Monday, December 23, 2024
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मिल गया प्रमोशन, तो पति हो गया टेंशन?

अक्सर जब महिलाएँ नौकरी में बड़ी सफलता पा लेतीं हैं तो वे पति के साथ नहीं रहना चाहतीं- भले ही उन्हें वह सफलता दिलाने में पति द्वारा दिलाई गई शिक्षा और किया गया संघर्ष हो।

जागरण ग्रुप के समाचार पोर्टल नई दुनिया ने एक विचित्र, और शायद दुखद, खबर प्रकाशित की है। खबर के मुताबिक भोपाल के जिला कुटुम्ब न्यायालय में कई ऐसे तलाक/सम्बन्ध-विच्छेद के मामले लंबित हैं जिनमें पत्नी ने तलाक का मुकदमा नौकरी में पदोन्नति मिलने या नई नौकरी लगने के बाद ही दायर किया है और साफ़-साफ़ कहा है कि पति के साथ अब जीवन में उन्नति कर लेने के पश्चात नहीं रहना।

पति की पंडिताई से की पढ़ाई, नौकरी मिलते ही ठेंगा

भोपाल जिले की बैरसिया नगरपालिका निवासी एक पंडित ने पंडिताई से इकट्ठा पैसों से पत्नी की पढ़ाई कराई, उसके एसआई (सब-इन्स्पेक्टर) बनने में सहयोग किया। तीन-चार साल तक अपने पैरों पर खड़े-होने लायक शिक्षा दिलाई। पर नौकरी मिलते ही इंदौर में तैनात पत्नी ने तलाक की अर्जी लगा दी।

काउंसलिंग के दौरान भी सब-इन्स्पेक्टर पत्नी ने साफ-साफ कहा कि अब उसके पति की इतनी हैसियत नहीं है कि पति उसे ‘रख’ सके।

पीओ पत्नी नहीं सुनेगी सुपर मार्केट संचालक पति के ताने

एक दूसरा मामला जिला सेवा विधिक प्राधिकरण के समक्ष ईदगाह हिल्स में रह रहे युगल का आया है। इनकी 7 साल की शादी में 5 साल का बेटा भी है। पर हाल ही में बैंक में पीओ का पद प्राप्त करने वाली पत्नी ने साफ कर दिया है कि वह पति के साथ और नहीं रह सकती। कारण यह बताया है कि जब वह कार्यरत नहीं थी तो पति हर समय काम न करने का ताना उसे मारता रहता था। अतः अब उसे ऐसे पति के साथ और नहीं रहना।

सब-इन्स्पेक्टर पत्नी कथित रूप से करती थी हवालदार पति की पब्लिक में पिटाई

एक अन्य मामले में सब-इन्स्पेक्टर पत्नी ने कहा कि वो अपने से नीचे, हवलदार के पद की नौकरी कर रहे पति के साथ अब और नहीं रह सकती। तीन साल पहले हुई शादी के शुरुआती समय के बाद पत्नी-पति में ओहदे का अहम टकराने लगा। तथाकथित रूप से पत्नी ने कई बार पति की लोगों के बीच खुलेआम पिटाई भी कर दी।

तलाक के केस में काउंसलिंग के दौरान पत्नी ने कहा कि वह अपने पति से अधिक कमाती है, और अपने से कम ओहदे वाले इन्सान के साथ नहीं रह सकती।

पुरुष अधिकार कार्यकर्ता की राय

सामाजिक कार्यकर्ता दीपिका भारद्वाज ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा:

काउंसलर कहते हैं कि अक्सर जब महिलाएँ नौकरी में बड़ी सफलता पा लेतीं हैं तो वे पति के साथ नहीं रहना चाहतीं- भले ही उन्हें वह सफलता दिलाने में पति द्वारा दिलाई गई शिक्षा और किया गया संघर्ष हो। उदाहरण उन महिलाओं का है जिन्होंने अपने पति के ‘निचले स्टेटस’ के चलते तलाक की अर्जी दी है।

दीपिका भारद्वाज समाज और क़ानून में व्याप्त पुरुष-विरोधी लिंगभेद (Misandry) व पुरुषों पर महिलाओं के द्वारा होने वाले अत्याचारों के खिलाफ और उनके हक़ की लड़ाई लड़तीं हैं।

रॉलो तोमासी:

मशहूर ब्लॉगर और ‘The Rational Male’ किताब के लेखक रॉलो तोमासी अपने ब्लॉग पर इस मुद्दे पर कई विस्तृत लेख लिख चुके हैं। वह इस बारे में अक्सर ट्विटर पर भी लिखते रहते हैं। उनके अनुसार महिलाओं में यह Hypergamy नामक प्रवृत्ति अनुवांशिक विकास (genetic evolution) से आई हुई है। वह कहते हैं कि महिलाएँ अपना यौन और सामाजिक जोड़ीदार हमेशा अपने से ‘ऊँचे’ दर्जे का ही चाहतीं हैं- यह उनकी genetic प्रवृत्ति है, कोई चैतन्य निर्णय (conscious decision) नहीं, और यह अनुवांशिक विकास से विकसित हुई विशेषता है। ज़रूरी नहीं कि ऊंचे-नीचे का अंतर आर्थिक ही हो, पर यह महिलाओं के पार्टनर के चुनाव में एक महत्वपूर्ण और निर्णायक पहलू होता ज़रूर है।

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