Thursday, November 21, 2024
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नीरज के परिवार के लिए ऑपइंडिया का अभियान, 1 दिन में जुटे ₹15 लाख: CAA का समर्थन करने पर मिली थी मौत

ये राशि अंतिम नहीं है क्योंकि लोग लगातार रुपए डोनेट कर रहे हैं। एक प्रबुद्ध जन ने दिवंगत नीरज के दोनों बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का भार वहन करने की इच्छा जताई है, जिसके लिए परिवार से बातचीत की जा रही है। दोनों माध्यमों से कुल मिला कर अभी तक 15 लाख रुपए जुट चुके हैं।

जैसा कि आपने ऑपइंडिया में लगातार आ रही ख़बरों में पढ़ा होगा, लोहरदगा में 23 जनवरी को सीएए के समर्थन में आयोजित हुई रैली पर मुस्लिमों के हमले में घायल होने के बाद नीरज प्रजापति की मृत्यु हो गई थी। लोहरदगा सदर अस्पताल, राँची ऑर्किड हॉस्पिटल और फिर रिम्स में उनका इलाज चला, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। वो देवी-देवताओं की मूर्तियाँ व अन्य पेंटिंग्स बना कर अपना व परिवार का गुजर-बसर करते थे। बेटे की मृत्यु की ख़बर सुन कर नीरज के पिता को भी गहरा सदमा लगा है, जिसके बाद उन्हें रिम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। फ़िलहाल वो घर पर हैं लेकिन उनकी स्थिति ठीक नहीं है।

चूँकि, परिवार की माली हालत ठीक नहीं है और दिवंगत नीरज द्वारा बनाई गई माँ सरस्वती की प्रतिमाएँ बिक नहीं पाईं, ऑपइंडिया ने परिवार की मदद के लिए क्राउडफंडिंग अभियान चलाया। दिवंगत नीरज राम प्रजापति की पत्नी के बैंक अकाउंट डिटेल को जारी किया गया और सार्वजनिक रूप से हमनें जनता से अपील करते हुए कहा कि वे अपनी-अपनी क्षमतानुसार सहयोग करें। नीरज प्रजापति की एक 9 साल की बेटी है और 3 वर्ष का बेटा है, जिनके भरण-पोषण हेतु लोगों द्वारा सहयोग स्वरूप दी गई राशि का अहम योगदान होगा।

ऑपइंडिया के संपादक अजीत भारती ने एक वीडियो के जरिए लोगों को दिवंगत नीरज के परिवार की व्यथा बताई और उनकी पत्नी दिव्या कुमारी के बैंक अकाउंट डिटेल्स सार्वजनिक करते हुए सहयोग की अपील की। हालाँकि, नीरज प्रजापति की पत्नी दिव्या के पास पैन कार्ड नहीं है लेकिन परिवार ने इसके लिए अप्लाई कर दिया है। एक और चिंता वाली बात ये थी कि बैंक अकाउंट में दोनों के लगातार आ रहे डोनेशन के कारण खाते को बैंक प्रशासन संदिग्ध पा सकता है। ऑपइंडिया को परिजनों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सम्बंधित बैंक के मैनेजर ने समस्या को समझा है और पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है।

ऑपइंडिया ने ‘बैंक ऑफ इंडिया’ के चीफ एरिया मैनेजर रविकांत सिन्हा से बातचीत की, जिन्होंने ब्रांच मैनेजर से बात कर के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है। इसके अलावा हम क्राउडफंडिंग वेबसाइट ‘CROWDKASH’ पर भी नीरज के परिवार की सहायता के लिए धन जुटा रहे हैं। वेबसाइट पर घटना के विवरण के साथ लोगों से सहयोग की अपील की गई है। अब तक इस वेबसाइट पर लोगों के सहयोग के जरिए सवा 3 लाख रुपए जुटाए जा चुके हैं।

दिवंगत नीरज प्रजापति की पत्नी का बैंक अकाउंट विवरण

ये राशि अंतिम नहीं है क्योंकि लोग लगातार रुपए डोनेट कर रहे हैं। एक प्रबुद्ध जन ने दिवंगत नीरज के दोनों बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का भार वहन करने की इच्छा जताई है, जिसके लिए परिवार से बातचीत की जा रही है। दोनों माध्यमों से कुल मिला कर अभी तक 15 लाख रुपए जुट चुके हैं।

इतना सब कुछ होने के बावजूद अभी तक न तो झारखण्ड सरकार और न ही प्रशासन की आँखें खुली हैं। ऑपइंडिया ने जब लोहरदगा की डिप्टी कमिश्नर आकांक्षा रंजन से पूछा कि पीड़ित परिवार की सहायता के लिए प्रशासन क्या कर रहा है, उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने ‘नियमानुसार कार्रवाई करने’ का आदेश दिया है। हालाँकि, ये आदेश क्या है और इसके तहत क्या किया जाएगा, इस सम्बन्ध में वो कुछ स्पष्ट नहीं बता पाईं। उन्होंने तो इस बात से भी इनकार कर दिया कि नीरज प्रजापति की मौत लोहरदगा में हुई हिंसा की वजह से हुई है। उनका कहना था कि कार्डियक अरेस्ट की वजह से उनकी मौत हुई, जैसा रिम्स की रिपोर्ट में कहा गया है।

डीसी आकांक्षा रंजन से जब हमने परिवार का पक्ष रखना चाहा तो उन्होंने इसे ‘अफवाह’ और ‘सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने’ वाली ख़बर करार दिया। बता दें कि नीरज राम प्रजापति की पत्नी ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में स्पष्ट लिखा है कि उनके पति के सिर पर लोहे की रॉड से वार किया गया, जब वो सीएए समर्थन रैली में हिस्सा ले रहे थे। एफआईआर कॉपी में भी यही बात लिखी है। एक नेशनल मीडिया के स्थानीय पत्रकार ने हमें सूचना दी है कि प्रशासन को सरकार का आदेश है कि वो अपने स्टैंड पर कायम रहे और परिजनों की माँगों के सामने न झुके। स्थानीय पत्रकार ने बताया कि कुछ घंटों की छूट के साथ इलाक़े में कर्फ्यू अभी भी जारी है।

लोहरदगा में अधिकारीगण दोनों समुदायों के वरिष्ठ लोगों के साथ बैठक पर बैठक कर रहे हैं लेकिन जो पीड़ित हैं, उनकी बातें नहीं सुनी जा रही। याद हो कि नीरज प्रजापति के अंतिम संस्कार को भी जल्दी-जल्दी में निपटाया गया और लोगों को उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने से रोका गया था। लोग इसे झारझंड में सरकार बदलने का दुष्प्रभाव बता रहे हैं। झारखण्ड की हेमंत सोरेन सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण की नित नई इबारत गढ़ रही है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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