Saturday, November 16, 2024
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दिलीप मंडल के विरोध की सजा: माखनलाल यूनिवर्सिटी ने 23 छात्रों को निष्कासित किया

छात्रों पर यह कार्रवाई प्रदर्शन के दौरान अनुशासनहीनता और दुर्व्यवहार का करने का हवाला देकर किया गया है। दो प्रोफेसर दिलीप मंडल और मुकेश कुमार पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगा छात्रों ने प्रदर्शन किया था।

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया और यूपी के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में विरोध के नाम पर हिंसक हुए छात्रों के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। कॉन्ग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल इन छात्रों की ढाल बनकर खड़े हो गए। लेकिन, इसी वक्त में कॉन्ग्रेस शासित मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में 23 छात्र निष्कासित कर दिए गए।

इन छात्रों पर कार्रवाई प्रदर्शन के दौरान कथित अनुशासनहीनता को लेकर की गई है। प्रदर्शन दो प्रोफेसरों दिलीप मंडल और मुकेश कुमार के खिलाफ जातिगत भेदभाव का आरोप लगते हुए किया गया था। शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मॉंगों के समर्थन में धरने पर बैठे छात्रों के साथ बर्बरता बरतने का आरोप पुलिस पर भी है। छात्रों का कहना है कि कुलपति की शह पर ऐसा किया गया।

असल में प्रदेश में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद इस विश्वविद्यालय में राजनीतिक प्रयोगों का जो सिलसिला शुरू हुआ था उसके तहत ही कुछ महीने पहले दिलीप मंडल और मुकेश कुमार की अनुबंध पर नियुक्ति हुई थी। आरोप है कि दोनों प्रोफेसर छात्रों के बीच जातिगत भेदभाव कर माहौल खराब कर रहे हैं। इन छात्रों को मंगलवार को निष्काषित करने का आदेश जारी किया गया।

बता दें, यूनिवर्सिटी के दो सहायक प्रोफेसर द्वारा जातिवादी ट्वीट के बाद छात्रों ने ये प्रदर्शन शुरू किया था और इसी संबंध में उन्होंने पिछले गुरुवार को वाइस चांसलर के केबिन के सामने धरना दिया था। हालाँकि उस वक्त वीसी भोपाल में मौजूद नहीं थे। छात्रों के इस समूह की माँग थी कि छात्रों के साथ जातिगत भेदभाव करने वाले प्रोफेसरों को निष्काषित किया जाए। लेकिन, कॉलेज प्रशासन ने उन्हें हटाने की जगह छात्रों को ही सस्पेंड कर दिया।

साथ ही, आदेश की कॉपी में छात्रों पर लिए गए एक्शन पर लिखा गया कि जब वीसी दीपक तिवारी वापस आए तो स्टूडेंट्स अगले दिन धरने पर बैठ गए। इस दौरान कुछ छात्रों ने दोबारा से तोड़फोड़ की। जिसके बाद वीसी ने पुलिस को बुलाया और पुलिस-छात्रों में बवाल हुआ। इस दौरान दोनों पक्षों की चोटें आईं। 10 छात्रों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई। अब एफआईआर में 13 नाम और जोड़े गए हैं।

जानकारी के मुताबिक, यूनिवर्सिटी की अनुशासनात्मक कमिटी ने छात्रों के निष्कासन की सिफारिश की थी। जिसके बाद रजिस्ट्रार दीपेंद्र बघेल ने मंगलवार को ऑर्डर जारी किया। मंगलवार को जारी किए गए आदेश में रजिस्ट्रार की तरफ से कहा गया,”इन छात्रों को निष्कासित किया गया है और अगले आदेश तक ये यूनिवर्सिटी की कक्षा या एग्जाम में शामिल नहीं हो सकेंगे।”

रजिस्ट्रार का कहना है कि ये फैसला सीसीटीवी फुटेज देखकर लिया गया है। अनुशासनात्मक समिति ने तय किया है कि छात्रों के दुर्व्यवहार और अनुशासनहीनता को देखते हुए सख्त कार्रवाई होनी जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह की दोबारा कोई हरकत न हो।

निष्कासित किए गए छात्रों के नाम सौरभ कुमार, प्रखरादित्य द्विवेदी, राघवेंद्र सिंह, आशुतोष भार्गव, अभिलाष ठाकुर, अर्पित शर्मा, रवि भूषण सिंह, अंकित शर्मा, अर्पित दुबे, सुरेंद्र चौधरी, विवेक उपाध्याय, शुभम द्विवेदी, अंकित कुमार चौबे, आकाश शुक्ला, अनूप शर्मा, प्रतीक वाजपेयी, विपिन तिवारी, राहुल कुमार, रवि शर्मा, मोनिका दुबे, नीतीश सिंह और विधि सिंह है।

प्रशासन के इस फैसले के बाद शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों के समर्थन में आवाज उठाई है। उन्होंने ट्वीट किया है, “माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय एवं संचार विश्वविद्यालय में छात्रों को जायज माँगे उठाने पर निष्काषित कर दिया है। यह बच्चों की आवाज दबाने व लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास है। छात्रों को निष्काषित कर उनके भविष्य को तबाह करने के इस षड्यंत्र को हम कामयाब नहीं होने देंगे।” चौहान ने कहा है कि छात्रों की सभी जायज माँगे मानी जाएँ और उनके निष्कासन का आदेश तुरंत वापस लिया जाए।

उल्लेखनीय है कि दिलीप मंडल और मुकेश कुमार पर छात्रों के बीच जातिगत भेदभाव कर माहौल खराब करने का आरोप है। छात्रों का आरोप है कि दिलीप मंडल और मुकेश कुमार सोशल मीडिया पर जाति विशेष को लेकर लगातार पोस्ट कर रहे हैं। छात्रों ने इस संबंध में 11 दिसंबर को कुलपति को ज्ञापन सौंपते हुए शिकायत की थी कि दिलीप सी मंडल और मुकेश कुमार जाति के आधार पर छात्रों के साथ भेदभाव करते हैं और जातिगत कटुता बढ़ाने का काम कर रहे हैं। मगर विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से न तो उनसे संपर्क करने की कोई कोशिश की गई और न ही ज्ञापन से संबंधित कोई जवाब दिया गया। उल्टा प्रशासन ने इनके खिलाफ FIR करवा दी और फिर पुलिस ने भी छात्रों के साथ काफी बर्रबरता से मारपीट की। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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