मध्य प्रदेश के सिवनी में 19 जून 2024 को गोवंश के दर्जनों कटे शव मिले थे। प्रशासन ने मवेशी डॉक्टर को बुलाकर शवों का परीक्षण करवाने के बाद शवों कों दफना दिया था। इनकी पोस्टमॉर्टम से पता चला कि इनका गला 17 और 18 जून के बीच रेता गया। पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों को हिरासत में लिया है। वहीं, नागपुर के तीन आरोपितों को चिह्नित किया है।
जाँच में पता चला है कि मध्य प्रदेश में ऑपरेट करने वाले गोवंश तस्करों को हैदराबाद और नागपुर से फंडिंग हो रही है। सिवनी में पकड़े गए गो तस्करों ने पुलिस पूछताछ में यही खुलासा किया है। नागपुर के तीन तस्करों के संपर्क में थे। इन्होंने गोवंश को पशु बाजार से खरीदा था और इन पशुओं को नागपुर से होते हुए हैदराबाद ले जाना था।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, हिरासत में लिए गए लोगों में शादाब, वाहिद, इरफान, रामदास उइके, संतोष शामिल हैं। रामदास व संतोष पहले भी पशु तस्करी में जेल जा चुके हैं। वाहिद धनौरा थाना क्षेत्र के ग्वारी गाँव का रहने वाला है। शादाब उसका रिश्तेदार है। दोनों पर पशु क्रूरता अधिनियम का एक-एक मामला पहले से ही दर्ज है।
सिवनी के एसपी राकेश सिंह ने बताया कि मृत मिले गोवंश में से दो के कान में टैग लगे थे। अधिकांश पशुओं के कान काटकर टैग गायब कर दिए गए थे। ये टैग पशु बाजार में मवेशियों की खरीदी-बिक्री के दौरान लगाए जाते हैं। इसी टैग के सहारे पुलिस आरोपितों तक पहुँची है। एसपी राकेश सिंह के मुताबिक, हिरासत में लिए गए तस्करों को नागपुर व हैदराबाद के तस्करों से फंडिंग की गई थी।
दरअसल, पुलिस की सख्ती के कारण ये गो तस्करों ने इनके गले काटकर शवों को फेंक दिए। पुलिस और ग्रामीणों को ऐसे 54 गोवंश मिले थे। एसपी राकेश सिंह का कहना है कि गोवंश का गला काटकर तस्कर सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ना चाहते थे, ताकि पुलिस की सख्ती ढीली पड़ जाए और दूसरे रास्ते से अन्य गोवंशों को ले जाने का मौका मिल जाए।
पुलिस अधीक्षक का कहना है कि गोवंश का गला काटने में 12 से 15 लोग शामिल हैं। अभी सात लोगों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, तीन आरोपित नागपुर के रहने वाले हैं। उनकी पहचान कर ली गई है। एसपी राकेश सिंह का कहना है कि इन तीनों आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद उनके नामों का खुलासा किया जाएगा।
पुलिस की पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि कि मवेशियों को आगे खरीदने वालों ने ही उन्हें गला काटकर फेंकने का निर्देश दिया था। दरअसल, पुलिस ने पिछले 10 सालों में पशु तस्करी रूट को ट्रैक कर संवेदनशील जिलों को चिह्नित किया है। इनमें सिवनी, बालाघाट व बैतूल सहित बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, उज्जैन, रतलाम, नीमच जिले शामिल हैं।
दरअसल, 19 जून को सिवनी जिले के पिंडरई के पास वैनगंगा नदी में 19 गोवंश के शव मिले। वहीं, धूमा क्षेत्र में ऐसे 32 शव मिले। इन शवों के गर्दन कटे हुए थे। शवों का कुछ हिस्सा नजदीकी जंगलों में भी फेंका गया है। पुलिस ने गाँव के लोगों की मदद से गोवंश के शवों को वैनगंगा नदी से बाहर निकाला और उन्हें दफनाया।
जुलाई 2023 में भी सिवनी जिले में 10 गायों का सिर मिला था। उन गायों के सिर को काटकर उनके सिर को सड़क के किनारे और खेतों में फेंक दिए गए थे। वहीं, एक सिर गाँव के कुएँ में भी मिला था। हिंदू संगठनों का कहना था कि दंगे कराने की साजिश के तहत यह सब किया गया है। वहीं, इस घटना का संबंध बकरीद से होने की बात भी कही जा रही थी।