Monday, December 23, 2024
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सहमति से बना संबंध शादी का झूठा वादा करके रेप नहीं: रद्द की FIR, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बोला- रिश्ते को समझने में 10 साल नहीं लगते

कोर्ट ने कहा कि 10 साल से अधिक समय तक चले किसी रिश्ते के दौरान बने यौन संबंध को बलात्कार मानना ​मुश्किल है। बकौल कोर्ट, 'विवाह का झूठा वादा' और विवाह करने के वास्तविक वादे को तोड़ने में अंतर है। कोर्ट ने कहा, "ऐसी परिस्थितियाँ हो सकती हैं, जब कोई व्यक्ति, जो अच्छे इरादे रखता हो, विभिन्न अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण पीड़िता से विवाह करने में असमर्थ हो।"

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि जब कोई महिला सहमति से संबंध बनाती है और जब यह रिश्ता शादी में नहीं बदलता है तो वह शादी का झाँसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप नहीं लगा सकती। इसके बाद उच्च न्यायालय ने आरोपित के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि शादी का वादा झूठा है या सच्चा, यह समझने में 10 वर्ष नहीं लगते।

हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपित पुरुष और शिकायतकर्ता महिला ने अपनी मर्जी से दस साल तक रिश्ता बनाए रखा। बाद में वे अलग हो गए, क्योंकि आरोपित शादी नहीं करना चाहता था। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय ने लगातार माना है कि इस तरह के रिश्ते को बलात्कार का रंग नहीं दिया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा, “युवावस्था में जब लड़का और लड़की एक दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं और भावनाओं में बहकर यह मान लेते हैं कि वे एक दूसरे से प्यार करते हैं तो आमतौर पर उन्हें लगता है कि उनका रिश्ता शादी में बदल जाएगा। कभी-कभी ऐसा नहीं होता है और लड़की खुद को छला हुआ मानकर FIR दर्ज करा देती है और कहती है कि उसके साथ बलात्कार हुआ है।”

कोर्ट ने कहा कि जब शादी का वादा करके साल 2010 में पहली बार शारीरिक संबंध शुरू हुआ था, उसी समय महिला शिकायत दर्ज करा सकती थी। यह रिश्ता साल 2020 तक जारी रहा और साल 2021 तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई। कोर्ट ने आगे कहा कि यह विश्वास करना मुश्किल है कि शादी के झूठे वादे पर शारीरिक संबंध जारी रहा।

कोर्ट ने कहा कि 10 साल से अधिक समय तक चले किसी रिश्ते के दौरान बने यौन संबंध को बलात्कार मानना ​मुश्किल है। बकौल कोर्ट, ‘विवाह का झूठा वादा’ और विवाह करने के वास्तविक वादे को तोड़ने में अंतर है। कोर्ट ने कहा, “ऐसी परिस्थितियाँ हो सकती हैं, जब कोई व्यक्ति, जो अच्छे इरादे रखता हो, विभिन्न अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण पीड़िता से विवाह करने में असमर्थ हो।”

दरअसल, कटनी के आरोपित व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर अदालत विचार कर रही थी। अपनी याचिका में रेप के आरोपित व्यक्ति ने हाई कोर्ट से साल 2021 में उसके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। इस आपराधिक मामले में एक महिला ने उस पर शादी का झूठा वादा करके बलात्कार करने का आरोप लगाया था।

शिकायतकर्ता महिला ने पुलिस ने आरोपित के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। उसने बताया कि वह और आरोपित व्यक्ति हाई स्कूल के दिनों से ही रिलेशनशिप में थे। साल 2020 तक उनके बीच शारीरिक संबंध भी बने रहे। महिला का कहना है कि उस व्यक्ति ने प्रपोज करते समय और रिलेशनशिप के दौरान महिला से शादी करने का वादा किया था, लेकिन बाद में उसने इनकार कर दिया।

आरोपित व्यक्ति द्वारा शादी से इनकार करने के बाद दोनों के बीच रिश्ता खत्म हो गया। इसके बाद महिला ने इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी अपने पिता को दी। इसके बाद पिता ने अपनी बेटी के साथ थाने में जाकर आरोपित शख्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद आरोपित ने इस आपराधिक मामले के खत्म करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

अपनी याचिका में आरोपित शख्स ने कहा कि यह संबंध आपसी संबंध पर आधारित था। इस लिए उसके खिलाफ रेप और धोखाधड़ी का आपराधिक मामला नहीं चलाया जाना चाहिए। आरोपित शख्स ने कोर्ट से गुहार लगाई कि उसके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द किया जाए। इसके बाद सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने इस मामले को रद्द कर दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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