्व विभाग ने जाँच की अनुशंसा की थी। आरोप था कि उनके कार्यकाल में सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन व वन भूमि की रसीद काटी गई।
इसी में से एक 35 एकड़ भूमि की रसीद उर्मिला बजाज के नाम से काटी गई थी। जिस जमीन की रसीद कटी, वो सरकारी जमीन थी। बालीडीह टोल प्लाजा के समीप आदिवासी खाते की जमीन की रसीद भी काट डाली गई थी। इतनी सारी गड़बड़ियाँ मिलने के बाद सरकार ने जमीन की जमाबंदी को रद्द करने की कार्रवाई शुरू कर दी थी। कठोर कार्रवाई की बात तो कही गई, लेकिन अब तक उनके खिलाफ कुछ नहीं हुआ।